
शङ्कराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी की ओर से सन्त भक्त संसद् की अध्यक्षता दण्डी स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी ने की
पण्डित देव दत्त दुबे
शङ्कराचार्य जी के परम् कृपापात्रसबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़ -कवर्धा
“एक ग्राम” (गांव) से एक ग्राम (वजन) सोना चला श्रीराम के काम का “उद्घोष” किया सन्तों ने
ज्योतिष पीठाधीश्वर एवं द्वारका-शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज श्री की ओर से “सन्त भक्त संसद्” की अध्यक्षता शङ्कराचार्य जी के शिष्य प्रतिनिधि परम् तपस्वी दण्डी स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज ने “शङ्कराचार्य शिविर माघ मेले प्रयागराज” में की
प्रयाग माघमेले में आयोजित “सन्त-भक्त संसद्” में सन्तों का ऐलान
पूरे देश में ‘ग्राम-ग्राम,राम-राम’ मुहिम चलायेंगे सन्त
कई धर्मसंसदों, सम्मेलनों और पारित संकल्पों-प्रस्तावों का साक्षी रहा प्रयाग का माघमेला इस बार निर्णायक मोड पर दिखाई दिया । सन्तों ने श्रीशंकराचार्य शिविर में विशाल ‘सन्त-भक्त संसद्’ का आयोजन किया और शंकराचार्य जी द्वारा प्रस्तुत स्वर्णजटित बाल राम मन्दिर के निर्माण के
विचार का अभिनन्दन किया और राममन्दिर के लिये पूरे देश में स्वर्णसंग्रह के लिये मुहिम चलाने का ऐलान किया । सन्तों ने अपनी इस मुहिम को ‘ग्राम-ग्राम,राम-राम’ मुहिम नाम दिया है । इसके तहत देश के प्रत्येक गांव में एक दायित्वधारी सन्त जायेगा । सब रामभक्तों को राम-राम कहेगा,कहलवायेगा और प्रत्येक ग्राम से एक ग्राम सोना संगृहीत कर प्रदेश के राममन्दिररथ के सारथी को सौंपेगा । सारथी रथ के साथ एक ‘ग्राम’ (गांव) से एक ‘ग्राम’ (वजन) । सोना चला राम के काम । का उद्घोष करते हुए आगे बढेगा ।
*हर प्रदेश से निकलेगा ‘राममन्दिररथ’*
स्वर्णसंग्रह हो जाने पर हर प्रदेश से राममन्दिररथ अपने सारथी के नेतृत्व में प्रयाग के मनोकामेश्वर मन्दिर पहुंचेंगे और फिर वहाँ से समवेत होकर अयोध्या जी की ओर रवाना होंगे ।
*नियुक्त हुये 37 प्रदेशों के ‘राममन्दिररथ-सारथी*
देश के सभी प्रदेशों के राममन्दिररथों के सारथियों (प्रदेशप्रमुखों) को दायित्व सौंप दिया गया है । जिनके नाम क्रमशः इस प्रकार है-
*प्रदेश और प्रदेश प्रमुखों की सूची*
1 अण्डमान निकोबार (केन्द्र शासित) =
2 अरुणाचल प्रदेश =
3 असम =
4 आन्ध्र प्रदेश =
5 उत्तर प्रदेश =
6 उत्तराखण्ड =
7 ओडिशा =
8 कर्णाटक =
9 केरल =
10 गुजरात =
11 गोआ =
12 चण्डीगढ (केन्द्र शासित) =
13 छत्तीसगढ़ =
14 जम्मू कश्मीर (केन्द्र शासित)
15 झारखण्ड =
16 तमिलनाडु =
17 तेलंगाना =
18 दमन और दीव (केन्द्र शासित) =
19 दादरा और नगर हवेली (केन्द्र शासित) =
20 नागालैण्ड =
21 पंजाब
22 पश्चिम बंगाल =
23 पड्डुचेरी (केन्द्र शासित) =
24 बिहार =
25 मणिपुर =
26 मध्य प्रदेश =
27 महाराष्ट्र =
28 मिजोरम =
29 मेघालय =
30 राजस्थान =
31 दिल्ली (केन्द्र शासित) =
32 लद्दाख (केन्द्र शासित)
33 लक्षद्वीप (केन्द्र शासित) =
34 सिक्किम =
35 हरियाणा =
36 हिमाचल प्रदेश =
37 त्रिपुरा =
इन सारथियों के नामों की घोषणा तथा चित्रावली कल भेजी जायेगी।
शीर्ष धर्माचार्य हमारे सुप्रीम कोर्ट । उन्हीं के निर्देश पर चलेंगे हम सनातनी हिन्दू
सन्तों ने यह निर्णय भी लिया कि आने वाले दिनों में सनातन धर्मी हिन्दू समाज के प्रश्नों के समाधान खोजने के लिये शीर्ष धर्माचार्यों का ही निर्देश स्वीकार किया जायेगा । ठीक उसी तरह जैसे फैजाबाद जिला न्यायालय के फैसले को किसी ने नहीं माना, हाईकोर्ट में अपील की । हाईकोर्ट के फैसले को भी नहीं माना सुप्रीम कोर्ट गये । सुप्रीम कोर्ट फैसले को अमल में लाया जा रहा है । उसी तरह सनातनधर्मियों का सुप्रीम कोर्ट चार शंकराचार्य, पांच वैष्णवाचार्य और तेरह अखाडे हैं । उनका निर्णय ही सनातनी समाज स्वीकार करेगा ।
*शीर्ष धर्माचार्यों को किनारे कर स्वयं को आगे करना अशिष्टता*
सन्तों ने समवेत स्वर में कहा कि शिष्टाचार हमारे धर्म की प्रमुख विशेषताओं में से एक है । अतः शीर्ष धर्माचार्यों के उपस्थित होने पर भी उनकी उपेक्षा कर अवर धर्माचार्यों के द्वारा स्वयं को ही हिन्दू समाज का नेता घोषित करना व महत्वपूर्ण निर्णय स्वयं कर लेना अशिष्टता नहीं तो और क्या है ? सन्तों को ऐसे अशिष्ट आचरण से बचना चाहिए । सन्तों ने “पुरी पीठ के पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज” के उस वक्तव्य का स्वागत किया जिसमें उन्होंने कहा है कि धर्म के मामलों में शंकराचार्य का निर्णय सर्वोच्च है ।
*श्री अमित शाह ने जन भावना को ही स्वर दिया है*
सन्त-भक्त संसद् में उपस्थित सन्तों ने केन्द्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह के उस वक्तव्य की सराहना करते हुए उसे जन भावनाओं को दिया गया स्वर बताया है जिसमें उन्होंने कहा है कि अयोध्या में बनने वाले मन्दिर का शिखर आकाश को छूता हुआ होगा । हिन्दु धर्म के शीर्ष धर्माचार्यों ने भी यही कहा है । इस मामले में सरकार और शीर्ष धर्माचार्य एक दीखते हैं क्योंकि दोनों जन भावना को ही स्वर दे रहे हैं ।
*आकाश नीचे आयेगा कि मन्दिर ऊपर जायेगा?*
केन्द्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह के वक्तव्य के सन्दर्भ से विहिप नेताओं की पुराने माडल पर ही मन्दिर बनाने की जिद पर
सन्तों ने चुटकी लेते हुये कहा है कि भला 138 फुट ऊंचा मन्दिर कैसे आकाश को छुयेगा? क्या आकाश नीचे आ जायेगा या मन्दिर ही ऊपर चला जायेगा?
सन्तों ने कहा कि विहिप का माडल छोटा है और आने वाले भविष्य में दर्शनार्थियों की आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ है । इस सच्चाई को जितनी जल्दी समझ लिया जाये उतना अच्छा है । अच्छा हो कि विहिप के लोग भी अपने आर्किटेक्ट से वर्तमान भूमि के लिये नया माडल बनवायें । हो सकता है देश की जनता को वही पसन्द आ जाये और आचार्यगण भी स्वीकृति दे दें ।
सभा में श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर निर्माण न्यास के अध्यक्ष श्रीमहन्त जनमेजय शरण जी महाराज, अखिल भारतीय दण्डी सन्यासी प्रबन्धन समिति के अध्यक्ष स्वामी ब्रह्माश्रम जी,महामन्त्री शंकराश्रम जी महाराज, अखिल भारतवर्षीय धर्मसंघ के ब्रह्मचारी गुणप्रकाश चैतन्य जी आदि सहित सैकड़ों सन्तों महन्तो ने भाग लिया एवं विचार प्रकट किये ।
पूज्यपाद जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष स्वामी नरेन्द्र गिरि जी महाराज सहित अनेक आचार्यों के समर्थन पत्रों का वाचन किया गया ।
बड़ी संख्या में भक्तों ने उपस्थिति दर्ज़ की ।
अध्यक्षता स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ने की तथा संचालन श्रीमहन्त श्रीभगवान ने किया ।
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