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रायपुर. सनातन धर्म के अनुसार साल में कुल 12 अमावस्या पड़ती हैं. अमावस्या के दिन चांद लुप्त हो जाता है, जिसकी वजह से आसमान में घना अंधेरा छा जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस तिथि पर पूजा-पाठ करने का विशेष महत्व माना जाता है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म या पूजा-पाठ करना भी बेहद अनुकूल बताया है.ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि अमावस्या कृष्ण पक्ष की 15वीं तारीख को होती है. यह अमावस्या तिथि देव पितृ कार्यों के लिए बहुत ही शुभ मानी गई है. जैसे अपने कुलदेवता या कुलदेवी की पूजा कराना चाहते हैं तो इस दिन अच्छा मुहूर्त रहता है. इसके अलावा पितरों के निमित्त कुछ दान, पिंड श्राद्ध करने के लिए अमावस्या तिथि श्रेष्ठ मानी जाती है. इस दिन स्नान करने का बहुत ही पुण्य बताया गया है इसलिए इस दिन को स्नान दान अमावस्या भी कही जाती है.अमावस्या के दिन ना करें ये काम
भारत भूमि के बड़े बड़े तीर्थ, महानदी, सागर में स्नान कर दान करने से पितर तृप्त होते हैं. जिनको पितृदोष लगा है या जिनके घर में किसी तरह की नकारात्मक प्रभाव है उनको बड़े तीर्थों में स्नान दान करना चाहिए. इस दिन देवी की विशेष पूजा आराधना की जाती है जिसका परिणाम त्वरित शुभ फलदायी होता है. पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि नया कार्य अमावस्या तिथि के दो दिन पहले और अमावस्या तिथि के दो दिन बाद मुहूर्त समय देखकर ही करना चाहिए. यात्रा भी मुहूर्त देखकर करना चाहिए अन्यथा टाल देना चाहिए.