धर्म

साईं बाबा का व्रत कैसे करें

साईं बाबा की महिमा अपरंपार है। उन्होंने जीवन भर जात-पात, ऊँच-नीच के भेदभाव से ऊपर उठकर लोगों को प्रेम का मार्ग दिखाया था। साथ ही साईं बाबा ने एकेश्वरवाद का समर्थन किया था। उन्होंने लोगों को बताया था कि ‘सबका मालिक एक है’। साईं बाबा की पूजा के लिए गुरुवार का दिन सर्वोत्तम माना जाता है। इसलिए गुरुवार के दिन साईं बाबा के भक्त उनका विधिपूर्वक व्रत रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो लोग साईं व्रत का पालन करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस व्रत को स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े कोई भी कर सकता है।

साई व्रत का महत्व

शिरडी के साईं बाबा की कृपा जिस व्यक्ति के ऊपर होती है उसका बेड़ा पार हो जाता है। साईं बाबा की इस कृपा को पाने का मार्ग है साईं व्रत। जी हाँ, साईं व्रत के माध्यम से लोगों के बिगड़े काम बनते हैं, निःसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है, और निर्धनों को धन मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग सच्चे मन से साईं व्रत लगातार 9 या 11 गुरुवार के दिन रखते हैं और उसके बाद अगले गुरुवार को व्रत का उद्यापन विधि पूर्वक करते हैं, तो उनकी वह कामना पूर्ण हो जाती है जिस कामना के लिए वे साईं बाबा का व्रत रखते हैं।

साईं व्रत की पूजा विधि

व्रत को किसी भी गुरुवार से शुरु कर सकते हैं।
गुरुवार के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
साईं बाबा की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं।
अब साईं बाबा की आराधना करें तथा व्रत का संकल्प लें।
पूजा के दौरान बाबा के आसन पर कोरा पीला कपड़ा बिछाएं।
अब साईं की प्रतिमा को उनके आसन में स्थापित करें।
प्रतिमा के समक्ष घी का दीपक, धूप एवं अगरबत्ती जलाएं।
साईं बाबा को चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं।
उसके बाद बाबा को पीले पुष्प अर्पित करें।
साईं व्रत कथा का पाठ करें।
साईं चालीसा पढ़ें।
अंत में साईं बाबा की आरती का गायन करें।
साईं की पूजा कर उन्हें भोग लगाएँ और उसके बाद प्रसाद बांटें ।

साईं व्रत की कथा

कोकिला बहन और उनके पति महेशभाई शहर में रहते थे. दोनों में एक-दूसरे के प्रति प्रेम-भाव था, परन्तु महेशभाई का स्वभाव झगड़ालू था. दूसरी तरफ कोकिला बहन बहुत ही धार्मिक स्त्री थी, भगवान पर विश्वास रखती. धीरे-धीरे उनके पति का धंधा-रोजगार ठप हो गया. कुछ भी कमाई नहीं होती थी. महेशभाई अब दिन-भर घर पर ही रहते और अब उन्होंने गलत राह पकड़ ली. अब उनका स्वभाव पहले से भी अधिक चिड़चिड़ा हो गया.

एक दिन दोपहर को एक वृद्ध महाराज दरवाजे पर आकार खड़े हो गए. चेहरे पर गजब का तेज था और आकर उन्होंने दाल-चावल की मांग की. कोकिला बहन ने दल-चावल दिए और दोनों हाथों से उस वृद्ध बाबा को नमस्कार किया. वृद्ध ने कहा साईं सुखी रखे. कोकिला बहन ने कहा महाराज सुख मेरी किस्मत में नहीं है और अपने दुखी जीवन का वर्णन किया. महाराज ने श्री साईं के व्रत के बारें में बताया 9 गुरुवार फलाहार या एक समय भोजन करना, हो सके तो बेटा साईं मंदिर जाना, घर पर साईं बाबा की 9 गुरुवार पूजा करना. साईं व्रत करना और विधि से उद्यापन करना भूखे को भोजन देना, साईं बाबा तेरी सभी मनोकामना पूर्ण करेंगे, साईं बाबा पर अटूट श्रद्धा रखना जरूरी है.

कोकिला बहन ने भी गुरुवार का व्रत लिया. 9 वें गुरुवार को गरीबों को भोजन कराया. उनके घर से कलह दूर हुए. घर में बहुत ही सुख-शांति हो गई. महेशभाई का स्वभाव ही बदल गया. उनका रोजगार फिर से चालू हो गया. थोड़े समय में ही सुख-समृधि बढ़ गई. दोनों पति-पत्नी सुखी जीवन बिताने लगे. एक दिन कोकिला बहन के जेठ-जेठानी सूरत से आए. बातों-बातों में उन्होंने बताया कि उनके बच्चे पढ़ाई नहीं करते, इसलिए परीक्षा में फेल हो गए हैं. कोकिला बहन ने 9 गुरुवार की महिमा बताई और कहा कि साईं बाबा की भक्ति से बच्चे अच्छी तरह अभ्यास कर पाएंगे. लेकिन इसके लिए साईं बाबा पर विश्वास रखना जरूरी है. साईं सबकी सहायता करते हैं. उनकी जेठानी ने व्रत की विधि बताने के लिए कहा. कोकिला बहन ने कहा उन्हें वह सारी बातें बताईं, जो खुद उन्हें वृद्ध महाराज ने बताई थी.

सूरत से उनकी जेठानी का थोड़े दिनों में पत्र आया कि उनके बच्चे साईं व्रत करने लगे हैं और बहुत अच्छे तरह से पढ़ते हैं. उन्होंने भी व्रत किया था. इस बारे में उन्होंने लिखा कि उनकी सहेली की बेटी शादी साईं व्रत करने से बहुत ही अच्छी जगह तय हो गई. उनके पड़ोसी का गहनों का डिब्बा गुम हो गया था, जो अब वापस मिल गया है. ऐसे कई अद्भुत चमत्कार हुए था. कोकिला बहन ने समझा कि साईं बाबा की महिमा अपार है.

साईं व्रत का उद्यापन

किसी भी व्रत का फल उपासक को तभी प्राप्त होता है जब व्यक्ति उस व्रत का उद्यापन विधि पूर्वक करता है। इसी प्रकार साईं व्रत का फल प्राप्त करने के लिए उद्यापन करना भी आवश्यक है। उद्यापन के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना भी आवश्यक है। जैसे उद्यापन किसी योग्य पंडित के द्वारा ही कराना चाहिए। इसके लिए क्या-क्या सामग्रियाँ चाहिए उसका भी विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। उद्यापन के पश्चात् ग़रीबों को भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान-दक्षिणा के रूप में कुछ देना भी चाहिए।

उद्यापन विधि

साईं बाबा के व्रत का उद्यापन आखिरी गुरूवार को करें।
उद्यापन के दिन ब्रह्मा मुहूर्त में उठें और स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
गंध, पुष्प, धूप, नैवेद्य, फल, फूल, आदि साईं बाबा को अर्पित करें।
इसके बाद आप साईं बाबा की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराए।
पूजा की समाप्ति पर यथाशक्ति दक्षिणा अथवा साईं बाबा से संबंधित वस्तुएँ दान करें।
तत्पश्चात ग़रीबों को भोजन कराए उन्हें ज़रूरतमंद चीज़ें दान करें।
साईं व्रत संबंधित साहित्य का वितरण करें।

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