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क्या युद्धविराम के बाद और भीषण हो जाएगा इजरायल हमास युद्ध?

मध्यपूर्व में इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम शुरू हो गया है. इसके लिए बीते बुधवार को हुए समझौता हुआ था जिसके तहत हमास जहां इजरायल के 50 बंधकों को छोड़ रहा है, वहीं इजरायल भी 150 फीलिस्तीनियों को छोड़ रहा है जिसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. अब 300 ट्रकों को गाजा में भी प्रवेश मिल सकेगा जिससे वहां मानवीय सहायता पहुंचाई जा सकेगी. और सबसे अहम बात इसके लिए चार दिन तक इजरालय और हमास की ओर से कोई सैन्य कार्रवाई नहीं होगी. जहां कई विशेषज्ञ इसे एक बड़ा कदम और एक अच्छी शुरुआत मान रहे हैं, वहीं कुछ आशंकाएं ऐसी भी है कि युद्धविराम के बाद एक बड़ा युद्ध भी छिड़ सकता है.

विराम खत्म होने के बाद?
इस बात को कतई नहीं भूलना चाहिए कि यह एक अस्थाई विराम है और इसके बाद युद्ध के हालात फिर बहाल हो जाएगें  ऐसा नहीं है कि दोनों ही पक्ष पूरी तरह से युद्ध की तैयारी के लिए स्वतंत्र होंगे बल्कि इन चार दिनों में बंधकों और कैदियों की अदला बदली की प्रक्रिया होती रहेगी. यहां तक कि इस अवधि के आगे बढ़ने की भी संभावना है.गाजा के लोगों के लिए खुशी
इसके अलावा फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई भी गाजा के कई परिवारों के लिए भी राहत और खुशी की तरह होगी. लेकिन यह पता नहीं है कि कौन से परिवार इस मामले में खुशकिस्मत साबित होंगे क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि किस किस की रिहाई होगी. फिर भी गाजा के लोगों में यह एक राहत की अच्छी ही खबर है.

गाजा को राहत
इस डील की सबसे बड़ी उपलब्धि गाजा में 300 ट्रकों को प्रवेश  मिलने की इजाजत है जिससे गाजा के लोगों को राहत मिलेगी जिसके उन्हें बहुत जरूरत थी. इसके जरिए गाजा को जरूरी ईंधन, भोजन और जरूरी दवाई और चिकित्सकीय सहायता भी मिलेगी. इसी मानवीय सहायता के लिए इजरायल पर पिछले एक महीने से भारी दबाव बनाया जा रहा था.कूटनीति का महत्व
इस मामले में कूटनितिक प्रयास बहुत ही ज्यादा मायने रखते हैं. इसमें इजरायल, हमास के अलावा अमेरिका और कतर की भूमिकाएं भी अहम होने वाली है. जहां अमेरिका इजरायल की ओर से कूटनितिक प्रयास कर रहा है कतर अमेरिका और हमास के बीच प्रभावी संपर्क की कड़ी है. कतर एक तरह से मध्यस्थ की भूमिका में है और उसी की वजह से अभी की डील अंजाम तक पहुंच सकी है.ऐसा नहीं था रवैया!
लेकिन गौर करने वाली बात यही है कि पहले इजरायल और यहां तक अमेरिका तक का बातचीत या युद्धविराम जैसे विषय में किसी भी तरह की रुचि नहीं थी. यहां कि अमेरिका तो युद्धविराम या सीजफायर जैसा औपचारिक शब्द तक इस्तेमाल  करना पसंद नहीं कर रहा था और दोनों बार बार कह रहे थे कि अब जो कुछ भी होगा हमास के खात्मे के बाद ही होगा.

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