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सज रही है अयोध्या नगरी, इन तीन रास्तों से होकर पुहंचेंगे रामलला के द्वार, जानें सबकुछ

अयोध्या. रामनगरी में बने नए मंदिर में जल्द ही प्रभु श्री राम विराजमान होने वाले हैं. इस भव्य मंदिर तक पहुंचने के लिए तीन रास्तों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. आगामी 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. ऐसे में यहां आने वाले रामभक्त राम पथ, जन्मभूमि पथ और भक्ति पथ से गुजर कर मंदिर तक पहुंचेंगेअयोध्या में मुख्य तौर पर तीन मार्गों का विकास किया जा रहा है. इसमें राम पथ, जन्मभूमि पथ, भक्ति पथ आयोध्या को नई ऊंचाई और उसकी पुरानी पहचान देंगे. इनका निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. जन्मभूमि पथ रामलला के दर्शन के लिए पहुंचाने वाला आखरी रास्ता है. यहीं से गुजर कर आप रामलला के दर्शन कर पाएंगे. यह मार्ग 80 फीट चौड़ा है. जन्मभूमि पथ पर लगाए जाने वाले पत्थर आम पत्थर नहीं हैं, बल्कि यह मिर्जापुर से मंगाए गए विशेष गुलाबी पत्थर हैं. जिन पर नक्काशी की गई है. इन पत्थरों की मदद से जन्मभूमि पथ पर विशाल मुख्य द्वार बनाया जा रहा है.फिर नजर आएगी पुरानी अयोध्या
बताया जाता है कि फैजाबाद और अयोध्या के बीच पहले इतना कंस्ट्रक्शन नहीं था. बस कुछ महल दिखाई देते थे. मंदिरों के अहाते थे, हवेलियां थीं और खुला मैदान था. समय के साथ खाली जगह पर लोगों ने कब्जा कर लिया और अवैध मकान बनने लगे. नतीजा यह हुआ कि नये निर्माण से प्राचीन इमारतें पूरी तरह से ढ़क गईं. अब जबकि आगे की दीवार तोड़कर सड़क चौड़ी की गई है तो पुरानी अयोध्या फिर दिख रही है.राम पथ
पूरी अयोध्या को सजाया और संवारा जा रहा है. राम मंदिर तक जाने वाले हर मार्ग का सौंदर्यीकरण और चौड़ीकरण हो रहा है. इसी कड़ी में राम पथ भी शामिल है. सहादतगंज से नया घाट को जोड़ने वाली सड़क को रामपथ का नाम दिया गया है. कोशिश है कि 22 जनवरी को रामलीला की प्राण प्रतिष्ठा के पहले ये मार्ग बनकर तैयार हो जाए. जिससे कि अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को राम की नगरी राम के रंग में सराबोर नजर आए. इसे इसलिए भी विकसित किया जा रहा है क्योंकि 22 जनवरी के बाद हर रोज लाखों की तादाद में श्रद्धालु अयोध्या आएंगे.भक्ति पथ
हनुमानगढ़ी से कनक भवन और राम जन्म भूमि को जोड़ने वाला मार्ग भक्ति पथ है. मान्यता है कि लंका पर विजय प्राप्त कर जब भगवान राम अयोध्या आए थे तो हनुमान जी को रहने के लिए उन्होंने एक स्थान दिया था. इसे हनुमानगढ़ी कहा जाता है. इसके साथ ही ये अधिकार भी दिया था कि मेरे दर्शन के लिए आने वाले हर भक्त को पहले तुम्हारे दर्शन करने होंगे. अयोध्या में अलग-अलग मार्गों के विकास के साथ इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि भक्त को उसके प्रिय से जोड़ने वाले रास्ते का भी विकास किया जाए. इसीलिए इस मार्ग का नाम भक्तिपथ रखा गया है

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