सनातनी संस्कृति के अनुसार माता बहनों को प्रात: स्नान कर भोजन बनाना चाहिए और होटलो के भोजन ग्रहण करने से बचना चाहिए-देवकीनंदन महाराज
सनातनी संस्कृति के अनुसार माता बहनों को प्रात: स्नान कर भोजन बनाना चाहिए और होटलो के भोजन ग्रहण करने से बचना चाहिए-देवकीनंदन महाराज
भिलाई। श्रीमद् भागवत कथा का छटवा दिन महाराज ने कथा का शुभारंभ करते हुए मातृशक्ति को जो करवा च ौ थ का व्रत रखती हैं उसे व्यास गद्दी से दीर्घायु की आशीर्वाद शुभकामनाएं प्रदान कर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस की शुभकामनाएं एवं बधाई दी महाराज जी ने कथा का प्रारंभ करते हुए श्री कृष्ण की लीला को बताते हुए कहा कि इंद्र के अभियान को नष्ट करने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाना पड़ा जिससे सभी बृजवासी अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हुए खुशियां मनाने लगे। आगे की कथा में महाराज जी ने बताया ब्रह्मा जी भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला को देखने गोकुल पहुंचे उनके साथ कामदेव ,इंद्रदेव साथ में ही गोकुल में प्रवेश लिए तो देखा की कृष्णा बृजवासियों के साथ नृत्य कर रहे है यह देख ब्रह्मा जी कामदेव, इंद्रदेव ,बृजवासियों के साथ खुशियों में सामिल होकर स्वयं नृत्य करने लगे , भगवान श्री कृष्ण यह दृश्य देख सभी ग्वाल बालो को आव भगत सेवा सत्कार में लगा दिए। महाराज जी ने रसोई की शुद्धता को बनाए रखने के लिए बताया की माता बहनों को प्रात: स्नान कर भोजन बनाना चाहिए बाहर होटलो के भोजन ग्रहण करने से बचना चाहिए यही हमारी सनातनी संस्कृति की इजाजत है। महाराज जी कामदेव जी के प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए बताया की कामदेव के अहंकार को नष्ट करने रास रचाए और 11 वर्ष गोकुल में निवास कर मथुरा चले गए जहां कंस का वध कर समस्त मथुरा वासी को कंस से मुक्ति दिलाया , कथा के अंत में रूखमणी विवाह संपन्न हुआ पूरा पंडाल में कृष्ण ,राधे राधे की गूंज के साथ झूमने लगे ,आरती पश्चात दीक्षा का कार्य संपन्न हुआ दिव्या ज्योति सेवा समिति द्वारा आए हुए भक्त जनों को प्रसादी वितरण कर आज का कार्यक्रम को यही विराम दिया गया। श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने दुर्ग के सांसद विजय बघेल, देवेंद्र यादव उपस्थित हुए।