पैतृक मकान में अपना हक मांगना पड़ गया भारी, पति और दो बच्चों के समेत गांव से कर दिया बहिष्कृत

बालोद. जिले के ग्राम कुम्हालोरी निवासी प्रेमलता, उनके पति और दो बच्चों को गांव वालों ने बहिष्कृत कर दिया है । पैतृक मकान में अपना हक मांगने की ग्रामीणों ने यह सजा दी है । अब महिला ने न्याय पाने के लिए अपर कलेक्टर के समक्ष गुहार लगाई है । आपबीती सुनाते हुए महिला रो पड़ी । अपर कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
दरअसल महिला प्रेमलता (35) के मुताबिक उसके पति भीखम काम के सिलसिले में ज्यादातर महाराष्ट्र में रहते हैं । सन 2013 में उनके ससुर ने बंटवारा कर दिया । बंटवारे में उन्हें पैतृक मकान मिला । लेकिन पति के साथ बाहर रहने के कारण उस पर उनके देवर ने कब्जा कर लिया। अब पैतृक घर मांगने पर उसे नहीं दिया जा रहा है। इस कारण उन्हें गांव के सामुदायिक भवन में परिवार के साथ रहना पड़ रहा है ।
चार दिन पहले गांव वालों ने कर दिया बहिष्कृत
कलेक्टोरेट में जब अपर कलेक्टर के सामने पीडि़ता प्रेम लता रोई तो सभी अधिकारी उन्हीं के तरफ देखने लगे । महिला ने कहा कि गांव वालों ने किस कारण हमारे पूरे परिवार को बहिष्कृत किया है, यह समझ से परे है । गांव वाले न तो उसके बच्चों से बात करते हैं और न ही कोई उनसे बात करता है । अपर कलेक्टर बालोद एके बाजपेयी ने बताया कि इस पूरे मामले में जांच के निर्देश दिए गए हैं । जल्द ही संबंधित अधिकारी को भेजकर जांच कराई जाएगी