खास खबरछत्तीसगढ़

पुरखा के सुरता —

एक लोटा पानी लान देतो वो ए फुलबासन बेटी टोंटा सुखावत हे…
डोकरा खटिया म ढ़लगे ढ़लगे अपन बहु फुलबासन ल चिल्लईस, ओती कुरिया ले फुलबासन बड़बड़ावत निकलिस – “ये डोकरा के रात दिन बोंबियइ म कंझट लाग जथे” काहत काहत लोटा भरे पानी ल डोकरा तीर लान के पटके अस मड़ा दिस,
ओतके बेरा फुलबासन के छोटे बेटा (5साल) सबला देखत रहय।
ये गोठ एक दिन के नहीं रोज के आय फुलबासन ल डोकरा के देखे तरमरासी छा जाय।
धीरे धीरे बेरा बीतत गिस एक दिन डोकरा भगवान घर चलदिस, फुलबासन सोंचिस ले आज ले ये डोकरा फटफट सिरइस कहके देखउटी मुंहु ल अंछरा म तोपे रोय लागिस।

पितर पाख के दिन आइस फुलबासन बिहना ले उठके अंगना म सुघ्घर चौंक पुरके पाठ पिड़ौना मड़ाइस दतवन ल लोटा म राखिस फेर ताहन रोटी पीठा (सुहारी, बरा) रांधके पुजा पाठ करके जम्मों कलेवा(दार, भात,साग बरा सोहारी) ल छानी उपर फेंके लागिस।
उही बेरा ओकर छोटे बेटा ये सब ल देख के अपन दाई ल पुछथे – ” दाई तँय ह जम्मो कलेवा ल छानी म काबर फेंकत हस”
फुलबासन मुचमुचावत किहिस “आज तोर बबा आय हे बेटा देख छानी म कौंवा बइठे हे उही तोर बबा आय”
अतका ल सुनके ओ नानकुन लइका कथे -” कस दाई जेन दिन बबा जिंयत रिहिस ओ दिन पानी बर तरसाये हस आज बबा नइहे त कौंवा ल मोर बबा आय कहिके कलेवा खवावत हस”
लइका के सियनहा कस गोठ ल सुन के फुलबासन चुप रहिगे ओहर अपन करम ल सुरता करे लागिस……

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