शिक्षण संस्थानों में लूट की संस्कृति
प्रायवेट स्कूलों द्वारा पालकों से वसूला जा रहा है मनमाना फीस
कोचिंग वाले भी पालकों का लूटने में आगे
जल्द गठित किया जाए फीस नियामक आयोग
भिलाई। एक ओर जहां प्रायवेट स्कूलों द्वारा पालकों से मनमाना फीस वसूलते हुए पालकों के जेब पर डाका डाला जा रहा है वहीं कोचिंग वाले भी पालकों को लूटने में आगे है। ये प्रायवेट स्कूल के संचालक सरकारी नियमों को ताक पर रखकर बेघडक जमकर फीस वसूलने का कार्य किया जा रहा है, शिक्षा विभाग द्वारा बार बार चेतावनी दिये जाने के बाद भी हर साल इन स्कूलों द्वारा रिएडमिशन और बिल्डिंग फंड सहित वसूलने का कार्य बदस्तूर जारी है, इसका जीता जागता उदारहण श्री शंकराचार्य विद्यालय सेक्टर 10 है जहां शिक्षकों ने ही वहां के प्रबंधन के इस रवैये की पोल खोल दी। यही स्थिति दुर्ग भिलाई सहित पूरे प्रदेश के निजी विद्यालयों का है। निजी विद्यालयों के इस मनमानी पर रोक लगाने जल्द से जल्द फीस नियामक आयोग के गठन और इन स्कूलों के दादागिरी पर रोक लगाने के लिए आचार्य नरेंद्र देव स्मृति जन अधिकार अभियान समिति भिलाई के संयोजक आरपी शर्मा ने मुख्यमंत्री को एक पत्र भेजा है। पत्र में कहा है कि आज 15 साल बाद प्रदेशवासियों को भरोसा हुआ है कि अब राज्य वास्तविक छत्तीसगढिया के सुरक्षित हाथों में है। उन्होंंने कहा कि राज्य की जनता पिछले 15 साल से स्कूली शिक्षा व्यवसायियों और कोचिंग व्यवसायियों की लूट से हलाकान रही है। पिछले 15 साल में इन स्कूल और कोचिंग संचालकों ने मनमानी फीस वसूलने में कोई कमी नहीं की है। इससे अपने बच्चों का सुनहरा भविष्य का सपना देखने वाले पालक हताश हैं।
उन्होंने कहा कि 15 साल से किसी भी एजुकेशन सोसाइटी ने पालकों को बोलने का मौका नहीं दिया। संचालक भी अपनी मनमानी कर रहे थे। लेकिन अब बदलाव हो चुका है तो शिक्षण संस्थाओं में भी इस लूट की संस्कृति पर लगाम लगना चाहिए। आज एजुकेशन सोसाइटी अपने कर्मियों को भी पूरा वेतन नहीं देती है। आज भी लोग सम्मानजनक वेतनमान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। महात्मा गांधी की 150 वीं वषर्गांठ पर इस तबके को न्याय दिलाना बापू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
आज स्कूलों में शिक्षा के अधिकार कानून का दुरूपयोग हो रहा है। आरटीई के तहत फर्जी बीपीएल काडर्धारी बड़ स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला पा गए हैं वहीं वास्तविक लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है। सरकारी जमीन रियायती दर पर लेने के बाद स्कूल संचालन का पूर्ण रूपेण व्यावसायिकरण कर दिया गया है। इस पर जांच होना जरूरी है। इसी तरह शिक्षण संस्थान के नाम पर कोचिंग भी लूट मचा रहे हैं। मनमानी फीस लेकर सिविक सेंटर में कोचिंग माफिया देश के भविष्य कहलाने वाले युवाओं को लूट रहे हैं। इन सभी कोचिंग संस्थानों के खिलाफ सख्त कारर्वाई होनी चाहिए।
उन्होंने मांग की है कि स्कूली शिक्षण संस्थानों द्वारा ली जाने वाली फीस के लिए स्कूल फीस नियामक आयोग का गठन जल्द से जल्द किया जाना चाहिए। हालांकि राज्य शासन इस दिशा में अग्रसर है लेकिन अब तक आयोग का गठन नहीं होने से पालक इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द फीस नियामक आयोग का गठन कर स्कूल और कोचिंग माफिया से प्रदेश की जनता को मुक्ति दिलाएं।