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नई दिल्ली. 20 साल कोटक महिंद्रा के बैंक के शीर्ष अधिकारी रहने के बाद उदय कोटक ने सीईओ और एमडी के पद से इस्तीफा दे दिया है. उनक कार्यकाल इस साल के अंत तक था लेकिन उन्होंने कहा कि वह निजी कारणों से 3 महीने पहले ही खुद को इन जिम्मेदारियों से मुक्त कर रहे हैं. कोटक महिंद्रा बैंक को लाइसेंस 2003 में मिला था और आज यह देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक है. बैंक में उदय कोटक की हिस्सेदारी 26 फीसदी है जिसकी मौजूदा वैल्यू 3.5 लाख करोड़ रुपये है. बैंकिंग के क्षेत्र में झंडे गाड़ने वाले देश के इस शीर्ष बैंकर सपना कभी इस सेक्टर में आने का था ही नहींवह तो क्रिकेटर बनना चाहते थे. इसके लिए उनकी तैयारी भी चल रही थी. वह दिग्गज कोच रमाकांत आचरेकर के मार्गदर्शन में क्रिकेट सीख रहे थे. रमाकांत आचरेकर (1932-2019) के बारे में जो लोग नहीं जानते उन्हें बता दें कि वह भारत रत्न सचिन तेंदुलकर के कोच रहे हैं. वह खुद द्रोणाचार्य व पद्म श्री सम्मान से सम्मानित हैं. आचरेकर पूर्व भारतीय गेंदबाज अजित अगरकर और सचिन के ही साथ खेले विनोद कांबली के भी कोच थे. ऐसे दिग्गज से क्रिकेट की एबीसीडी सीख रहे उदय कोटक के जीवन में अचानक एक दुर्घटना घटी जिसने उनका सपना ही तोड़ कर रख दिया और वे फिर कभी क्रिकेट नहीं खेल सके.क्या हुआ था?
70 के दशक में उदय कोटक क्रिकेट की कोचिंग ले रहे थे. एक दिन बैटिंग करते समय एक तेज बॉल उनके सिर पर आकर लगी. वह मैदान पर ही बेहोश हो गए. उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां चोट की गंभीरता को देखते हुए सर्जरी करनी पड़ी. कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो इस घटना में उदय कोटक की जान बाल-बाल बची. इसके बाद फिर वह कभी पेशेवर रूप से क्रिकेट नहीं खेल पाएपिता के कहने पर अपना बिजनेस
कोटक ने मुंबई के जमनलाल बजाज इंस्टीट्यूट से मैनेजमेंट स्टडीज और सिडनहेम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स से अपनी पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने नौकरी करने की सोची लेकिन उनके पिता ने उन्हें अपना बिजनेस करने की सलाह दी. साथ ही बिजनेस सेटअप करने के लिए 300 वर्ग फीट का ऑफिस स्पेस भी दिया. कोटक ने 23 साल की उम्र में 1982 में यहां से अपनी फाइनेंशियल कंसल्टेंसी सर्विस की शुरुआत कीआनंद महिंद्रा का सहयोग
कोटक ने 1986 में बिजनेस को आगे बढ़ाने का सोचा और महिंद्रा एंड महिंद्रा के मौजूदा चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने उनकी मदद की. तब आनंद महिंद्रा हार्वर्ड से पढ़ाई पूरी कर के लौटे थे. वह उस समय दोस्त तो नहीं थे लेकिन एक-दूसरे को जानते जरुर थे. महिंद्रा की इस सिलसिले में कोटक से पहली मुलाकात उनकी शादी के रिसेप्शन में हुई थी जहां आनंद महिंद्रा बधाई देने पहुंचे थे. एक साझा मित्र के जरिए महिंद्रा को पता चला कि कोटक बैंक खोलना चाह रहे हैं तो महिंद्रा ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई. बैंक खोलने के लिए 30 लाख चाहिए थे और महिंद्रा ने इसमें 1 लाख रुपये का निवेश किया. इस तरह कंपनी को नाम दिया गया कोटक-महिंद्रा फाइनेंस. हालांकि, तब यह एक गैर-बैंकिंग कंपनी ही थी. इसमें बीमा, इन्वेस्टमेंट, म्यूचुअल फंड और स्टॉक ब्रोकिंग जैसे काम होते थे. 2003 में इसी कंपनी को बैंक का लाइसेंस मिल गया और कोटक-महिंद्रा बैंक का जन्म हुआ.

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