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सत्संग न मिले पर कुसंगत नहीं करना चाहिए

भिलाई- पावर हाऊस स्थित आईटीआई मैदान में चल रहे श्रीराम कथा के चौथे दिन शुक्रवार को कथावाचक ने भगवान श्रीराम के वनगमन के पूर्व घटित विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि व्यक्ति को सत्संग ना मिले तो कोई बात नहीं पर कुसंगत नहीं करना चाहिए।

आचार्य विजय कौशल महाराज ने कहा कि अवधपुरी के राजा दशरथ कितने बड़े पराक्रमी थे, इसका वर्णन पुराणों में मिलता है, जिनके घर पर स्वयं भगवान का जन्म हुआ हो जिनके घर पर जगत जननी बहु बनकर आईं हो उनसे बड़ा कौन हो सकता है, लेकिन इनसे भी भूल हो गई। एक बार की बात है जब राजदरबारियों ने महाराज दशरथ से कहा कि अब समय आ गया है कि राम का राजतिलक कर दिया जाए। अचानक दरबार में उठी इस बात से महाराज दशरथ काफी खुश हुए, लेकिन उन्होंने राम का राजतिलक कल पर टाल दिया क्योंकि वे इस राजतिलक को काफी भव्य बनाना चाहते थे। राजा दशरथ की इस भूल का परिणाम यह निकला कि भगवान को 14 वर्ष वनवास जाना पड़ा।

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