छत्तीसगढ़देश दुनियानई दिल्लीराजनीतिक

रमन सरकार के कार्यकाल मे छग निर्वाचन आयोग द्वारा स्थानीय चुनाव करवाने के लिए खरीदी गयी ई वी एम की जांच हो

पूर्व लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत् ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है की क्या कारण है की इ वी एम की जगह सरकार को बैलेट पेपर का इस्तेमाल करना पड़ा जिस पर पलट वार करते हुए जिला कांग्रेस कमेटी दुर्ग ग्रामीण के मीडिया प्रभारी जावेद खान ने निगम चुनाव मे इ वी एम की वकालत करने वाली भारतीय जनता पार्टी को यह बताया है की छग निर्वाचन आयोग द्वारा जो इ वी एम मशीन रमन सरकार के कार्यकाल मे बेंगलुरू से खरिदी गयी थी जिस से अभी तक केवल तीन निगम चुनाव हुए है 2015 मे नगर पालिका निगम भिलाई , भिलाई चरौदा और बीरगांव निगम के चुनाव देखने मे ये आया है की इन तिनो चुनाव मे अंडर वोट नामक एक नया शब्द सुनने मे आया था जिसका मतलब सीधा सीधा वोट का निरस्त होना है जब की भारत निर्वाचन आयोग की मशीनो मे वोट निरस्त नही होते थे ये विसंगति क्यो आती है यह जानने की कोशिश किसी ने नही किया और सभी ने अधिकारियों की बातो मे आ कर इस त्रुटि को नजर अंदाज कर दिया लगभग हर पार्षद और महापौर प्रत्याशीयो को अंडर वोट का दंश झेलना पडा, हजारो वोट निरस्त हुए जब की इ वी एम से चुनाव कराने का मकसद ही है की वोट निरस्त ना हो और चुनाव प्रक्रिया शीघ्र अति शिघ्र निपट जाए । हजारों की संख्या मे वोटो का निरस्त होना इ वी एम की प्रासंगिकता पर प्रशन चिन्ह लगाता है जिसे ले कर अंडर वोट को मुद्दा बनाकर वार्ड क्रमांक 69 नगर पालिका निगम भलाई के ,एक वोट से हारे पार्षद प्रत्याशी ने जिला न्यायलय दुर्ग मे याचिका भी दायर किया हुआ है जो अभी भी डी जे कोर्ट मे पेंडिंग है यही सब विसंगति को मद्देनजर रखते हुए अगर भूपेश सरकार ने बैलेट पेपर से निगम चुनाव करवाने का निर्णय लिया है तो यह स्वागत योग्य है।भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेता केवल और केवल मोदी और अमित शाह की लाईन पर चलते हुए इ वी एम का समर्थन कर रहे है जब की वे लोग वास्तविकता से पूरी तरह अनभिज्ञ है उनके भी अपने प्रत्याशीयो को इसका नुकसान झेलना पडता है बेहतर होगा की बैलेट पेपर से चुनाव करवाने के सरकार के निर्णय का स्वागत करे और इस बात की जांच होनी चाहिए की रमन सरकार के कार्यकाल मे छग निर्वाचन आयोग द्वारा खरीदी गयी ई वी एम से क्यो बहुतायत मे वोट निरस्त होते थे आखिर इस त्रुटिपूर्ण मतदान और इस मशीन को खरीदने के लिए कौन लोग जिम्मेदार है इसकी जांच की जाए कयोंकि उ प्र और महाराष्ट्र मे भी निगम चुनाव इसी तरह के ई वी एम से हुए थे कंही केन्द्र सरकार ने सभी भाजपा शासित राज्यो को ये ई वी एम खरीदने दबाव तो नही बनाया था।भाजपा नेताओ को बैलेट पेपर से चुनाव कराने पर पैसे की बर्बादी नजर आ रही है और जो करोडो रू की त्रुटिपूर्ण, बहुतायत मे वोट निरस्त करने वाली मशीन खरीदी गयी थी उसका पैसा भी तो राज्य के कोष से गया था उसके लिए सरासर रमन सरकार जिम्मेदार है।

Related Articles

Back to top button