बस्तर दशहरा जोगी बिठाई रस्म आज होगी पूरी

राजा ध्रुव। जगदलपुर-विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की शुरूआत काछनदेवी की रस्म पूरी करने के बाद जोगी बिठाई की रस्म आज पूरी की जााएगी और रिति रिवाज के बीच मनाए जानें वाले बस्तर दशहरें में हर रस्म का अपना खास महत्व होता है.
इसी के तहत जोगी बिठाई की रस्म पूरी की गई. ऐसा माना जाता है कि दशहरा पर्व के दौरान कोई विध्न न हो उसके लिए ये रस्म पूरी की जाती है. काकतीय वंश के राजा पुरूषोत्तम देव के शासन काल 14वीं शताब्दी में शुरू हुई बस्तर दशहरे की परम्परा में जोगी बिठाई की रस्म का आज भी खासा महत्व है. विधि-विधान के साथ बस्तर दशहरे के आयोजन स्थल जगदलपुर के सीरासार चौक भवन के अंदर विशेष तरह का गड्ढा बनाया जाता है
मान्यता के अनुसार इस गड्ढा में हल्बा जाति का एक युवक पूरे नौ दिनों तक बिना कुछ खाए-पिए. मां आदिशक्ति के ध्यान में लगा रहता है. ऐसा माना जाता है कि बस्तर महाराजा के प्रतिनिधी के रूप में निर्जला उपवास करता है. इस कठिन तप के पीछे दशहरा पर्व को निर्विध्न रूप से सम्पन्न कराना मुख्य उद्धेश्य होता है.
अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को निभाई जाने वाली ये रस्म करीब छह सौ साल पुरानी है. समय के साथ-साथ वैसे तो बहुत कुछ बदल जाता है. लेकिन, बस्तर में मनाए जाने वाले दशहरे की खासियत यही है कि रियासतकाल के दौरान जो प्रथा और परम्पराएं बनाई गई उसी के तहत सारी रस्मों को पूरा किया जा रहा हैं. यानि अलग-अलग रस्म को निभाने के लिए अलग-अलग जाति के लोग पीढ़ी दर पीढी मां की सेवा कर रहे हैं.
जोगी बिठाई की इस रस्म के बाद रविवार से दंतेश्वरी माई की परिक्रमा करने के लिए रथ परिक्रमा शुरू होगी जो पंचमी तक चलेगी.




