छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में दर्शन करने एक साथ नहीं जाते हैं भाई-बहन
सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़ रायपुर- छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 36 किमी दूर स्थित है प्राचीन नगरी आरंग। इसे मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। यहां ‘भाण्ड देवल’ एक ऐसा मंदिर है, जहां भाई-बहन का एक साथ प्रवेश वर्जित है। एक हजार साल से अधिक पुराने इस मंदिर में महिलाओं ने कभी भी पूजा अर्चना नहीं की।
पुरातत्ववेत्ताओं और इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण दसवीं शताब्दी में हैहय वंशीय शासकों ने कराया था। भाण्ड देवल जैन मंदिर है। इसके गर्भगृह में तीन तीर्थंकरों की कायोत्सर्ग मुद्रा वाली काले ग्रेनाइट से निर्मित मूर्तियां स्थापित हैं, जहां महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है।
पश्चिममुखी यह मंदिर ऊंची जगत यानी चौरे पर स्थापित होने के साथ ही खंडित हो चुका है। पुरातत्ववेत्ता अरुण कुमार शर्मा के अनुसार नागर शैली में निर्मित भाण्ड देवल मंदिर को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया है। बीते कुछ वर्षों से यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा यह संरक्षित है। जब से इसे राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया है तब से किसी को पूजा-अर्चना नहीं करने दिया जाता। ऐसा कहा जाता है कि यह छत्तीसगढ़ का एकमात्र ऐसा मदिर हैं, जहां महिलाओं को दर्शन-पूजन की अनुमति कभी नहीं मिली।
इस वजह से यहां एक साथ नहीं आते हैं भाई-बहन
आरंग के इतिहास के जानकार शिक्षक अरविंद कुमार वैष्णव बताते हैं कि गर्भगृह में दिगंबर जैन मूर्तियां, मंदिर की बाहरी दीवार पर आलिंगनरत मैथुन मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। साथ ही गजावली, अश्वावली, हंसावली नृत्य-संगीत के दृश्य, कीर्तिमुख आदि का अंकन है।
इस वजह से भाई-बहन का एक साथ प्रवेश वर्जित किया गया है। उन्होंने बताया कि यह मंदिर विश्व प्रसिद्ध खजुराहो शैली में बना है। छत्तीसगढ़ के खजुराहो कहे जाने वाले कवर्धा के भोरमदेव मंदिर से भी यह आकर्षक है, लेकिन खंडित होने के चलते इस ऐतिहासिक मंदिर को उतनी प्रसिद्धि नहीं मिल पाई, जितनी भोरमदेव मंदिर को मिली।
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