सेवाभाव ही परम धर्म है : पं. आदिश जैन
सेवाभाव ही परम धर्म है : पं. आदिश जैन
संस्कार शिक्षण शिविर मे पं. आदिश शास्त्री ने आज के शिविर मे अपने सम्बोधन मे कहा की आज सेवा हमारा परम कर्तव्य है हमें अपने घर में माता पिता की अपनों से बड़ों की हमेशा सेवा करनी चाहिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति के हित में सेवा कार्य हमें करना चाहिए हमें जागरूक होना चाहिए जिनको हमारी आवश्यकता है उनकी हमें सदैव सहायता करनी चाहिए सेवाभाव मात्र मनुष्यों में न होकर पशु पक्षियों सें भी होना चाहिए हम क्या कर सकते इन सबके लिए हमें ऐसे भीषण गर्मी में पशु पक्षियों के लिए अपने घर के सामने जल भरकर रखना चाहिए उनके लिए दाने आदि की व्यवस्था करनी चाहिए ऐसे पक्षियों ऐसे पशुओं की हमें तन मन धन से सेवा करनी चाहिए गौशाला आदि में दान देकर उन्हें इलाज व्यवस्था आदि की सेवा देनी चाहिए। सेवा का भाव व्यक्ति को जीवन में सर्वाधिक आत्म संतोष प्रदान करने के साथ आत्म प्रेरणा का भाव जागृत भी करता है सेवा करने के लिए सबसे प्रमुख गुणों में सहनशीलता तथा धैर्य का होना परम आवश्यक है इनके साथ ही ईमानदारी ,समर्पण ,विनम्रता ,आत्मविश्व,करुणा ,दया जैसे विलक्षण गुणों से युक्त व्यक्ति निस्वार्थ भाव से सेवा कर सकता है।श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन बड़े मंदिर पंचायत ट्रस्ट के अध्यक्ष संजय जैन नायक एवं उपाध्यक्ष श्रेयश जैन बालू ने बताया की शिविर मे भाग लिए बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम मे नवदेवताओं पर चित्रकला प्रतियोगिता का योजना 4 मई को किया गया था 5 मई को आरती की थाली सजाओ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है सभी के परिणाम एवं पुरस्कार शिविर के अंतिम दिन 8 मई को दिए जायेंगे साथ ही शिविर मे भाग लेने वालो को पं. पूज्य चार्य शिरोमणि आचार्य श्री विद्या सागर महाराज जो की वर्तमान मे डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ मे विराजमान है उनके दर्शन हेतु सड़क मार्ग सें एक बस 8 मई को सुबह 7 बजे बड़े मंदिर सें जाएगी…
सूचनादाता
संजय जैन नायक (अध्यक्ष )
श्रेयश जैन (उपाध्यक्ष )
श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर पंचायत ट्रस्ट मालवीय रोड रायपुर