छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर जिला कांग्रेस कमेटी भिलाई के प्रवक्ता जावेद खान ने कहा है कि निर्भीक पत्रकारिता के लिए पत्रकारों को सुरक्षा उपलब्ध कराना सरकार का दायित्व

भिलाई : यूनेस्को की सिफारिश पर संयुक्त राष्ट्र संघ की समान्य सभा ने सन् 1993 को यह घोषणा करी की तीन मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मानाया जाएगा इसका उद्देश्य प्रेस के लोगो की सुरक्षा और सच्चाई के लिए कुर्बान हो चुके विश्व के नामी गिरामी पत्रकारो को याद कर के उन से प्रेरणा लेते हुए पत्रकारिता को निर्भिकता के साथ ऊंचे से ऊंचे मुकाम पर पंहुचाना है।

भारत जैसे लोकतांत्रिक देश मे पत्रकारिता ( प्रेस)को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ यूं ही नहीं कहा गया है अगर लोक तंत्रिक नजरिये से देखा जाए तो आजादी के बाद से ही प्रेस ने निर्भिकता के साथ मौजूदा सरकारो को पारदर्शिता लाने पर विवश किया है ,पूर्व की सरकारे भी प्रेस की स्वतंत्रता की हमेशा पक्षधर रही है मुझे याद आता है 2004 से 2014 तक का वह दौर जब प्रेस आक्रमक मुद्रा मे रही और जब विपक्ष मे रहे दल ने प्रेस के द्वारा उछाले गये मुद्दो को लेकर तत्कालीन सरकार को घेरना शुरू कर दिया लेकिन अफसोस की जब यही विपक्षी 2014 मे जब सत्ता मे आये तो इन्होने सबसे पहले प्रेस को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने की परम्परा बना दी जो आज भी बदस्तूर जारी है इसी का प्रतिफल है कि हिंदी क्षेत्र के बड़े अखबारों को आज टारगेट किया जा रहा है।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी हमेशा से ही प्रेस की स्वतंत्रता की पक्षधर रही है जिसके फलस्वरूप ही सन् 2005 मे तत्कालीन प्रधानमंत्री डा मनमोहनसिंह ने शासन मे पारदर्शिता लाने के लिए सूचना के अधिकार कानून को कानूनी मान्यता दी लेकिन पिछले कुछ वर्षो से प्रेस का घुर्विकरण करने की पुरी कोशिश मौजूदा केन्द्र सरकार द्वारा की गयी है जिसमे बहुत हद तक वो सफल भी हुए हैं लेकिन आज भी पत्रकारिता से जुडे हुए कुछ चुनिंदा पत्रकार है जो सरकार से निरंतर दो दो हाथ करते हुए लोकतंत्र का अलख जलाए हुए है ।

उत्तर प्रदेश जैसे बडे राज्य मे सबसे ज्यादा पत्रकारो को प्रताड़ित किया जा रहा है जो की बेहद निंदनीय है मौजूदा केन्द्र सरकार चाहती है की पत्रकारिता को दफन कर के पत्रकारो का कारपोरेट की तरह इस्तेमाल किया जाए जो की पत्रकारिता जैसे व्यवसाय के खिलाफ है , जिसके लिए बहुत से पत्रकारो ने अपनी जान की बाजी लगा दी लेकिन इसके ठीक विपरीत छग के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने चुनावी घोषणा पत्र के वायदे के अनुरूप छग मे पत्रकारों के लिए छग पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की घोषणा की है जिसके लिए जस्टिस अफताब आलम की अध्यक्षता मे एक कमेटी का गठन किया गया था|

जिसकी अनुशंसा पर छग मे पत्रकार सुरक्षा कानून को कानूनी अधिकार देते हुए लागू किया गया है बेशक कांग्रेस की सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इसके लिए बधाई के पात्र है और आज के दौर मे प्रजातांत्रिक मुल्यो पर विश्वास रखने वाली
सभी सरकारो का यह कर्तव्य बनता है की प्रजातंत्र की खूबसूरती और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रेस को स्वतंत्र और सुरक्षित माहौल प्रदान करे।

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