कैट ने पीयूष गोयल को पत्र भेजकर ई-कॉमर्स नीति एवं नियमों को शीघ्र लागू करने की माँग की
दुर्ग :कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के दुर्ग इकाई अध्यक्ष मोहम्मद अली हिरानी , कार्यकारी अध्यक्ष पीयूष देसलहरा , महामंत्री महेश गनेशानि,कोषाध्यक्ष आशीष निमजे, मीडिया प्रभारी अनिल बल्लेवार , पवन बडजात्या , संजय चौबे , प्रकाश सांखला , प्रहलाद रुंगटा , दर्शन लाल ठाकवानी, प्रकाश आहूजा , और राजेश राजा ने बताया कि आज कनफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज वाणिज्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र भेजकर भारत में ई-कॉमर्स व्यापार को सुव्यवस्थित करने से संबंधित तीन सबसे महत्वपूर्ण नीतिगत पहलुओं जिनमें उपभोक्ता क़ानून के अंतर्गत ई कॉमर्स नियम, ई-कॉमर्स नीति एवं ई-कॉमर्स में एफडीआई नीति पर एक नए प्रेस नोट को लागू करने की ओर उनका ध्यान दिलाते हुए कहा की जिस प्रकार से विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियाँ अपनी मनमानी कर रही हैं, उस पर लगाम लगाने के लिए ई-कॉमर्स नीति एवं नियमों को तुरंत लागू करना आवश्यक हो गया है। देश भर में व्यापारी विदेशी ई-कॉमर्स के हाथों पहले ही बहुत उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। व्यापारिक समुदाय कई वैश्विक ई-कॉमर्स दिग्गजों द्वारा कानूनों और नियमों के बड़े पैमाने पर उल्लंघन से बुरी तरह प्रताड़ित हो रहा है।
कैट के दुर्ग इकाई अध्यक्ष और महामंत्री महेश गनेशानि और प्रहलाद रुंगटा ने कहा की यह अत्यंत खेद की बात है कि दो साल से अधिक समय से विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कई बार पीयूष गोयल की सख्त और स्पष्ट चेतावनियों के बावजूद ई-कॉमर्स कंपनियां नियमों एवं कानूनों का खुला उल्लंघन कर रही है जिसने एक तरह से देश के ई-कॉमर्स व्यापार में “माई वे या हाईवे“ जैसी स्थिति पैदा कर दी है।
प्रकाश सांखला और संजय चौबे और अनिल बल्लेवार ने कहा की ई-कॉमर्स के माध्यम से कोई भी एफडीआई भारत में प्रवेश नहीं कर रहा है, बल्कि एफडीआई की आड़ में आने वाले पैसे का इस्तेमाल ई-कॉमर्स कंपनियां कैश बर्निंग या उनके द्वारा किये गए भारी नुकसान की भरपाई करने के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा की भारत में ई-कॉमर्स लोकतंत्र से बिल्कुल भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए।पीयूष देसलहरा और आशीष निमजे ने कहा कि कैट का आग्रह है की ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे में सख्त प्रावधान को ई-कॉमर्स नियमों में या ई-कॉमर्स नीति में या एफडीआई नीति में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए। भारत में समान स्तर का ई-कॉमर्स व्यवसाय प्रदान करने के लिए ई-कॉमर्स को एक समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
पवन बडजात्या और दर्शन लाल ठाकवानी ने कहा कि अब यह स्पष्ट है कि कई विदेशी वित्त पोषित ई-कॉमर्स कंपनियां अपने व्यवसाय प्रथाओं में लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, गहरी छूट, हानि वित्तपोषण, एक्सक्लूसिविटी, इन्वेंट्री का मालिक होना और तरजीही विक्रेता प्रणाली को खुले रूप से अपनाये हुए हैं। कैट का स्पष्ट मत है कि भारी छूट और फ्लैश बिक्री पर रोक लगाने वाले प्रावधान, ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस को उनके प्लेटफॉर्म पर बेचे जाने वाले सामान की गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार बनाना, ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा मजबूत शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना, बाजार-विकृतियों को रोकना, माल और सेवाओं की गलत बिक्री, उनके प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत सभी विक्रेताओं के साथ समान व्यवहार और वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री के लिए विक्रेताओं का चयन करने की स्वतंत्रता वाली गतिविधियों पर रोक लगाने हेतु नियमों एवं नीति में शामिल करना बेहद जरूरी है अन्यथा फिर किसी भी नियम एवं नीति का कोई महत्व ही नहीं रह जाएगा !
प्रकाश आहूजा और राजेश राजा ने कहा की कैट व्यापारियों के लिए किसी विशेष उपकार के लिए आग्रह नहीं कर रहा हैं बल्कि देश के नियमों एवं कानूनों का अवश्य पालन किये जाने हेतु जोर दे रहा है जिससे देश के घरेलू व्यापारियों को “डिजिटल इंडिया“ के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के अनुसार ई-कॉमर्स को बड़े पैमाने पर अपनाने की सुविधा मिले । यदि ई-कॉमर्स को समान स्तर का व्यापार करने का मौका नहीं दिया जाता है तो देश के व्यापारियों को ई-कॉमर्स कंपनियों के जोड़-तोड़ और अनैतिक व्यवसाय प्रथाओं के कारण चरणबद्ध तरीके से अपने व्यवसाय को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। कैट को यकीन है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की ऐसी मंशा नहीं होगी।