NTPC सीपत द्वारा राखड़ उपयोगिता बढ़ाने तथा राखड़ डैम में अस्थायी धूल उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न पहल।

NTPC सीपत द्वारा राखड़ उपयोगिता बढ़ाने तथा राखड़ डैम में अस्थायी धूल उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न पहल।
भूपेंद्र साहू।
ब्यूरो चीफ बिलासपुर।
NTPC सीपत कोयला आधारित बिजली संयंत्र है, जहां बिजली उत्पादन के दौरान सह उत्पाद के रूप में राखड़ उत्पन्न होता है। कोयला दहन से सह-उत्पाद के रूप में निकलने वाला राखड़ दो श्रेणियों बॉटम ऐश और फ्लाई ऐश के अंतर्गत आता है।
राख का 100% प्रतिशत उपयोगिता बढ़ाने के लिए NTPC द्वारा विभिन्न अनुसंधान किए जा रहे हैं और NTPC सीपत में भी राख उपयोगिता बढ़ाने के लिए कई नवोन्मेषी पहल किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत लाइट वेट एग्रीगेट्स (LWA), ऐश टू सैंड प्रोजेक्ट, जियो पॉलीमर कंक्रीट रोड और नैनो कंक्रीट एग्रीगेट (NACA) और राख ईंट निर्माण संयंत्र की स्थापना की गई है। .
विभिन्न निर्माण उद्योग में राख के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए NTPC में पहली बार ये पहल की गई थी ताकि उपयोगी मिट्टी/पत्थर को काफी हद तक कम किया जा सके, यानी ईंटों के निर्माण के लिए ऊपरी मिट्टी की खुदाई को रोका जा सके और फ्लाई ऐश के उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके।
इसके अलावा, NTPC सीपत रेलवे वैगनों में राख लोड करने और थोक में राख भेजने के लिए रेल लोडिंग सुविधा की स्थापना के साथ बड़े पैमाने पर राख के उपयोग को बढ़ाने का भी प्रयास कर रहा है। कंपनी ने मानिकपुर कोरबा में खाली पड़े एक कोयला खदान में राख (बैकफिलिंग/स्टोइंग) के लिए समझौता ज्ञापन (MOU) पर भी हस्ताक्षर किया है।
इनके अलावा NTPC सीपत एनएचएआई की बिलासपुर-पथरापाली और रायपुर-कोडेबाद जैसी परियोजनाओं को राख की आपूर्ति करता है।
वर्तमान में, यह रायपुर-धमतरी, बिलासपुर-उरगा और रायपुर-विशाखापत्तनम भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण I परियोजनाओं में राख की आपूर्ति कर रहा है।
NTPC सीपत में 3 ऐश डाइक हैं। इन क्षेत्रों में अस्थायी धूल उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न पहल की जा रही हैं। जिसमें मुख्य है राख की धूल को रोकने के लिए फॉग कैनन का उपयोग, मिट्टी को रोकने के लिए बेशरम वृक्षारोपण, राख के पानी के पुनर्चक्रण पाइपों से डिस्चार्ज लेने के लिए स्प्रिंकलर सिस्टम की स्थापना, राख की सतह को तिरपाल शीट से ढंकना, पवन अवरोधकों की स्थापना, तालाब बनाना इत्यादि।
राखड़ बांध से राख के परिवहन में लगे वाहनों में तिरपाल ढँककर परिवहन किया जाता है, साथ ही परिवहन मार्ग पर निरंतर पानी का छिड़काव कर धूल एवं राख को उड़ने से बचाया जाता है। जिससे आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखा जा सके।
लैगून की अधिकतम सतह को जलमग्न रखने के लिए लैगून में जल स्तर को बनाए रखा जाता है और सतह को नम रखने के लिए लैगून की खुली सतह पर पानी छिड़कने के लिए टैंकरों को भी लगाने का प्रस्ताव है।
हाल ही में, NTPC द्वारा निरंतर अनुवर्ती कार्रवाई पर, सीईसीबी (छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड) NTPC को बिश्रामपुर और दुग्गा खानों में राख की डंपिंग के लिए क्रमशः 4.99 एलएमटी और 48.9 एलएमटी की खुली खदानों का आवंटन किया है। इसके बाद, इन खदानों में जल्द से जल्द राख भरने के लिए पर्यावरण अध्ययन, राख परिवहन के आरसीआर मोड के लिए पीआर (प्रदर्शन अनुपात) बढ़ाने, समझौता ज्ञापन आदि पर हस्ताक्षर करने जैसी गतिविधियां शुरू की जा चुकी हैं।
इन प्रयासों से आने वाले समय में राखड़ उपयोग के लक्ष्य को प्राप्त करने एमओईएफ अधिसूचना का अनुपालन करने तथा सभी मोर्चो पर राखड़ उपयोग को बढ़ावा देने के लिए NTPC सीपत के द्वारा किए जा रहे विभिन्न प्रयासों का सार्थक परिणाम प्राप्त होगा।