लवे ट्रेनों में स्पेशल का टैग लगाकर लगातार काट रही है लोगों की जेब कोरोना की भयावहता नियंत्रित होने के बावजूद रेलवे नहीं दे रहा राहत यात्रियों से 10 के बजाय न्यूनतम किराया 30 रुपए की हो रही वसूली
भिलाई। कोरोना के बाद से ही रेलवे साधारण टे्रनों को भी स्पेशल का टैग लगाकर लगातार लूटने का कार्य कर रही है। लोगों को मोदी सरकार से बड़ी उम्मीदें थी लेकिन वे लोगों की उम्मीदों पर खरे नही उतर रहे है। रेल प्रशासन के लोग खुद ही रेलवे की लुटिया डुबोने में लगे हुए है। रेल प्रशासन की उदासीनता के कारण लोग अब लोगों की रेलवे से लगातार दूरियां बढते जा रही है, जो अमीर लोग है वे ट्रेनों के लगातार कैंसल होने और अत्यधिक लेट लतीफी के कारण या तो एरोप्लेन से जाना पसंद कर रहे है या खुद के चार पहिया वाहन से जाना पसंद कर रहे है इसके कारण रेलवे को भारी नुकसान हो रहा है। दिन प्रतिदिन लोगों की नाराजगी सीधे मोदी सरकार पर दिख रही है और अगले साल मई तक लोकसभा चुनाव होने वाला है। पिछले 70 सालों में जो रेलवे पर लोगों ने विश्वास जताया था अब वह पूरी तरह खत्म होते जा रही है। अभी भी पीएम मोदी जी और रेल मंत्री ने इसपर ध्यान नही दिया तो अभी जो थोड़ी बहुत शाख बची है वह भी खत्म हो जायेगी। लोग तभी तो जहां कोरोना काल में लोगों को राहत देने के बजाय लूटने का काम शुरू रेलवे ने की थी वह आज तलक जारी है।
एक तो भारतीय रेलवे अब भगवान भरोसे हो गई है, कभी भी कोई भी टे्रन कोई ना कोई बहाना बनाकर कई कई दिनों तक टैने कैसिंल हो जा रही है, दूसरी बात ये कि ट्रेनों का आने जाने का कोई समय नही है, 8 से 10 घंटे तक टे्रने लेटलतीफी का शिकार हो रही है। ट्रेनों के अत्यधिक लेट लतीफी के कारण बिलासपुर में गत माह हुए नौकरी के लिखित परीक्षा और साक्षात्कार में हजारों युवा वंचित हो गये जिसको लेकर दुबारा परीक्षा कराने की मांग करते रहे। एक तो टै्रनो के टाईमिंग का लफड़ा उपर से स्पेशल का टेैग लगाकर लोगों की जेब काटना अब अत्यधिक भारी पडऩे लगा है।
यहां तक कि लोकल टे्रनों से प्रतिदिन राजनांदगांव,दुर्ग से रायपुर,सिलतरा व अन्य स्थानो पर तथा, भाटापारा से लेकर राजनांदगांव तक डयूटी करने वाले लोग भी अब लोकल ट्रेनों की लेटलतीफी के कारण प्रतिदिन डयूटी लेट होने के कारण महिना में कई कई हजार रूपये कंपनी से उनका तनख्वाह कट जा रहा है इसके कारण प्रतिदिन डयूटीरत लोग अपना जान जोखिम में डानकर बाईक से आना जाना या डेढ दो घंटा पहले मिनी बसों से आना जाना कर रहे है जिसके कारण रेलवे को लाखों रूपये हर महिना नुकसान उठाना पड़ रहा है। रेलवे अपनी व्यवस्था सुधारने के बजाय फिर यात्रियों की जेब काटने पर तुल गई है और फिर कुछ लोकल टे्रनों में स्पेशल का टैग लगाकर लूटने का काम करने जा रही है।
ट्रेनों को स्पेशल का टैग आल इंडिया सहित रेलवे के बिलासपुर जोन अंतर्गत चलने वाली लोकल ट्रेनों से स्पेशल का टैग खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। स्पेशल का यह टैग आम आदमी के जेब पर अब बहुत अधिक भारी पडने लगा़ है। कोरोना का संक्रमण की भयावहता भले ही खत्म हो गया, लेकिन लोकल ट्रेनों में बढ़ा हुआ किराया अब तक वापस नहीं हुआ। न्यूनतम किराया अभी भी 10 के बजाय 30 रुपए की वसूली होने से आम यात्रियों को राहत नसीब नहीं हो पा रही है। आज भी दुर्ग से रायपुर का लोकल टे्रन का किराया सर्च करे तो 10 ही रूपये बताता है लेकिन रेलवे आज भी टिकिट 30 रूपये वसूल रहा है, वहीं एक्सप्रेस का किराया जो 30 रूपये था वह 60 से 70 रूपये वसूल रही है। ज्ञातव्य हो कि कोरोना काल से पहले लोकल ट्रेनों में न्यूनतम किराया 10 रुपए था। लेकिन कोरोना काल में लंबे लॉकडाउन के बाद जब यात्री ट्रेनों का पुन: परिचालन शुरू हुआ तो स्पेशल का टैग लगा दिया गया। इ
सके चलते लोकल ट्रेनों का न्यूनतम किराया 10 रुपए से बढ़ाकर 30 रुपए कर दिया गया। रेलवे बोर्ड ने निरस्त सभी ट्रेनों को दोबारा चलाने की हरी झंडी दिखाई तो इस बात की उम्मीद जगी कि किराया सामान्य हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रेलवे अभी भी भिलाई पावरहाउस से महज पांच किलोमीटर दूर भिलाई या भिलाई नगर स्टेशन जाने के लिए अपने यात्रियों से 10 की बजाय 30 रुपये वसूल रहा है। जबकि पूर्व में लोकल ट्रेन में भिलाई से रायपुर या दुर्ग आने -जाने के लिए महज 10 रुपए किराया लगता था।
ज्ञातव्य हो कि स्थानीय रेलवे के द्वारा बिलासपुर से डोंगरगढ़ के बीच चलाए जाने वाले लोकल ट्रेनों में भिलाई-दुर्ग से बड़ी संख्या में आम लोग सफर करते हैं। लोकल ट्रेनों का ठहराव सभी स्टेशनों पर होने से स्थानीय स्तर पर सफर करने वालों के लिए एक्सप्रेस श्रेणी की ट्रेनें उपयोगी नहीं रहती। लेकिन ऐसे लोगों को अपनी सुविधा के अनुसार लोकल ट्रेनों में सफर करने के लिए न्यूनतम किराया 30 रुपए देना पड़ रहा है। जबकि कोरोना काल से पहले यही किराया 10 रुपए था।
हालांकि रेलवे की ओर से एक्सप्रेस ट्रेनों का न्यूनतम किराया भी फिलहाल 30 रुपए रखा गया है। एक्सप्रेस ट्रेन में दी जा रही यह राहत भिलाई पावर हाउस या दुर्ग से सीधे रायपुर आने जाने वालों के लिए फायदेमंद है। लेकिन लोकल ट्रेनों में नजदीकी छोटे स्टेशन के सफर करने वालों को भी 30 रुपए न्यूनतम किराया देने से नुकसान उठाना पड़ रहा है।
यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि मिनी बस अथवा आटो में दुर्ग से भिलाई पावरहाउस का किराया 20 रुपए लगता है। जबकि लोकल ट्रेनों में इस दूरी के सफर में 30 रुपए खर्च करना पड़ रहा है। इसी तरह भिलाई पावर हाउस से भिलाई.3 के लिए आटो वाले महज 10 रुपए ले रहे हैं और लोकल ट्रेन में 20 रुपए अधिक लग रहा है। जबकि हमेशा से सड़क परिवहन के लगने वाले किराये के मुकाबले रेल का सफर सस्ता रहा है। लेकिन कोरोना संक्रमण की भयावहता नियंत्रित होने और रेलवे द्वारा यात्रियों के लिए लागू की गई बंदिशों में दी जा चुकी ढील के बावजूद लोकल ट्रेनों से स्पेशल का टैग हटाकर पहले की तरह किराये में राहत नहीं दिया जाना समझ से परे बना हुआ है।
रेलवे से पत्रकार भी नाराज,
कोरोना के पहले एक तो सीनियर सीटीजन और अधिमान्य पत्रकारों को किराया में रेलवे कनशेसन दिया करता था लेकिन कोरोना में ये कनशेसन खत्म कर दिया गया था जो कोरोना खत्म होने के बाद भी शुरू नही किया गया। वरिष्ठ नागरिकों का रियायत देने की घोषणा तो सरकार ने की है लेकिन अधिमान्य पत्रकारों को रियायत देने की घोषणा नही करने से पत्रकार भी रेलवे से बेहद नाराज है।
चर्चा चौराहे की: सब प्राईवेटेशन का चक्कर है,
चौक चौराहों और पेन ठेलों पर लोगों से रेलवे द्वारा स्पेशल टैग लगाकार अत्यधिक किराया वसूलने एवं अचानक कई कई दर्जन ट्रेनों को कैंसल करने व अत्यधिक लेटलतीफी का कारण पर चर्चा करने पर लोगों का साफ कहना है कि रेलवे की लुटिया डुबाने का कार्य केन्द्र सरकार स्वयं कर रही है, दक्षिण पूर्व सहित देश के किसी भी रेलवे जोन का इसमें हाथ नही है, वे तो सरकारी कर्मचारी है, जैसा शासन से उनको आदेश आयेगा वे उसका पालन करने मजबूर है, इसके पीछे मोदी सरकार की सुनियोजित साजिश है कि रेलवे को किसी तरह का घाटा दिखाकर उसको प्राईवेटेशन करना है।
आज देश की कई रेलवे स्टेशनों को आडानी को दे दिया गया और जहां जहां भी रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे प्राईवेटेशन किया गया है वहां प्लेटफार्म का किराया बिना किसी सुविधा बढायेे 50 रूपये कर दिया गया है। अब प्लेटफार्म पर जो फ्री में रूकते थे उसमें भी प्रतिघंटे चार्ज लगा दिया गया है,वहीं एयरपोर्ट में भी भारी भरकम राशि वसूल किया जा रहा है। यह सब इस लिए किया जा रहा है कि लोग रेलवे से दूरी बनाये जिसके कारण और अत्यधिक घाटा दिखाकर उन सभी को प्राईवेट किया जा सके। लोगों ने यह भी कहा कि इनसे अच्छे तो लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे जो रेलवे हो हमेशा घाटा दिखाने वाले को मात देखकर सैकड़ों करोड़ मुनाफा करवाये थे। रेलवे को प्राईवेटेशन करने के पीछे सब उपरी लेबल पर कमीशन का खेल है।