सामाजिक कार्यक्रमों में सबको सहभागिता निभानी चाहिए । देह छोड़ने से पहले डां भीमराव आंबेडकर हिंदी समाज को एक नई दिशा देना चाहते थे – :- चंद्रशिला जायसवाल तहसीलदार चांपा
*समर्पण की स्याही ! रंगोली बनाकर , दीप जलाकर , ध्वज लगाकर और मातृशक्ति के द्वारा एकजुटता से बहनों को एकत्रित कर सेवा की कहानी ।*
न्यूज़ चांपा । सामाजिक समरसता के पुरोधा भारतरत्न डाक्टर भीमराव आंबेडकर की 133 वीं जन्म-जयंती समारोह भारतीय जनता पार्टी की मातृ संस्था भाजपा महिला मोर्चा द्वारा पूरे भारतवर्ष में मनाई जा रही हैं । समाज को समरसता के एक सूत्र में पिरोकर उसे संगठित और सशक्त बनाने वाले महानताओं में डाक्टर भीमराव आंबेडकर जी एक हैं । भारत के संविधान को बनाने, उसे अपनी बुद्धिमत्ता से गढ़ने डां आंबेडकर यानि वह महान विभूति जो आने वाले युग की झलक भांपकर देश को उसके अनुसार बढ़ने प्रेरणा देती रही , ऐसे प्रखर राष्ट्रवादी नक्षत्र , युगदृष्टा के 133-वीं भाजपा संगठन के द्धारा सामाजिक न्याय समरसता पखवाड़ा के रुप में आयोजित किया जा रहा हैं । यह आयोजन दिनांक 04 अप्रैल से 14 अप्रैल , 2023 तक किया जा चल रहा हैं । उक्त बातें भाजपा महिला मोर्चा प्रदेश कार्य समिति की ऊर्जावान सदस्या श्रीमति संगीता-सुरेश पाण्डेय ने कही । श्रीमति पाण्डेय जी के निवास स्थल पर मातृशक्ति की एक संगोष्ठी आयोजित हुई । गोष्ठी में समाज में एकता का भाव जाग्रत करने तथा मातृ-शक्तियों के योगदान विषय पर सभी ने अपनी अपनी राय रखी । श्रीमति चंद्रशिला जायसवाल , तहसीलदार ने आह्वान किया कि सामाजिक समरसता के कार्य में सबको सहभागिता निभानी चाहिए । अपने जीवनकाल के उत्तरार्ध में भीमराव आंबेडकर जी व्यग्र थे । शरीर छोड़ने से वो वंचित हिंदू समाज को एक दिशा-ज्ञान देना चाहते थे । इसीलिए सब लोगों को साथ लेकर डां आंबेडकर जी ने एक उपासना पद्धति अपनाने का निश्चय किया । धीरे-धीरे इस पद्धति से लाखों अनुयाई जुड़ते चले गये । इंसान मिशनरी ने उनकी भावनाओं को समझा और इसे आत्मसात किया । वास्तव में आंबेडकर जी में हिंदू संस्कृति के प्रति संकल्पना के दर्शन होते हैं । महादेवी महिला साहित्य समिति की अध्यक्षा श्रीमति सुशीला देवी सोनी ने कहा कि डाक्टर भीमराव अंबेडकर जी ने संविधान में सबको समानता का अधिकार दिया हैं । वे भारत के कानून मंत्री भी रहे । भीमराव धार्मिक प्रवृति के थे उनके तीन पुत्र और एक सुपुत्री की छुटपन में ही काल- कवलित हो गये लेकिन जीवनभर उनके प्रति मोह लगा रहा , यह उनकी कर्तव्य-परायण ही थी ।केसरवानी महिला समिति की अध्यक्षा श्रीमति शांता गुप्ता ने कहा कि डा आंबेडकर का भारतीयता के प्रति गहरी आस्था थी । उनका हिन्दुत्ववादी संगठनों से जीवनपर्यंत गहरा लगाव था , हिंदुत्व वादी वीर सावरकर से घनिष्ठ संबंध थे । बौद्ध धर्म में दीक्षा लेने वीर सावरकर ने ही प्रेरित किया । व्याख्याता श्रीमति जयंती देवांगन ने कहा कि समाज में आज भी कुरीतियां , भेदभाव, छूआछूत की भावना विद्यमान हैं , उन्हें दुर करने की सबसे पहले आवश्यकता हैं , इस दिशा में भाजपा महिला मोर्चा की कर्मठ कार्यकर्ता श्रीमति संगीता पाण्डेय का यह कार्य सराहनीय हैं , साधुवाद । सुश्री दिव्या केशरवानी ने बताया कि भीमराव आंबेडकर जी को बाल्यकाल में आंबेडकर उपनाम उनके एक ब्राम्हण शिक्षक ने दिया था ताकि बालक को सामाजिक भेदभाव अधिक ना झेलना पड़े । इस अवसर पर आयोजित सामाजिक समरसता पखवाड़ा कार्यक्रम में महादेवी वर्मा महिला साहित्य परिषद के अध्यक्षा श्रीमति सुशीला देवी सोनी , अक्षर साहित्य परिषद एवं महादेव महिला साहित्य परिषद की कर्मठ सदस्या एवं केशरवानी महिला समिति की अध्यक्षा श्रीमति शांता गुप्ता , श्रीमति रत्ना थवाईत एबीओ श्रद्धा द्विवेदी , व्याख्याता श्रीमति जयंती देवांगन एवम् चंद्रशिला , डॉक्टर निहारिका राठौर , पूर्व जनपद सदस्या श्रीमति शशि राठौर , आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमति रानी सिंग, नन्ही-सी बेटी सुश्री दिव्या केसरवानी ने भी अपनी बात रखी । वक्ताओं ने सामाजिक समरसता पखवाड़ा के अंतर्गत महिला मोर्चा के कार्यक्रमों की प्रशंसा की और बहनों से इससे जुड़ने की अपील की । वैचारिक आदान प्रदान के विभिन्न गोष्ठी का स्वल्पाहार से समापन हुआ । उक्ताशय की सम्यक जानकारी मीडिया प्रभारी प्रेस क्लब चांपा के शशिभूषण सोनी को दी गई हैं ।