अब सहसपुर लोहारा राजा खड्गराज सिंह नही करेंगे रावण दहन
अबअब सहसपुर लोहारा राजा खड्गराज सिंह नही करेंगे रावण दहन सहसपुर लोहारा राजा खड्गराज सिंह नही करेंगे रावण दहन सबका संदेश न्यूज़ छत्तीसगढ़ कवर्धा- पण्डित देव दत्त शर्मा
सहसपुर लोहारा
सहसपुर लोहारा गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी सहसपुर लोहारा के राजा खड्गराज सिंह दशहरा के मौके पर रावण दहन नही करेंगे, बल्कि रावण की अस्थाई प्रतिमा का पूजन करेंगे । उन्होंने इस बार भी बाकायदा घोषणा कर दी है ।
उल्लेखनीय है कि सहसपुर लोहारा स्थित रावण भांठा में रियासतकाल से ही वर्षों पुरानी परम्परा के अनुसार प्रतिवर्ष दशहरा उत्सव के तहत स्थानीय राजा द्वारा रावण का दहन विजयदशमी को किया जाता रहा है । लेकिन बीते दो वर्ष से यहाँ रावण दहन नही किया जा रहा है । स्थानीय राजा खड्गराज सिंह की अगुवाई में दशहरा उत्सव मनाया जाता है और विजयदशमी पर्व के मौके पर उनकी साही सवारी भी नगर भ्रमण में निकलती है जो राजमहल से जमातपारा , राधाकृष्ण मन्दिर होते हुए चांदनी चौक ,महाबीर चौक से होकर वे रावण भांठा तक जाते भी हैं । लेकिन रावण दहन नही करते बल्कि रावण की अस्थाई प्रतिमा का पूजा अर्चना कर वापस लौट आते हैं ।
इस साल भी उन्होंने यही क्रम दोहराने का ऐलान कर दिया है । वे अपने महल से निकलकर रावण भांठा तक जायेंगे और रावण की पूजा अर्चना कर रावण भांठा से राजमहल मार्ग ,शिव मन्दिर, भगवती मन्दिर ,श्रीराम जानकी मन्दिर होते हुए वापस राजमहल लौट आयेंगे ।
ऐसा माना जाता है कि सहसपुर लोहारा रियासत में 84 गांव आते हैं और इनमें से अधिकांश गाँव के ग्रामीण दशहरा उत्सव की बैठक में भी आते हैं । दशहरे के दिन दूर दराज से ग्रामीण सहसपुर लोहारा का प्रसिद्ध दशहरा और राजा के द्वारा रावण की प्रतिमा का पूजन देखने आते हैं दशहरे के मौके रहती है हजारों की भीड़ ।
*राजा जब रावण भांठा से वापस आते हैं ,तब राजमहल में लगता है राज दरबार और लोग राजा खड्गराज सिंह को शगुन के तौर पर सोनपत्ति ,नारियल ,द्रव्य वगैरह भेंट करते हैं और राजा भी सब की भेंट, उपहार स्वीकार कर सभी को बधाई देते हैं ।
जानकारी यह भी है कि रावण भांठा में रावण की एक अस्थाई प्रतिमा का निर्माण भी करवाया जा रहा है जिसकी पूजा अर्चना राजपुरोहित पण्डित द्वारिका प्रसाद दुबे की उपस्थिति में मंत्रोच्चार से राजा के द्वारा किया जाएगा । भविष्य में रावण की एक स्थाई प्रतिमा का निर्माण आदिवासी समाज के द्वारा चँदा कर बनवाया जायेगा । जिसकी हर साल विजयदशमी पर पूजा अर्चना की जायेगी । रावण की स्थाई प्रतिमा निर्माण के बाद हर साल रावण की अस्थाई प्रतिमा बनाने की आवश्यकता नही होगी ।
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