एनजीटी ने छीना अधिकार, अब जिला स्तर पर नहीं मिलेगी रेत खनन की अनुमति
सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़ बलौदाबाजार- जिले में रेत खदानों के संचालन को अनुमति लेने के लिए अब ठेकेदारों को रायपुर स्थित डायरेक्ट माइनिंग कार्यालय जाना पड़ेगा क्योंकि खदानों को चालू करने की अनुमति अब जिला स्तरीय पर्यावरण कमेटी (दिया) और जिला स्तरीय पर्यावरण मूल्यांकन समिति (डेक) नहीं दे पाएगी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जिला स्तर से यह अधिकार छीनकर अनुमति देने का अधिकार राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (सिया) को दे दिया है।
जिले सहित प्रदेशभर में रेत के अवैध खनन का व्यापार बड़ी तेजी से फल फूल रहा है और ठेकेदार तथा जिलास्तर के अधिकारियों की इसमें साठगाठ की खबरें भी आए दिन सुनने को मिलती रहती हैं। यहां तक के गांवों में पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा भी रायल्टी की रकम में बंदरबांट किया जा रहा है। जिले के आखरी छोर कसडोल क्षेत्र में पिछले वर्ष रेतमाफियों के बीच खूनी संघर्ष तक हुए थे जिसमें रेत डंप करने के लिए सैकड़ों पेड़ काट दिए गए थे। कुल मिलाकर कहा जाए तो संसाधनों को अनुचित दोहन कर खुद का विकास करने में लगे हुए इन सब को ध्यान में रखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जिला स्तर पर पांच हेक्टेयर तक की खदानों के लिए पर्यावरण मंजूरी देने के लिए जिला स्तरीय पर्यावरण कमेटी और जिला स्तरीय पर्यावरण मूल्यांकन समिति के अधिकार पर रोक लगा दी है। अपने आदेश में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रेत खदान को मंजूरी देने का अधिकार छग राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आंकलन प्राधिकरण (सिया) को दे दिया है।
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