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प्रतिबंधित कच्चे लकड़ियों का हो रहा अवैध भंडारण : जिम्मेदार अधिकारीयों ने मूंद रखी है आँखें

राजस्व विभाग व वन विभाग की सांठगांठ से प्रतिबंधित पेड़ो की कटाई धडल्ले से जारी  

पाटन – पाटन अंचल के ग्रामों में धान की फसल के कटते ही खेतों में स्थित बड़े बड़े पेड़ धड़ल्ले से बेखौफ होकर काटें जाने का सिलसिला एक बार फिर बदस्तूर जारी है । बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित पेड़ों की भी कटाई कर अंचल के आरा मिलो में खपाई जा रही है । सूत्रों की माने तो आरा मिल के मालिकों के द्वारा कार्यवाही से बचने प्रतिबंधित लकड़ियों को आरा मिलों के आसपास के स्थानों में भारी भरकम स्टॉक रखा गया है । वही प्रतिबंधित लकड़ियों का परिवहन करती गाडियों को फर्राटे भरते आसानी से देखा जा सकता है। रानीतराई से झाड़मोख्ली जाने वाले मार्ग से लगे तालाब के किनारे बड़ी मात्रा में कहुवा प्रजाति के प्रतिबंधित लकड़ियों का भण्डारण किया गया है।

पाटन अंचल के विभिन्न ग्रामों में इन दिनों लकड़ी कटाई का काम काफी तेजी से चल रहा है । सूत्रों की माने तो प्रतिबंधित पेड़ों की कटाई काम राजस्व विभाग, स्थानीय प्रशासन व वन विभाग के सांठगांठ में चल रहा है । इसलिए कटाई और परिवहन बेरोकटोक के चल रहा है । बता दे कि आरा मिल के मालिकों द्वारा किसानों की पेड़ो को औने पौने दामों में खरीदकर अलग अलग स्थानों में इन लकड़ी को छुपा कर रखा जाता हैं। आरा मिल के मालिकों द्वारा भारी भरकम लकड़ी की स्टॉक रखने की जानकारी राजस्व विभाग व वन विभाग को होने के बाद भी कोई कार्यवाही नही की जाती, जिसके कारण आरा मिल मालिकों की हौसला बुलंद होते जा रहे हैं। मिल मालिकों द्वारा पेड़ो की अवैध कटाई कर आरा मिल में अलग अलग साइज में काटकर मेटाडोर में लकड़ी को भरकर ताल पत्री से ढककर अन्य राज्यो में भेजकर लाखो रुपये का व्यारा न्यारा कर रहे है । जिसके नतीजे हाल ही में एक लकड़ी तस्कर पर छापेमारी को लेकर चर्चा गरम है, सूत्र बताते है मामले को रफा दफा करने में लगभग 1 करोड़ तक रकम खर्च करना पड़ा उस तस्कर को |

आपको बता दें कि राजस्व भूमि से लकड़ी की कटाई को रोकने के लिए राजस्व विभाग जिमीदार है, वही अवैध रूप से हो रहे लकड़ियों के परिवहन पर रोक लगाना वन विभाग की जिम्मेदारी है, लेकिन ये दोनों विभाग लकड़ी कटाई व परिवहन को रोक पाने में हमेशा बौने साबित होते रहे है । जबकि शासन द्वारा वन क्षेत्र को बढ़ाने के नाम पर अरबों खरबों खर्च कर वृक्षारोपण सहित कई और अन्य योजनाएं संचालित कर रही है। किंतु इनका कोई भी सार्थक परिणाम सामने नहीं आ रहा है, सही मायने में कहा जाए तो वन विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों आरा मिलों के संचालन की अनुमति दी हुई है लेकिन उन्ही आरा मशीनों की सम्बंधित विभाग अनदेखी कर रहा है, क्षेत्र में प्रतिदिन सैकड़ों की सख्या में हरे भरे पेड़ों को काटा जा रहा है । जिसके चलते क्षेत्र में पेड़ पूरी तरह समाप्त हो गए है। अवैध रूप से पेड़ों की कटाई व अवैध भण्डारण के बारे में प्रशासन से लेकर वन विभाग तक को सब जानकारी है । इसके बावजूद भी विभाग माफिया के खिलाफ बिना शिकायत कार्यवाही नहीं करते है।

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