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कोंडागांव: सुदूर ग्राम भोंगापाल में एनएसएस के मेगा कैम्प का हुआ शानदार आगाज
संभागायुक्त ने किया शिविर का शुभारंभ
छात्र शिविर के माध्यम से अपनी क्षमता और व्यक्तित्व को उभार कर सषक्त नागरिक बने – कमिश्नर
एक हजार छात्र-छात्राऐं छह दिवस तक रहेंगे भोंगापाल में
कोण्डागांव । दिनांक 3 जनवरी को विकासखंड फरसगांव के सुदूर ऐतिहासिक ग्राम भोंगापाल के उच्चतर माध्यमिक शाला के परिसर में राष्ट्रीय सेवा योजना के शिविर का औपचारिक शुभारंभ बस्तर कमिश्नर धनंजय देवांगन के हाथों सम्पन्न हुआ। ज्ञात हो कि जिले के इतिहास में पहली बार राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) का शिविर मुख्यालय से अत्यंत दूरस्थ ग्राम में किया गया। जिला कलेक्टर नीलकंठ टीकाम के पहल से आयोजित इस स्थान के चयन का मुख्य कारण इस ऐतिहासिक ग्राम की पुरातात्विक सांस्कृतिक विरासत को बेहतर तरीके से देश-दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करना है।
उल्लेखनीय है कि भोंगापाल में पांचवी और छठवी शताब्दी के प्राचीन बौद्ध स्तूप के भग्नावशेष वर्ष 1999 की खुदाई के दौरान प्राप्त हुए। इसके अलावा यहाँ प्राचीन शिवालय एवं शिवलिंग भी खुदाई में मिले है जो क्षेत्र में सदियों पुराने विद्यमान समृद्ध संस्कृति का परिचायक है। एनएसएस के इस मेगा कैंप में जिले के 23 एनएसएस जुड़े संस्थान के एक हजार छात्र-छात्राऐं दिनांक 3 जनवरी से 9 जनवरी 2019 तक इस गांव में रहकर एनएसएस की विभिन्न रचनात्मक, प्रयोगात्मक, सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लेंगे। ज्ञात हो कि सभी कैडेट भोंगापाल के अलावा आसपास के अन्य गांव जैसे चिंगनार, बड़गई, आदवाल, झाखरी में प्रोजेक्ट वर्क करने के अलावा खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा आयोजित खेल महोत्सव में भी प्रतिभागी बनेंगे।
इसके शुभारंभ के अवसर पर मुख्य अतिथि बस्तर संभाग के कमिश्नर धनंजय देवांगन ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में कहा कि एनएसएस संस्थान का दूसरा नाम अनुशासन, रचनात्मकता और व्यक्तित्व विकास है। उन्होंने युवा शब्द को परिभाषित करते हुए कहा कि ‘‘युवा शब्द‘‘ को विलोम में पढ़ने पर वायु शब्द का बोध होता है और वायु ही जीवन है और जो प्रवाहमान होकर जीवन को गतिशीलता प्रदान करती है, अतः युवा अवस्था भी इसी प्रकार है। अतः सदैव गतिमान बनिये। उन्होंने जिला प्रशासन की इस पहल को सराहनीय बताते हुए कहा कि एनएसएस के सभी छात्र-छात्राऐं इस शिविर में संचालित समस्त गतिविधियों का अधिकाधिक लाभ उठाते हुए अपने साथ बेहतर अनुभव ले जायेंगे, जो उनके भावी जीवन के ज्ञान को विस्तृत करेगा। इसके साथ ही उन्होंने छात्र-छात्राओ को देश का भविष्य करार देते हुए कहा कि वे स्थानीय स्तर पर समस्याओ को सुलझाने में अपना योगदान दे सकते है। इस संबंध में उन्होंने जिले में कुपोषण की स्थिति पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि छात्र अपने-अपने स्तर पर कुपोषण के विरुद्ध जनजागरण लाये। बस्तर के लोकजीवन, रहन-सहन, खानपान, वातावरण में कई ऐसी चीजें पाई जाती है जो कुपोषण के कलंक को दूर करने के लिए पर्याप्त है। इस संबंध में उन्होंने स्थानीय स्तर में पाई जाने वाली कई पौष्टिक चीजों के नाम गिनाये, जिनसे संतुलित पौष्टिक आहार प्राप्त किया जा सकता है, इस प्रकार उनका मानना था कि निर्धनता का कुपोषण से कोई संबंध नही होता और सभी एनएसएस कैडेट इस तथ्य को अपने घर-परिवार और आस-पड़ोस में अवश्य बताए। इसी प्रकार अपने घर परिवेश जल-जमीन से भी जुड़ाव को आवश्यक बताते हुए उन्होंने कहा कि खेत और कृषक को इसलिए भी नजरदांज नहीं किया जा सकता क्योंकि हमारी 70 प्रतिशत से अधिक आबादी इसी कार्य से जुड़ी हुई है। ज्ञात हो कि शिविर स्थल में कैरियर काउंसलिंग विषय-विशेषज्ञ एवं अधिकारीगण छात्रों से चर्चा करेंगे। इस संदर्भ में संभागायुक्त का मानना था कि छात्र प्रबोधन विशेषज्ञों से अधिक से अधिक अपनी जिज्ञासायें एवं प्रश्नों का समाधान प्राप्त करें। अंत में उन्होंने सभी छात्र-छात्राओं के उज्जवल भविष्य की कामना की।
भावीपीढ़ी को ग्रामीण जन-जीवन से जोड़ने के लिए किया गया शिविर का आयोजन – कलेक्टर
जिला कलेक्टर नीलकंठ टीकाम ने इस मौके पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भोंगापाल जैसे दूरस्थ क्षेत्र का एनएसएस के मेगा कैंप हेतु चयन करने का मुख्य उद्देश्य छात्रों को ग्रामीण जनजीवन के प्रति जोड़ने के अलावा इस ऐतिहासिक क्षेत्र में स्थापित पुरातात्विक महत्व के स्थलों से भावीपीढ़ी को परिचय भी कराना था। यहां सभी कैडेट्स ग्रामीण रहन-सहन, खानपान का बारीकी से अध्ययन करेंगे। चूंकि शिविर का थीम ‘‘कुपोषण से मुक्ति‘‘ रखा गया है। अतः छात्र आसपास के सभी गांव का भ्रमण करके ग्रामीणों को कुपोषण के विरुद्ध जागरुक करेंगे। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि यहां भले ही छात्रों को कुछ असुविधा हो सकती है परन्तु यह युवा अवस्था ही वह अवस्था है जहां हमें चुनौती लेनी चाहिए क्योंकि आसान काम हर कोई कर सकता है, परन्तु चुनौतीपूर्ण कार्य करने में ही असली सफलता होती है अतः इन परिस्थितियों से सीखियें एवं जुझिये। इस प्रकार वे स्वंय पायेंगे की उनकी क्षमता में वृद्धि हो रही है, उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति स्व.डाॅ.एपीजे अब्दुल कलाम के उद्धरण का प्रयोग करते हुए कहा कि सपना वह नहीं जो हम नींद में देखते है जबकि सपना तो वह जो आपको सोने नहीं देता। कलेक्टर ने कहा कि इस शिविर के आयोजन के लिए जिला प्रशासन द्वारा एक वर्ष से तैयारियाँ की जा रही थी, इस संबंध में स्थानीय ग्रामीणजनों से चर्चा उपरांत पूरे कार्यक्रम की रुपरेखा तैयार की गई। इसके अलावा इस क्षेत्र में आवागमन एवं संचार की पुख्ता सुविधाओं को उपलब्ध कराया गया। पहुंच मार्ग जैसे पुल-पुलिया, सड़को का सुदृढ़ीकरण बड़े पैमाने पर कराये जाने से क्षेत्र की ग्राम पंचायत भोंगापाल, झाखरी, भोंडापाल, आमासरा, नयानार, ऐड़का जैसे ग्राम जिला मुख्यालय से जुड़ गए है। इसके साथ ही इन ग्रामों के पुरातात्विक महत्व के स्थलों के संरक्षण एवं संर्वधन हेतु जिला प्रशासन द्वारा विशेष प्रयास किया जा रहा है। जिला कलेक्टर ने शिविर के थीम कुपोषण से मुक्ति के संबंध में कहा कि संपूर्ण जिले में 21 हजार बच्चे कुपोषित है, इस प्रकार प्रत्येक गांव में औसतन दस बच्चे कुपोषण की मार झेल रहे है। चूंकि उनकी सही तरीके से देखभाल नहीं की गई, इसका खामियाजा उन्हें उम्रभर झेलना पड़ेगा।
इस क्रम में अध्यक्ष जिला पंचायत देवचंद मातलाम एवं उपाध्यक्ष रवि घोष ने भी इस दूरस्थ क्षेत्र में जिला प्रशासन द्वारा एनएसएस कैंप के आयोजन के लिए बधाई दिया और छात्रों से आग्रह किया कि वे शिविर में अधिक से अधिक रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेकर अपनी ज्ञान क्षमता में वृद्धि करे। कार्यक्रम के समापन पर राष्ट्रीय सेवा योजना के जिला संयोजक आर.के.जैन द्वारा पूरे साप्ताहिक कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई।
इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक अरविन्द कुजूर, अपर कलेक्टर एस.आर.कुर्रे, सीईओ जिला पंचायत नुपूर राशि पन्ना, एसडीएम टेकचंद अग्रवाल, धनंजय नेताम, डिप्टी कलेक्टर पवन कुमार प्रेमी, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास जी.एस.सोरी, जिला शिक्षा अधिकारी राजेश मिश्रा, कार्यपालन अभियंता आर.के.गर्ग, देवेन्द्र नेताम, सहा. परियोजना अधिकारी बी.एस.गौतम, अध्यक्ष जनपद पंचायत सुकमी नेताम, सरपंच रामसाय नाग, स्थानीय जनप्रतिनिधिगण सहित बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।