श्री राम कथा आयोजन समिति बिलासपुर॥ श्रीरामकथाः निभाना ही भारतीयता छोड़ता नहीं क्योंकि जन जन में राम का आदर्श संत प्रवर ने बताया बाधाओं ने हनुमान को बनाया संकल्पवान
श्री राम कथा आयोजन समिति बिलासपुर॥ श्रीरामकथाः निभाना ही भारतीयता छोड़ता नहीं क्योंकि जन जन में राम का आदर्श संत प्रवर ने बताया बाधाओं ने हनुमान को बनाया संकल्पवान॥
भूपेंद्र साहू.
ब्यूरो चीफ बिलासपुर.
बिलासपुर- जब तक दृष्टि और दृष्टिकोण स्पष्ट नहीं होगा तब तक लक्ष्य मुश्किल है। हनुमान का लक्ष्य दृष्टि और दृष्टिकोण बहुती स्पष्ट था और उन्होने संकल्प के साथ लक्ष्य को हासिल किया। माता सीता का पता लगाया। यह सच है कि लक्ष्य हासिल करने के दौरान हनुमान को विभिन्न प्रकार के बधाओं का सामना करना पड़ा। वह लक्ष्य क्या जिसमें बाधाएं ना हो। क्योंकि बाधाएं ही मनुष्य को संकल्पवान होने को प्ररित करती है। सकारातम्क विचारों के साथ आगे बढ़ने वालों के साथ राम की हमेशा कृपा होती है। हनुमान के साथ भी थी। यह बातें संत प्रवर विजय कौशल महाराज ने रामकथा आयोजन के सातवें दिन हजारों की संख्या में उमड़ी भीड़ से कही। महाराज ने बताया कि इस दुनिया ने जिसकों ठुकराया और उसने यदि सच्चे मन से याद किया उसे भगवान का आशीर्वाद जरूर मिला है। क्योंकि राम कृपानिधान हैं। उन्हें कोई भले भुला दे लेकिन राम अपने बच्चों को कभी अकेला नहीं छोड़ते हैं। महाराज ने बताया हनुमान भक्तों के लिए भगवान तक पहुंचने का हमेशा रास्ता बनाने का किया है। जिसने हनुमान को अराध्य माना उसे एक ना एक दिन राम का दर्शन जरूर मिलेगा। विजय कौशल महाराज ने सातवें दिन किष्किन्धा और सुन्दरकाण्ड मनोरम झांकी को पेश किया। राम सुग्रीव मिलाप समेत सुरसा, लंकनि, त्रिजटा और विभिषण के चरित्र का जीवन्त चित्रण किया।
मित्रता का रिश्ता सबसे ऊपर॥
लालबहादुर शास्त्री मैदान में आयोजित रामकथा के सातवें दिन संत प्रवर विजय कौशल महाराज ने किष्किन्धा और सुन्दरकाण्ड का जीवन्त चित्रण किया। पण्डाल में मौजूद हजारों श्रध्दालुओं को राम सुग्रीव, सीता खोज समेत बालीबध का प्रसंग सुनाया। विजय कौशल ने बताया कि इस दुनिया में मित्र को सब रिश्तों से ऊपर स्थान हासिल है। क्योंकि मित्र अपने पहाड़ जैसी मुसीबतों को किनारे रख अपने मित्र की छोटी से बड़ी मुसीबतों में परछाई बनकर रिश्ता निभाता है। हनुमान ने सेवा कार्य से प्रभुता को हिसाल किया है। उन्होने हमेशा भक्त को भगवान से मिलाने का रास्ता तैयार किया है। चाहे वह सुग्रीव हो या विभिषण। सच तो यह है कि हनुमान का साथ जिसने पकड़ा उसे एक दिन जरूर राम का दर्शन हासिल होगा। हमें भी हनुमान के चरित्र से ना केवल सीख लेना चाहिए बल्कि भक्त को भगवान तक पहुंचाने का संकल्प लेना चाहिए। देश समाज और मानव जगत के लिए मानवता और विकास का संकल्प लेना चाहिए।
बच्चों में चरित्र निर्माण का मतलब राष्ट्र निर्माण॥
विजय कौशल महाराज ने बताया कि कहने की जरूरत नहीं कि भगवान राम समर्थवान थे। बावजूद इसके उन्होने मानवीय रिश्तों का पालन कर मर्यादा का ना केवल पाठ पढ़ाया। बल्कि रिश्तों के बीच पुरूषों के लिए उत्तम चरित्र भी गढ़ा। लक्ष्मण और हनुमान ने सेवा कर भक्तों के लिए मिसाल कायम किया। आज हमें भगवान के आदर्शों पर चलकर देश और मानव जगत की सेवाकार्य करना है। संत कौशल ने कहा राम ने सुग्रीव के साथ मित्रता निभाते हुए बाली का बध किया। बहन बेटियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाए इसका पाठ भी पढ़ाया। जब जरूरत पड़ी तो उन्होने सुग्रीव को पाठ पढ़ाया।
हनुमान पर किया विश्वास॥
राम को पता है कि हनुमान संकल्पवान है। इसलिए उन्होने जब सुग्रीव के सहयोग से सीता खोज अभियान के दौरान मुद्रिका हनुमान को ही दिया। लेकिन हमेशा राम में मगन रहने वाले हनुमान को कभी इस बात का अहम नहीं हुआ कि वह भगवान के सबसे बड़े सेवक हैं। जबकि राम को पता था कि हनुमान शंकर के अंश, ज्ञानवान, वीर, और धीरता के पर्याय हैं।
जामवन्त ने जगाया आत्मविश्वास॥
संत प्रवर ने उपस्थित लोगों से कहा दुनिया तेजी से बदल रही है। लोगों की दूरिया बड़े बूढ़ों से बढने लगी है। मानस में इन्ही बातों का विशेष ध्यान रखा गया है। पग पग पर बढ़े बूढ़ों के बहाने अनुभवों को सामने लाया गया है। दुनिया जब तक रहेगी बढ़े बूढ़ों के अनुभवों को ठुकराया नहीं जा सकता है। मानस में संत, साधु, बूढ़े लोगों का मतलब अनुभव से है। जामवंत का मतलब अनुभव का विशाल भण्डार से है। वह ब्रम्हा के बौद्धिक पुत्र थे।
जब जटायुराज संपाति ने माता सीता का लंका में होनो बताया तो लोगों ने अपनी अपनी मजबूरियां बताकर लंका जाने से मना किया। इस बीच संत हनुमान धीर गंभीर खड़े रहे। महाराज ने बताया कि धीर गंभीर लोगों को उनकी शक्तियों का अहसास कराना बहुत जरूरी है। ऐसा सिर्फ अनुभवी ही कर सकता है। जामवंत ने हनुमान को बचपन के उत्पात, श्राप और शक्तियों से परिचय कराया। शक्ति का अहसास होते ही हनुमान संकल्प लेकर राम काज के लिए योजनों समुद्र को लांघने का शंखनाद किया। क्योंकि उन्हें यह भी अहसास हुआ कि प्रभु राम मुद्रिका उन्हें दिया है।
बाधाएं बनाती है संकल्प को मजबूत॥
महाराज ने बताया कि संकल्पवानों की परीक्षा होती है। परीक्षा प्रकृति लेती है। हनुमान ही नहीं हर संकल्पवान के साथ ऐसा ही हुआ है। बाधाएं रिश्ता नाता लोभ मोह, सुन्दरता के रूप में सामने आती है। जिसने भी इस विजय हासिल किया उसे लक्ष्य जरूर हासिल होता है। हनुमान की परीक्षा मैनाक पर्वत ने लिया.सर्प माता सुरसा ने भी दांव चला, लंका प्रवेश के समय लंकिन ने भी बाधा पैदा की। त्रिजटा ने भी हनुमान को परखा। और हनुमान हर बाधाओं को पार कर सीता माता के सामने प्रकट हो गए।
मंदिर मंदिर कर शोधा॥
महाराज ने बताया कि ऐसा अक्सर होता है कि स्पष्ट होने के बाद भी लोग लक्ष्य से भटक जाते हैं। विभिषण के साथ भी ऐसा ही है। क्योंकि उनका दृष्टि और दृष्टिकोण स्पष्ट नहीं था। जबकि रावण भी चाहता था कि विभिषण प्रभु श्रीराम के चरणों में जाए। लेकिन विभिषण को बाधाओं को पार करने का साहस नहीं था। और जब रावण ने वह काम किया जिसे हनुमान भी नहीं कर सके। लात मारकर रावण ने विभिषण को अपमानित किया। तब विभिषण को हनुमान की बातें याद आयी। फिर राम तक रास्ता अपने आप बन गया। महाराज ने बताया कि रावण ज्ञानी था मोह में फंसे विभिषण को अपने से दूर करने के लिए लिए पद प्रहार किया।
सीता को मुद्रिका भेंट॥
महाराज ने सुन्दरकाण्ड कथा के दौरान माता सीता और हनुमान के बीच संवाद को बहुत बारीकी से पेश कर वर्तमान परिप्रेक्ष्य से जोड़ा। जब हनुमान अशोक वाटिका स्थित पेड़ पत्तों के बीच छिपे थे उस दौरान माता सीता और त्रिजटा के बीच संवाद को सुना। त्रिजटा सपनों के बारे में बता रही थी। लंका पतन होने की जानकारी दे रही थी। इसी दौरान रावण ने सीता को धमकी भी दिया। लेकिन हनुमान ने सब कुछ सहते हुए माता सीता के सामने प्रकट होकर अपना परिचय दिया। करूणानिधान का जयघोष कर माता सीता को विश्वास दिलाया कि वह भगवान राम के दूत हैं।
माता सीता खोज पर लोगों ने नाचकर जताई खुशी॥
रामकथा के दौरान जैसे माता सीता की खोज का प्रसंग महाराज ने पेश किया, जिसम खासकर महिलाओ ने नाच गाकर जश्नन मनाया। खुशी जाहिर करते हुए हनुमान की जयघोष कर अपनी खुशियों को जाहिर किया। माता सीता और हनुमान संवाद का अमृतपान किया।
समाज के गणमान्य लोगों ने लिया आशीर्वाद॥
पंजाबी समाज से रजनी ऋषि, नामदेव समाज से जवाला प्रसाद नामदेव, जिला भोई समाज से विरेंद्र चौधरी, क्षेत्रीय धीवर समाज के पवन धीवर, चितरंजन पटेल राकेश अग्रवाल, राजीव सिंह राजपूत, शंभू मिश्रा, मनीष गुप्ता, प्रफुल्ल मिश्रा, जेठूसिंह चौहान, राम भुवन मिश्रा, नंदू सोनी आदि समाज प्रमुखों ने महाराज श्री का अभिनंदन कर आशीर्वाद लिया।
रामकथा के दौरान आयोजन समिति के मुख्य संरक्षक अमरअग्रवाल, शशिअग्रवाल, आदित्य अग्रवाल, गुलशन ऋषि, महेश अग्रवाल, रामअवतार अग्रवाल, गिरीश शुक्ला, सुनील संथालिया, रामदेव कुमावत, गोपाल शर्मा , प्रेस क्लब अध्यक्ष वीरेंद्र गहवै, मोहन पांडे, कोमल शर्मा, नवीन अंजली दुबे, रीता बरसैया, श्री कैलाश गुप्ता, जितेंद्र गुप्ता, रितु साहू, विश्वनाथ केडिया, दीपेंद्र शुक्ला, संदीप सोनी आदि श्रद्धालुओं की विशेष उपस्थिति रही।