आज होगा बेसिक लाइफ सपोर्ट और नॉन-इनवेसिव हेमोडायनामिक मॉनीटरिंग पर कार्यशाला

भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र के मुख्य चिकित्सालय जवाहरलाल नेहरू अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र, द्वारा 9 फरवरी को भिलाई प्रबंधन विकास केंद्र (बीएमडीसी) में बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) और नॉन-इनवेसिव हेमोडायनामिक मॉनिटरिंग पर प्री-कॉन्फ्रेंस कार्यशाला आयोजन किया गया है। इस कार्यशाला का आयोजन भिलाई में आयोजित अखिल भारतीय इस्पात चिकित्सा अधिकारी सम्मेलन 2023 की प्रस्तावना के रूप में किया जा रहा है। अखिल भारतीय इस्पात चिकित्सा अधिकारी सम्मेलन 2023 तथा आयोजित यह कार्यशाला सीएमओ इंचार्ज डॉ एम रविन्द्रनाथ के मार्गदर्शन व नेतृत्व में आयोजित किया जा रहा है। कार्यशाला नर्सों, डॉक्टरों और पैरामेडिक्स सहित स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए डिजाइन की गई है, जो बीएलएस और गैर-इनवेसिव हेमोडायनामिक मॉनिटरिंग की गहरी समझ हासिल करने में रुचि रखते हैं।
हेमोडायनामिक मॉनिटरिंग विषय पर कार्यशाला को संबोधित करने के लिए टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल (टीएमएच), मुंबई के तीन अनुभवी तथा विशेषज्ञ डॉक्टरों को आमंत्रित किया गया है।
डॉ. जिगीशु दिवतिया, प्रोफेसर और प्रमुख, टीएमएच, मुंबई में एनेस्थिसियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष होने के साथ ही उन्हें हेमोडायनामिक्स, वेंटिलेशन और आईसीयू संचालन में विषेषज्ञता हासिल है। इसके अतिरिक्त 180 से अधिक प्रकाशनों का श्रेय डॉ. जिगीशु दिवतिया को जाता है। डॉ एस जे भोसले, जो हेमोडायनामिक मॉनिटरिंग पर अपना वक्तव्य देंगे, डॉ भोसले टीएमएच, मुंबई में क्रिटिकल केयर विभाग, एनेस्थिसियोलॉजी विभाग, क्रिटिकल केयर एंड पेन के प्रोफेसर हैं। पीड्रियाटिक इंटेंसिव केयर हेमोडायनामिक्स और अल्ट्रासाउंड के क्षेत्र में उनकी विषेषज्ञता हैं। डॉ अमोल कोथेकर टीएमएच, मुंबई में एनेस्थिसियोलॉजी विभाग के क्रिटिकल केयर विभाग में प्रोफेसर हैं। हेमोडायनामिक्स और अल्ट्रासाउंड उनकी विषेषज्ञता हैं।
इसके अतिरिक्त, प्रतिभागी नॉन-इनवेसिव हेमोडायनामिक मॉनिटरिंग के सिद्धांतों के बारे में जानेंगे और इनवेसिव प्रक्रियाओं के बिना ब्लड प्रेशर और कार्डियक आउटपुट जैसे विभिन्न मापदंडों को मापने और मॉनिटर करने के लिए विभिन्न निगरानी उपकरणों का उपयोग कैसे करें इसका व्यावहारिक ज्ञान लेंगे। कार्यशाला को इंटरएक्टिव बनाये रखने के लिए विषेष रूप से डिजाइन किया गया है। यह कार्यषाला प्रतिभागियों को प्रश्न पूछने और प्रशिक्षकों के साथ चर्चा में शामिल होने के पर्याप्त अवसर प्रदान करेगा। कार्यशाला समाप्त होने पर प्रतिभागियों को पूर्णता का प्रमाण पत्र प्राप्त होगा।