माता-पिता की सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं हैं : पंडित चंद्रशेखर महराज जी
चांपा । कलयुग में माता पिता साक्षात् देवता हैं । इनकी सेवा से बढ़कर कोई बड़ा धर्म नहीं हैं । हम सभी को बूढ़े माता-पिता और बंधु-बांधवों की सेवा अवश्य करनी चाहिए । लोग माता-पिता की सेवा करने के बजाये तीर्थाटन करते हैं । पूछा जाता हैं तो कहते हैं कि हम तीर्थ यात्रा पर गए थे । जिस घर में बुढ़े माता-पिता हैं , वह घर नहीं बल्कि चलता-फिरता तीर्थ हैं । कोई कितना भी पुरुषार्थ कार्य करो , यदि माता-पिता की सेवा नहीं किया तो सारा कार्य भी व्यर्थ हैं । गौरी मानस स्वर्णकार महिला मंडली के तत्वाधान में नीम चौक सोनार पारा में चल रहें श्रीमदभागवत कथा महोत्सव के तृतीय दिन कथा व्यासपीठ पर विराजमान पंडित चंद्रशेखर महराज जी ने कहीं । उन्होनें बताया कि भगवान ने भक्त प्रह्लाद के रुप में अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया । सभी माता-पिता अपने बच्चों को अच्छें संस्कार दें , जिससे बुढ़ापे में अपने माता-पिता की सेवा-सुश्रुषा कर सके । कथा के तीसरे दिन मुख्य यजमान ओमप्रकाश सोनी और उनकी अर्धांगिनी श्रीमति संतोषी सोनी तथा उप-यजमान के रुप में श्रीधर सोनी और श्रीमति रमा सोनी रही ।दिनांक 30 जनवरी , 2023 से शुरुआत कथा का विश्राम , 05 फरवरी 2023 को होगा ।शशिभूषण सोनी ने बताया कि पावन अमृतमयी कथा प्रतिदिन दोपहर दो-बजे से देर रात 09 बजें तक अमृत की रसमयी धारा नीम चौक सोनार पारा चांपा में बह रही हैं , जिसका रसपान श्रद्धालु भक्त कर रहे हैं । सप्त-दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव में भक्तों की लगातार बढ़ रही हैं ।