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संस्कृतभारती एवं गुरूघासीदास केन्द्रिय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान से विश्वविद्यालय परिसर में दस दिवसीय संस्कृतसम्भाषण वर्ग सम्पन्न हुआ।

बिलासपुर – कार्यक्रम का आरम्भ अभ्यागतों द्वारा दीपप्रज्ज्वान सरस्वती माता को माल्यार्पण एवं सरस्वती वन्दना से हुआ। इस आयोजन का उद्देश्य छात्रों को संस्कृत सम्भाषण सीखाना था। इस कार्यक्रम के अतिथियों में गुरूघासीदास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.आलोकचक्रवालजी की प्रतिनिधि के रूप में वरिष्ठ प्रध्यापक प्रो.ए.पी.बाजपेयी एवं प्रो प्रवीण मिश्राजी संस्कृतभारती के संगटन मन्त्री हेमन्तजी श्री दामोदरप्रसादसोनी वरिष्ठ समाजसेवी श्रीशिवरामसमदरियाजी ।
समदरियाजी ने संस्कृत भाषा की व्यापकता को दर्शाते हुए कहा यह भाषा नहीं अपितु चिंतन का उच्चतम स्तर है हम जब तक इस भाषा को सीख न ले मानसिक शान्ति तथा आत्मबल दोनों में कमी रहेगी। श्री बाजपेयीजी ने कहां विश्व के सबसे मजबुत और समृद्ध भाषा है, विज्ञान को समझना है तो पहले संस्कृत को आत्मसात करना होगा, बौद्धिक हो या धन समृद्धि दोनों का सन्तुलन इस भाषा में निबद्ध साहित्यों द्वारा प्राप्त होगा।
कार्यक्रम में छात्रों को प्रशिक्षण देने में महत्त्वपूर्ण योगदान श्रीदुर्गेशतिवारी,श्रीराजेशभगत,श्री मनेश्वर एवं हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यापक मुरलीमनोहरजी का रहा है। इस कार्यक्रम में इस पूरे कार्यक्रम का संयोजन संस्कृतभारती के प्रचारप्रमुख डाॅ.गोपेशकुमारतिवारी जी जो संस्कृत विषय के लेखक एवं चिंतक है ने किया।

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