छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

मृत्यु प्रमाण पत्र के चलते अटक रहा हजारों लोगों के पट्टा नवीनीकरण का कार्य

चार से पांच हजार में दलालनुमा नेता बनवा रहे हैं मृत्यु प्रमाण पत्र

भिलाई। अपने दिवंगत माता-पिता का समय पर मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बनवाना शहर के अनेक लोगों के लिए अब भारी पड़ रहा है। ऐसे लोगों के पट्टा नवीनीकरण का मामला राजस्व विभाग ने रोक दिया है। पिता के नाम पर बने पट्टे का नवीनीकरण उसके जीवित न होने की स्थिति में मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर किया जाना है। मृत्यु का वर्ष काफी पुराना होने से हितग्राहियों को निगम, थाना व तहसील कार्यालय का चक्कर काटना पड़ रहा है। वहीं दलालनुमा नेता मनमानी रकम लेकर जरुरत मंदों को उनके दिवंगत माता-पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर देने का ठेका ले रहे हैं।

शासन द्वारा वर्ष 1984 में दिए गए आवासीय पट्टों का नवीनीकरण किया जा रहा है। इसमें जिन पट्टेदारों की मृत्यु हो चुकी है, उनके वारिसान द्वारा प्रस्तुत नवीनीकरण के हजारों प्रकरण राजस्व विभाग में अटक गए हैं। ऐसे उन्हीं आवेदकों के साथ है जिनके पास अपने पट्टाधिकारी पिता के मृत्यु का प्रमाण पत्र नहीं है। अनेक आवेदक ऐसे भी है जिनके पास पट्टाधारी दिवंगत के साथ ही प्रथम हकदार उसकी पत्नी के मृत्यु का भी सक्षम अधिकारी से जारी कोई प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं है। ऐसे आवेदकों से मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने को कहा जा रहा है।

खास बात यह है कि अनेक पट्टाधारी की मृत्यु आज से 20-25 साल पहले हो चुकी है। इनमें से अनेक के वारिसान ने मृत्यु के वक्त प्रमाण पत्र बनाने के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई। अब जब पट्टा नवीनीकरण के लिए उनसे पट्टाधारी का मृत्यु प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है तो परेशान हो गए हैं। अनेक आवेदकों के पास पट्टाधारी पिता और उसके बाद की प्रथम हकदार माता का भी मृत्यु प्रमाण नहीं है और न ही इसका कोई सबूत है।

बताया जाता है कि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए इन दिनों निगम के लोक सेवा केन्द्र में खासी भीड़ बनी हुई है। लेकिन प्रकरण काफी पुराना होने से आवेदकों को संबंधित थाना और निगम से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने की अनिवार्यता बताई जा रही है। आम लोग निगम व थाने के साथ तहसील कार्यालय तक चक्कर काट रहे हैं। इस दौरान दलालनुमा नेताओं से आमना सामना हो जाने पर उनका काम आसान जरुर हो रहा है लेकिन इसके बदले में चार से पांच हजार रुपए का चपत लग रही है।

बताया जा रहा है कि निगम तथा तहसील दफ्तर के आसपास अपने दिवंगत माता-पिता के मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने भटक रहे लोगों को जाल में फासने दलालो ने अपने शागिर्दो को तैनात कर रखा है। दलालों के शागिर्द अपनी बातों से विश्वास अर्जित कर मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने का ठेका ले रहे हैं। यह ठेका एक प्रमाण पत्र के लिए 4 से 5 हजार रुपए में हो रहा है। रुपए लेने के बाद दलालों के द्वारा ही निगम और थाने से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर तहसीलदार से आदेश पत्र के आधार पर निगम से मृत्यु प्रमाण पत्र दिलवा रहे हैं। इस पूरी प्रक्रिया में केवल एक शपथ पत्र का ही खर्च वाजिब है जो लगभग सौ से डेढ़ सौ रुपए आता है। लेकिन पारदर्शिता नहीं होने और जिम्मेदारों के टाल मटोल रवैये के चलते आम लोग पट्टा नवीनीकरण के लिए अपनों का मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने 4 से 5 हजार रुपए दलालों को देने मजबूर है।

यह है मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया

पट्टा नवीनीकरण के लिए लोगों को 20 से 25 साल पहले दिवंगत हो चुके माता पिता के मृत्यु प्रमाण पत्र की जरुरत पड़ रही है। अनेक लोगों को मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया निगम के जिम्मेदारों की ओर से बताने में टाल मटोल किया जा रहा है। इसी वजह से लोग मजबूरन दलालों के शरण में जा रहे हैं। नियमत: मृत्यु के पुराने प्रकरण में प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए कार्यपालक मजिस्ट्रेट के रूप में तहसीलदार के आदेश की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए आवेदक की ओर से थाना व निगम से पूर्व में प्रमाण पत्र जारी नहीं होने का प्रमाणीकरण पार्षद प्रमाणीकरण सहित मयशपथ पत्र आवेदन तहसील कार्यालय में प्रस्तुत करना पड़ता है। इसके पश्चात तहसीलदार की ओर से दावा आपत्ति का निराकरण करने अखबार में ईश्तहार प्रकाशन हेतु प्रारूप प्रदान किया जाता है। जरुरत पड़ी तो आसपास के लोगों से पंचनामा भी लिया जाता है। इसके बाद तहसीलदार द्वारा जारी आदेश के साथ निगम में आवेदन करके मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त किया जा सकता है।

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