छत्तीसगढ़

संबंधों के चलते मजदूरों के हक की नहीं होगी अनदेखी-एच. एस. मिश्रा श्रम कानून का उलंघन करने वाले कंपनी, ठेकेदार व एजेंसी को श्रमिक नेता ने दी चेतावनी

भिलाई / हिन्द मजदूर सभा ( एचएमएस ) के छत्तीसगढ़ प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष एवं वरिष्ठ श्रमिक नेता एच. एस. मिश्रा ने कहा कि आपसी संबंधों के चलते किसी भी मजदूर के हक की अनदेखी उनकी यूनियन नहीं करेगी। इसलिए श्रम कानून का उलंघन कर मजदूरों का शोषण करने वाले कंपनी, ठेकेदार और एजेंसी को यह मुगालता नहीं पालना चाहिए कि उनका संबंध यूनियन पदाधिकारियों से होने का फायदा उन्हें मिलेगा। उन्होंने कहा कि कोई भी कंपनी, ठेकेदार या एजेंसी अपने यहां काम करने वाले मजदूरों को उनका हक देने में आनाकानी करती है तो यूनियन पहले सकारात्मक समझौते की पहल करेगी और बात नहीं बनी तो कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी।
प्रदेश के वरिष्ठ श्रमिक नेता एच. एस. मिश्रा ने जारी बयान में कहा है कि कोई भी कारखाना मजदूरों की बदौलत चलता है। ठेकेदार और एजेंसी को भी अपना काम करवाने के लिए मजदूरों पर निर्भर रहना पड़ता है। इसलिए कंपनी, ठेकेदार और एजेंसी को भी मजदूरों को श्रम कानून में निहित हक व अधिकार को सम्मान जनक मिलना चाहिए। लेकिन ज्यादातर कंपनियों, ठेकेदारों और एजेंसियों के द्वारा मजदूरों को उनके हक से वंचित रखा जा रहा है। कभी कभी तो ठेकेदार और एजेंसी के अधिकारी उनसे और उनके यूनियन पदाधिकारियों से मधुर संबंध होने का हवाला देकर मजदूरों के पक्ष में की जाने पहल पर टालमटोल करते हैं।
श्री मिश्रा ने कहा कि किसी से संबंध होना अलग बात है। इसके आड़ में कोई कंपनी, ठेकेदार या एजेंसी को मजदूरों के हक और अधिकार का माखौल उड़ाने की छूट नहीं दी जा सकती। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि एचएमएस यूनियन और इसके पदाधिकारी किसी भी मजदूर को बुलाने नहीं जाते हैं। मजदूरों के शिकायत लेकर आने पर ही वे स्वयं या यूनियन के जिम्मेदार पदाधिकारी संबंधित कंपनी, ठेकेदार अथवा एजेंसी से बात करते हैं। इस दौरान उनकी कोशिश रहती है कि मजदूर को उसका हक मिल जाए। इसके लिए सही परामर्श और सुझाव देने के बाद भी अगर कोई नहीं मानता है तो यूनियन को समाप्त नहीं कर सकते बल्कि उन्हें कानूनी कार्रवाई करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि अधिकतर कंपनी, ठेकेदार और एजेंसी के अंदर यह बात रहती है कि हम दो – चार मजदूरों को श्रम कानून में निहित हक प्रदान करते हैं तो सभी को देना पड़ेगा। कंपनी, ठेकेदार और एजेंसियों की ऐसी सोच निंदनीय है। देश के सभी कारखाना और संस्थानों में जो भी काम होता है उसमें कर्मचारी व मजदूरों का मेहनत और पसीना छिपा रहता है। मजदूरों के इसी मेहनत और पसीने से कंपनी, ठेकेदार और एजेंसी आर्थिक लाभ अर्जित करते हैं।

इसलिए मजदूर को उसका हक देने में आनाकानी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कर्मचारी – मजदूरों का जो भी अंतिम भुगतान बनता है उसे आपसी समझौते के अनुसार अधिकतम राशि दिलाने की पहल यूनियन के द्वारा की जाती है और भविष्य में भी यूनियन का यह रुख कायम रहेगा।

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