टिड्डी अटैक: क्या पाकिस्तान होगा दाने दाने को मोहताज? भारत में कितना बड़ा है संकट? | Know about food security crisis in pakistan and india due to locusts swarm attacks | pakistan – News in Hindi

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पाकिस्तान के सिंध, पंजाब और बलूचिस्तान में इस साल हज़ारों एकड़ की फसल टिड्डियों का भोजन बन चुकी है. पिछले 70 सालों से ज़्यादा वक्त से पाकिस्तान में टिड्डियों के दल हैं, लेकिन अब ऐसे हालात क्यों हैं कि वहां फसलें चौपट हो रही हैं. इसी तरह, पिछले करीब ढाई दशक में भारत में टिड्डियों का सबसे बड़ा हमला हुआ है और इससे नुकसान भी. इनके कारणों और नतीजों को समझना ज़रूरी है.
कीटनाशक क्यों नहीं छिड़का गया?पाकिस्तान में सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है कि समय रहते फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव नहीं हो सका. समा टीवी को पाकिस्तान किसान इत्तिहाद के प्रमुख चौधरी मोहम्मद अनवर ने बताया कि एक बार स्प्रे हो जाता है, तो टिड्डियों के दल दूर रहते हैं लेकिन इस साल सरकार करवा नहीं सकी. अनवर के मुताबिक मुल्तान, खानेवाल, फैसलाबाद, साहीवाल, पीरवलम, बहावलनगर जैसे किसी इलाके में कोई सरकार कर्मचारी स्प्रे के लिए नहीं पहुंचा.

भारत में पाकिस्तान के रास्ते से टिड्डियों के दलों ने प्रवेश किया. फोटो यूएनएफएओ से साभार.
सरकार के कदम क्यों नहीं रहे पर्याप्त?
पाकिस्तान में नेशनल आपदा प्रबंधन ने हालांकि टिड्डियों के हमलों संबंधी शिकायतें दर्ज कर किसानों के लिए एक हॉटलाइन शुरू की थी और आश्वासन दिया कि सरकार किसानों का दर्द समझेगी. लेकिन, किसानों के प्रवक्ता अनवर के मुताबिक ये सब कदम देर से और मामूली ढंग से उठाए गए, जबकि टिड्डियों को दूर रखने का ये काम सिर्फ डेटॉल जैसे स्प्रे से हो सकता था.

— चौधरी मोहम्मद अनवर
कितना बड़ा है पाकिस्तान के सामने खतरा?
एफएओ के मुताबिक पाकिस्तान का 38% से ज़्यादा इलाका रेगिस्तानी टिड्डियों का प्रजनन केंद्र बन चुका है. दूसरी तरफ, पूरे देश में टिड्डियों के फैलने का खतरा है क्योंकि बचे इलाकों में इनके प्रजनन केंद्र न बनें, ऐसी कोई सावधानी नहीं बरती गई. इसके चलते पाकिस्तान के सामने आने वाले वक्त में बड़े स्तर पर खाद्य सुरक्षा का संकट खड़ा होता नज़र आ रहा है.
क्यों बेहद ज़रूरी है टिड्डियों की रोकथाम?
एफएओ के अनुमानों के मुताबिक पाकिस्तान में गर्मियों में काटी जाने वाली खरीफ की फसल के तौर पर 464 अरब रुपयों का नुकसान हुआ है जबकि रबी की आने वाली फसल के लिए भी खतरा बना हुआ है. इस विषय पर एक मीडिया रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान में बड़ी आबादी के सामने खाद्य सुरक्षा ही नहीं, पोषण और आजीविका का भी संकट खड़ा है, वो भी ऐसे में जबकि कोविड 19 के चलते स्वास्थ्य स्तर प्रभावित है. टिड्डियों की रोकथाम करना ही होगी वरना पाकिस्तान बड़ी कीमत चुकाएगा.
भारत लगा चुका है पाकिस्तान पर आरोप
पाकिस्तान और भारत समेत दक्षिण एशिया में टिड्डियों के जो दल हमलावर हुए हैं, उनकी शुरूआत वास्तव में पिछले साल अरबी प्रायद्वीप से हुई थी. हॉर्न ऑफ अफ्रीका में आतंक मचाने के बाद टिड्डियों के ये दल भारत और पाकिस्तान में तबाही मचा रहे हैं. भारत लगातार कह चुका है कि पाकिस्तान ने अपने बड़े इलाके में टिड्डियों के प्रजनन केंद्रों का नष्ट नहीं किया इसलिए भारत को इतना नुकसान हुआ है. यह बात सच है भी लेकिन अब सामने खड़ा संकट क्या है?
भारत के बहुत पास है बड़ा खतरा!
राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य अब तक टिड्डियों के हमले की चपेट में आ चुके हैं. दिल्ली में भी टिड्डियों के हमले की आशंकाएं हैं. लेकिन एक तरफ कोरोना वायरस के चलते बने हालात हैं, तो दूसरी तरफ, मानूसन की आमद है. विशेषज्ञों की चेतावनी है कि अगर टिड्डियों के दलों को रोका नहीं जा सका, तो जून में मानसून के दौरान चावल, गन्ने और कपास की बड़ी फसलों को टिड्डियों के दल तबाह कर सकते हैं. साथ ही, मानसून में अनुकूल मौसम के चलते टिड्डियां प्रजनन केंद्र भी बना सकती हैं.
भारत में भी नहीं हुआ कीटनाशक स्प्रे
भले ही भारत ने कीटनाशक छिड़काव न करने के आरोप पाकिस्तान पर लगाए हों, लेकिन द हिंदू की रिपोर्ट कहती है कि सच यह भी है कि भारत में भी फंड की कमी और निगरानी तंत्र बेहतर न होने की समस्याएं रही हैं. एफएओ ने भी कई बार इंगित किया कि भारत में कोरोना वायरस के हालात के चलते चक्रवाती तूफान और टिड्डियों के हमले जैसी प्राकृतिक आपदाओं पर पूरा ध्यान नहीं दिया.
भारत के सामने कितना बड़ा है खाद्य संकट?
इस बारे में अभी कोई पुख्ता अंदाज़ा नहीं है लेकिन संकेत हैं. टिड्डियों के हमले से सिर्फ राजस्थान में अब तक 42 हज़ार हेक्टेयर का कृषि इलाका प्रभावित हो चुका है. कम से कम सात राज्यों में टिड्डियों के दल हमला कर चुके हैं. दूसरी तरफ, भारतीय फूड कॉर्पोरेशन के प्रमुख प्रसाद ने न्यूज़ लॉंड्री को बताया कि भारत के खाद्य भंडार भरे हुए हैं और देश अगले कम से कम आधे साल तक के लिए अपने गरीब लोगों को पेट भरने में सक्षम है.
फिर भी, हालात के मद्देनज़र विशेषज्ञ मान रहे हैं चूंकि लॉकडाउन और वायरस के खतरे के चलते आपूर्ति प्रभावित है, लोग भीतरी इलाकों की तरफ लौट रहे हैं और बेरोज़गारी, गरीबी व खाद्य सुरक्षा में रुकावटें बढ़ी हैं इसलिए आने वाले समय में अगर टिड्डियों पर काबू नहीं पाया गया तो अंजाम भयानक हो सकते हैं.
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