बिजली बिल हाफ की घोषणा हुई फ्लॉप…. जनता का जेब साफ कर रही है भूपेश सरकार – श्री अमर अग्रवाल
*बिजली बिल हाफ की घोषणा हुई फ्लॉप…. जनता का जेब साफ कर रही है भूपेश सरकार – श्री अमर अग्रवाल।*
भूपेंद्र साहू।
ब्यूरो चीफ बिलासपुर।
आज विकास खोजों अभियान के अंतर्गत वार्ड क्रमांक 33 शहीद रामप्रसाद बिस्मिल नगर एवं वार्ड क्रमांक 59 सरकंडा के विवेकानंद नगर में भाजपा नेता एवं पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के नेतृत्व में पैदल भ्रमण कर वार्ड वासियों से विकास एवं समस्याओं के संबंध में जानकारी ली गई।
वार्डवासियों का मानना है वार्ड में चार सालों के अंदर समस्याओं का अम्बार लग गया है। भाजपा शासन में मोहल्ले में पक्की नालियां, बिजली, सड़क, सतत जलापूर्ति एवं साफ सफाई की सुचारू व्यवस्था थी।
आज मरम्मत एवं रखरखाव का कार्य नहीं हो पा रहा है। द्वितीय सत्र में विवेकानंद नगर सरकंडा की जन समस्या शिविर में आमजनों से भाजपा के 15 साल के शासन काल के बारे में चर्चा करते हुए श्री अमर अग्रवाल ने कहा भाजपा के काल में आम जनों की समस्याओं का नियमित निराकरण होता था चार सालों में सुध लेने के लिए चुने गए बेचारे हो गए हैं।
उन्होंने भूपेश सरकार की नीति को छत्तीसगढ़ की जनता के साथ छल बताते हुए कहा है कि बिजली बिल हाफ की घोषणा फ्लॉप हो चुकी है।
छत्तीसगढ़ के आम उपभोक्ता परिवारों को बिजली सरप्लस स्टेट में बढ़ी हुई दर पर बिजली बिल पटाना पड़ रहा है। प्रदेश की जनता की ऊर्जा जरूरतों का उपलब्ध संसाधनों के अनुसार सही आंकलन करके नीति निर्माण एवं क्रियान्वयन की दृष्टि से राज्य सरकार में विजनरी अप्रोच नहीं होने से जनता को बढ़ी हुई बिजली दर की मार झेलनी पड़ रही है। अघोषित कटौती से उद्योग धंधों उद्योग धंधे, उत्पादन, व्यापार कारोबार के साथ आम जनजीवन पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है।
प्रदेश सरकार अपनी कमियों को ढकने के लिए आंकड़े बाजी के जाल में उलझाकर अपनी असफलताओं को केंद्र सरकार के ऊपर डालने में महारत हासिल कर चुकी है।
श्री अमर अग्रवाल ने कहा 2008 से ही छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य बना जहां जीरो पावर कट की स्थिति है लेकिन आज प्रदेश में विद्युत उपलब्धता की अनुकूल परिस्थितियों और संसाधन की प्रचुरता के बावजूद प्रदेशवासियों को बढ़ा बिजली बिल पटाना पड़ रहा है।
वर्ष 2000 छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के उत्पादन क्षमता 1360 मेगावाट था, 20 वर्षों में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में 134% वृद्धि हुई और उत्पादन 3200 मेगावाट से ज्यादा होने लगा। राज्य स्थापना के समय जहां प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 300 यूनिट थी, 2019 तक बढ़कर लगभग 2000 यूनिट पहुंच गई।
भाजपा शासनकाल में शत प्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल हुआ।
20000 से ज्यादा गांवो में बिजली पहुंचाने का काम हुआ। लगभग 58 लाख विद्युत उपभोक्ताओं में 50 प्रतिशत घरेलू उपभोक्ता, 34 प्रतिशत बीपीएल परिवारों को कृषि हितग्राही एवं औद्योगिक श्रेणियों के उपभोक्ताओं के साथ व्यक्तिगत जीवन स्तर को ऊंचा उठाने सतत विद्युत उपलब्धता सुविधा दी जा रही थी।
सकल घरेलू राज्य उत्पाद में ऊर्जा क्षेत्र का योगदान लगातार बढ़कर लगभग 10 प्रतिशत तक हो गया, विद्युत गैस पानी आपूर्ति का योगदान में लगातार वृद्धि हुई किंतु कांग्रेस के चार सालो में जीएसडीपी में योगदान नकारात्मक हो गया हैं। भागीदारी स्थिर हो गई है। राजकीय उपक्रम कोरबा पूर्व की द्वितीय एवं तृतीय इकाई डिकमिश्निंग किए जाने से 440 मेगावाट की उत्पादन क्षमता कम हुई है।बिजली में मनमानी कटौती, बिजली के दर में बढ़ोतरी, सुरक्षा निधि के नाम से राज्य सरकार अवैध वसूली कर रही है.बिजली बिल हाफ का वायदा कर सत्ता में काबिज हुई कांग्रेस ने 4 साल में 4 बार बिजली बिल में वृद्धि कर दी, मेन्टेन्स के नाम पर लगातार बिजली में कटौती जारी है, अब सुरक्षा निधि के नाम पर मनमानी वसूली की जा रही है, जिससे आम जनता त्रस्त है।
उन्होंने कहां कि अस्थाई कनेक्शन देने, बिजली बिल बांटने के काम में कांग्रेस के नेताओं और ठेकेदारी को लगाया दिया गया है।
भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए कोरबा दक्षिण, सूरजपुर प्रेम नगर में इफको के साथ, भैयाथान इंडिया बुल्स लिमिटिड, कोरिया में राज्य सरकार द्वारा, इसी प्रकार रायगढ़ ताप विद्युत परियोजना जिंदल पावर एवं कोरबा के पताड़ी में निजी क्षेत्र आधारित ताप विद्युत परियोजना द्वारा कुल 6000 मेगावाट उत्पादन करार छत्तीसगढ़ के वर्तमान सरकार चार वर्षों में पूरा नहीं कर पाई है।
इस प्रकार प्रस्तावित जलविद्युत आधारित परियोजनाएं भी लंबित है, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के इस्तेमाल और बढ़ोतरी के लिए भी राज्य सरकार केंद्र सरकार के द्वारा दिए जा रहे प्रोत्साहन के बावजूद सफलता हासिल नहीं कर पाई है।
भाजपा नेता अमर अग्रवाल ने बताया बताया छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग ने अप्रैल 2022 में बिजली दरों का नया टैरिफ जारी किया था। घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली दर 10 पैसा प्रति यूनिट व अन्य सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दर 15 पैसा प्रति यूनिट की दर से बढ़ाई गई थी, अप्रैल 2022 के पूर्व बिजली की पिछली दर 5 किलोवॉट तक 3.60 रुपया प्रति यूनिट थी। 101 से 200 यूनिट तक 3.80 रुपया प्रति यूनिट की दर का स्लैब था। 5 से 10 किलोवॉट तक 201 से 400 यूनिट तक 5.20 रुपया प्रति यूनिट और 401 से 600 यूनिट तक 6.20 रुपया प्रति यूनिट की दर थी। नये टेरिफ के मान से घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट की खपत पर 10 रुपए अधिक देने पड़े । एक हजार यूनिट खर्च पर यह रकम 100 रुपया तक आधिक्य हो गया था, सितंबर 2022 में सितंबर में 0.23 पैसे प्रति यूनिट बढ़ाया गया। पिछले दिनों एक बार पुनः 49 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी कर प्रदेश सरकार ने जनता को करंट देने का सिलसिला जारी रखा है। नए टैरिफ अनुसार 100 यूनिट के बिजली बिल पर ₹400 के अलावा अतिरिक्त ₹49 और इसी प्रकार आगे ज्यादा खपत पर बिल उपभोक्ताओं को बढ़ती खपत के साथ पटाना पड़ेगा।कुल विद्युत उपलब्धता में वितरण हानि भाजपा के समय 30 प्रतिशत से कम होकर 16 प्रतिशत हुई कालांतर में जबकि इसे 10 प्रतिशत तक किया जाना था, आज भी 16 प्रतिशत तक में स्थिर बनी हुई है।
2021-22 की प्रचलित दर से औसत बिल 6.08 रुपया आता है, नई बढ़ोतरी से 7.11 पैसा औसत बिल आएगा ।प्रदेश की सरकार व्ही सी ए चार्ज के नाम पर एनटीपीसी से प्राप्त बिजली की क्रय दर बढ़ने का बहाना लगाकर छत्तीसगढ़ सरकार अपने दायित्वों से किनारा करना चाहती है, सरकार बिजली बिल हाफ का वादा पूरा करने की जगह जनता की जेब साफ करने का काम कर रही है। सरकार का फोकस वोट बैंक के प्रबंधन में वर्ग विशेष को ऋण लेकर भी लुभाने का था, छत्तीसगढ़ के आम लोगों के हित में सरकार नीतियों का निर्माण और क्रियान्वयन में पूरी तरह से असफल रही है।
चार साल में जनता को सुविधा और विकास कार्यों की नई सौगात देने के नाम पर दूर रखा गया।
जनता से मिलने का भेंट मुलाकात कार्यक्रम पॉलिटिकल ड्रामा एवं हेट स्पीच का मंच बन चुका है। आने वाले दिसंबर में प्रदेश की जनता मोदी जी के नेतृत्व में भारतवर्ष में डबल इंजन की सरकार बनेगी उस दिन छत्तीसगढ़ के सभी वर्गों के विकास की दशा और दिशा सुनिश्चित होगी।