भगवान राम ही हैं जो हर किसी का नैय्या पार लगाते हैं- चिन्मयानंद बापू श्रीराम ज्ञान यज्ञ एवं श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के सातवें दिन सीता जी की विदाई प्रसंग का किया बखान

भिलाई। श्रीराम जन्मोत्सव समिति एवं जीवन आनंद फाउण्डेशन द्वारा आयोजित श्रीराम ज्ञान यज्ञ एवं श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के सातवें दिन आज सीता जी की विदाई के प्रसंग का बखान किया गया। जहां कथावाचक राष्ट्रीय संत श्री चिन्मयानंद बापू ने बताया कि जीवन की नैय्या पार करनी है, तो भगवान श्रीराम की शरण में जाना चाहिए। भगवान राम ही हैं जो हर किसी का नैय्या पार लगाते हैं।
चिन्मयानंद बापू ने प्रवचन के माध्यम से प्रसंग का श्रवण कराते हुए कहा कि श्रीराम व सीता के विवाह के समय समस्त जनक नगरवासियों ने उत्साह आनंद मनाया। वहीं जब विदाई की बेला आई तो समस्त जनकपुर में ऐसा प्रतीत होने लगा मानो जनकपुर से आज सीता जी नहीं बल्कि जनकपुर का समस्त सुख संपदा उत्साह विदाई ले रहा है। कथावाचक ने कहा कि तुलसीदास जी रामायण में वर्णन किए हैं जो व्यक्ति अपने जीवन में कभी भी नहीं रोया हो, जिसे कभी भी किसी भी बात का दुख न हुआ हो। वही व्यक्ति जब अपनी पुत्री, बहन आदि की विदाई करता है तो उसकी आंखों में सहसा ही आंसू निकल आते हैं।
यह एक ऐसी विदाई होती है जब सभी माता पिता के साथ रोने लगते हैं। उन्होंने कहा सीता माता की विदाई हो रही रही थी। तब पूरा जनकपुर आंसु बहा रहा था। कथा के अंत में कथावाचक ने जनक जी और दशरथ जी का बड़ा ही मार्मिक प्रसंग बताया। उन्होंने कहा कि विदाई के समय जनक जी महाराज आंसू बहाते हुए दशरथ जी से मिलने लगे। चिन्मयानंद बापू ने कहा कि सरलता भी एक भक्ति है। व्यवहार निर्मल होना चाहिए उसमें बनावट नही होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पास रहने से प्रेम और ममता बढ़ती है और दूर रहने से ममता दूर होती है। दूरी अनेक विकारों को जन्म देती है। उन्होंने कहा कि दूर होने में अनेक कारण है और पास रहने में एक कारण प्रेम पास ले आता है। जो पास पास नही रहते वह आस पास भी नही रहते।भजनों पर झूमे श्रद्धालु: सीता राम चरण रति मोहे, सखी रे मैं तो प्रेम दीवानी दर्द न जाने कोई जैसे भजनों से माहौल को भक्तिमय कर दिया। भक्त भी झूमते हुए प्रभु के जयघोष करते हुए भक्ति करते रहे। इस अवसर पर श्रद्धालु भगवान श्री राम की भक्ति में लीन दिखे।




