छत्तीसगढ़ राज्य अध्यक्ष सेवा प्राधिकरण और अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में संविधान दिवस के परिपेक्ष में आयोजित परिचर्चा*
*छत्तीसगढ़ राज्य अध्यक्ष सेवा प्राधिकरण और अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में संविधान दिवस के परिपेक्ष में आयोजित परिचर्चा*
भूपेंद्र साहू,
ब्यूरो चीफ बिलासपुर।
अटल बिहारी विश्वविद्यालय के सभागार में श्री आनंद प्रकाश वारियाल, सदस्य सचिव, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के मुख्य आतिथ्य एवं आचार्य श्री अरुण दिवाकर नाथ बाजपेई कुलपति, अटल बिहारी बाजपेयी वि0वि0 की अध्यक्षता में ‘‘भारत लोकतंत्र की जननी’’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संबोधित करते हुए श्री आचार्य श्री अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी जी ने कहा कि जिस प्रकार आज हम संविधान दिवस मना कर नागरिकों की हितों के बारे में बात कर रहे हैं हमें हमारे आसपास रहने वाले पशु पक्षी छोटे जानवर प्रकृति वृक्ष जो हमें छांव देते हैं नदियां जो हमें पीने हेतु जल प्रदान करती हैं हम ऐसी बेजुबान जीवो के बारे में भी या उनके अधिकारों के बारे में भी सूचना चाहिए संविधान के अंतर्गत हमारे अधिकारों के सहित हमारे कर्तव्य के बारे में भी उल्लेख है हमें हमारे प्रकृति एवं अन्य जीवो के अधिकारों को नहीं भूलना चाहिए संविधान को हमें अपने मन में स्थान देना चाहिए मनुष्य में दो प्रकार की विचार होते हैं एक प्रवृत्ति के विचार एक दूसरे निवृत्ति के विचार हमें संविधान के प्रति प्रवृत्ति के विचार मन में रखने चाहिए जिससे संविधान के प्रति आदर एवं समर्पण का भाव मन में जागृत हो सके।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री आनंद प्रकाश वारियाल ने कहा कि 1950 में हमारे संविधान को अंगीकृत किया गया था तथा प्रत्यक्ष रूप से 26 नवंबर को विधि दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है जिसे वर्ष 2015 से संविधान दिवस के रूप में मनाया जाने लगा, इसके मनाए जाने का मूल उद्देश्य नागरिकों को संविधान के महत्व के बारे में शिक्षित करना और उनके कर्तव्यों के बारे में जानकारी देना तथा भारत का संविधान सभी को व्यक्तिगत जीवन एवं सुरक्षा की गारंटी देता है भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार जैसे स्वतंत्रता का अधिकार समता का अधिकार शोषण के विरुद्ध अधिकार धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार संस्कृति एवं शैक्षणिक अधिकार तथा संवैधानिक उपचार का अधिकार प्रदान करता है। उन्होंने आगे कहा की हमारे देश के न्याय शास्त्र का एक अनूठा सिद्धांत है कि हजारों अपराधियों को आजाद होने दे लेकिन एक भी बेगुनाह को सजा ना दिया जाये। कोई व्यक्ति ऐसा कहकर नहीं बच सकता कि उसे कानून का ज्ञान नहीं था देश के प्रत्येक नागरिक से यह अपेक्षा की जाती है कि कि उसे देश के कानून एवं संविधान के बारे में जानकारी होगी एवं उसका पालन करेगा। छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आमजन में तथा लोगों को कानूनी जानकारी देने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विधि के छात्र तो कानून के बारे में जानते हैं परंतु आज यहां पर विधि के छात्र के अलावा अन्य विषयों के भी छात्र उपस्थित हैं उनसे हमारा अनुरोध है कि हमारे सोशल मीडिया एवं यू टयूुब चैनल जनचेतना पर कानूनी जागरूकता संबंधित कई फिल्में अपलोड हैं उनको अवश्य देखें और कानून के बारे में सरल भाषा में जानकारी प्राप्त करें । उन्होंने यह भी बताया कि एक और हमारा प्रयास है कि ’’ऐसा हो तो क्या करें’’ यूट्यूब सीरीज को भी अवश्य देखें जिसमें उनको सम्माननीय कानून के प्रश्नों का उत्तर प्राप्त होगा राज्य विधिक प्राधिकरण बच्चों अनाथों, बुजुर्गों, मानसिक रोगियों, यौन कर्मी, जेल अभिरक्षा धीन बंदियों इत्यादि लोगों के लिए भी विशेष अभियान संचालित कर रहा है
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता श्रीमती कामिनी जायसवाल, अवर सचिव ने सम्बोधित हुए कहा कि यह हम सभी को ज्ञात है कि हमारा संविधान दुनिया का सबसे लंबा संविधान है इसे संविधान सभा के 284 सदस्यों द्वारा 2 वर्ष 11 माह एवं 17 दिवस की कठोर परिश्रम के पश्चात तैयार किया है। ये हमारे लोकतंत्र के लिए सर्वश्रेष्ठ कृति इसलिए है क्योंकि यह एक जीवंत दस्तावेज है हमारे संविधान में अक्षमता है कि वह स्वतंत्र न्याय संगत समाज की स्थापना कर सकें । यह एक अटल सत्य है कि प्रत्येक पीढ़ी मैं संस्थापक सिद्धांतों की स्थापना करती है तथा अपनी आवश्यकता अनुसार नए नियमों की खोज करती है। हमारा संविधान भी लगभग एक जीवित प्राणी की तरह समय-समय पर उत्पन्न होने वाली विभिन्न स्थितियों परिस्थितियों और अनुभवों का सही सम्मान प्रदान करने में सक्षम है।
हमारे संविधान के निर्माताओ को यह स्पष्ट रूप से गया था कि आने वाली पीढ़ियों को आने वाले समय में कुछ नवीन समस्याओ का सामना करना पड़ेगा और इसे हल करने के लिए प्रासंगिक संवैधानिक प्रावधानों को संशोधित करने की समय समय पर आवश्यकता होगी इसलिए संविधान को देश का जीवित कानून कहा जाता है क्योंकि इसमें समय की आवश्यकता अनुसार संशोधन परिवर्तन पुर्नरीक्षण की आवश्यकता होती है हमारा संविधान एक पर्याप्त परिपक्व दस्तावेज है जो हमारी हर समस्याओं को हल करने हेतु सक्षम है।
उन्होंने 2012 में लागू किये गये पॉक्सो एक्ट के संबंध मे भी विस्तृत रूप से चर्चा की।
कार्यक्रम के प्रारंभ में संविधान की उद्देशिका का वाचन किया गया तथा कार्यक्रम का स्वागत भाषण श्री हर्ष पाण्डेय, संयोजक तथा आभार प्रदर्शन श्री शैलेन्द्र दुबे कुल सचिव द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में श्री शशांक शेखर दुबे विधिक सहायता अधिकारी सहित बड़ी संख्या में वि0वि0 के अधिकारी/कर्मचारी एवं विभिन्न संकाय केछात्रगण उपस्थित रहे।