ठंड के साथ आउटर कालोनियों में सताने लगा है बढ़ी डकैती जैसी वारदात का डर पुरानी घटनाओं को याद कर अभी से चितिंत हो रहे है यहां के रहवासी

भिलाई। लगातार बढ़ रही ठंड के साथ ही दुर्ग-भिलाई के आउटर क्षेत्र के लोगों में एक बार फिर से डकैती का डर सताने लगा है। आउटर क्षेत्रों में पूर्व मेें हुए डकैती एवं अन्य प्रकार की घटनाओं को याद कर यहां के रहवासी अभी से चिंतित होने लगे है। खास तौर से आउटर कालोनी सहित रेल पटरी के किनारे बने आलीशान मकान डकैतों के निशाने पर रहते हैं। पूर्व में नगर के प्रसिद्ध ट्रंास्पोर्टर जयेश भाई शाह के यहां हुए खून खराबा में कई लोगों की जान जाने के साथ ही और इस प्रकार की कई घटनाएं हो चुकी है। वहीं प्रसिद्ध कांट्रेक्टर धीरज शुक्ला के यहां रिसाली क्षेत्र सहित अन्य कई पाश कालोनियों में इस प्रकार की घटनाएं घट चुकी है।
मौसम की करवट लेते ही भिलाई-दुर्ग में धीरे-धीरे ठंड बढऩे लगी है। ऐसे सर्द रातों का फायदा अपराधिक जनजाति गिरोह पूर्व में उठाता रहा है। डकैती जैसी वारदात की आशंका ठंड के साथ बढने लगी है। कंजर, पारधी, भील, बावरिया जैसे अपराधिक जनजाति गिरोह दीपावली के बाद वारदात को अंजाम देने के इरादे से अपने मूल निवास क्षेत्र से अलग अलग शहरों में निकल पड़ता है। भिलाई-दुर्ग में भी ऐसे गिरोह के दस्तक पडऩे की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है क्योंकि यहां कई बार डकैतों ने बड़ी घटना को अंजाम देते हुए डकैती के साथ मर्डर भी कर चुके है।
बताया जाता है कि पेशेवर जनजाति अपराधिक गिरोह दीपावली के दिन अपने कुलदेवी की पूजा अर्चना कर परंपरागत हथियार लेकर निकल पड़ते हैं। कथित तौर पर यह गिरोह होली से पहले अपने मूल निवास में लौट जाता है और पुनरू कुलदेवी की पूजा कर आगामी दीपावली तक अपराध न करने की शपथ लेता है। दीपावली से होली के बीच गिरोह के सदस्य अलग-अलग समूह बनाकर एक से दूसरे शहर में सिलसिलेवार वारदात करते हैं। मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा क्षेत्र कंजर, पारधी, भील तथा बावरिया गिरोह के मूल निवास बताया जाता है। दुर्ग पुलिस पूर्व में हुए डकैती के कुछ मामलों में डकैतों को उनके मूल निवास क्षेत्र में जाकर दबोचने में सफलता दर्ज कर चुकी है। जिसके बाद हाल के वर्षों में पेशेवर गिरोह द्वारा अंजाम दिए जाने वाले वारदातों में कमी आई है। लेकिन जिस तरीके से ठंड बढऩे लगी हैए उससे थोड़ी सी भी चूक अपराधिक गिरोह को वारदात करने का मौका प्रदान कर सकती है।
अपराधिक जनजाति गिरोह के बारे में बताया जाता है कि वे रेल पटरी के किनारे तथा शहर के आउटर कालोनी में स्थित आलीशान मकानों को वारदात के लिहाज से अनुकूल मानते हैं। इसकी वजह वारदात के बाद रेल पटरी और आउटर के खुले मैदान या खेत से होकर भाग निकलने में आसानी को माना जा सकता है। भिलाई शहर में सुपेला के प्रियदर्शनी परिसरए भिलाई-3 का वसुन्धरा नगर, दुर्ग का बोरसी इलाका ऐसा है जो रेल पटरी के किनारे होने के साथ ही धनाढ्य वर्ग का आवासीय क्षेत्र है। जबकि जुनवानी, कोहका, पुष्पक नगर, कैलाश नगर सहित दुर्ग व रिसाली क्षेत्र के अनेक नवविकसित कालोनी में ऐसे आलीशान मकानों की कमी नहीं है, जहां वारदात के बाद मुख्य रास्ता के बजाए पीछे के खुले भूखंड से होकर अंधेरे का लाभ उठाकर डकैत गिरोह के सदस्य आसानी से भाग सकते हैं। भिलाई-3 की उत्तर वसुन्धरा नगर, श्याम नगर, पदुम नगर के आउटर वाले मकान भी पेशवर गिरोह के निशाने पर रह सकते हैं।
बढ़ाई गई रात्रि गश्त की समयावधि
ठंड बढऩे के साथ डकैती जैसी अपराध की संभावना को देखते हुए पुलिस के रात्रि गश्त की समयावधि बढ़ा दी गई है। सामान्य दिनों में गश्त की समयावधि रात 12 से भोर के 5 बजे तक रहती है। लेकिन ठंड के मौसम में रात लंबी हो जाने से एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने सभी थानेदारों को सुबह 6 बजे तक गश्त सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। इस दौरान गश्ती दल को आउटर पर बने आलीशान मकान, शहर के अंदर स्थित बैंक सहित रेल पटरी के आसपास संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने की हिदायत दी गई है। इसके अलावा दिन के उजाले में फेरी वाला बनकर शहर में घूमने वालों की गतिविधि पर भी नजर रखी जा रही है। होटल, लॉज, रैन बसेरा आदि में ठहरने वालों की पुख्ता जानकारी संबंधित थाने की पुलिस को रखने का निर्देश दिया गया है।