छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

भिलाई में दो दिवसीय मूलनिवासी कला साहित्य और फिल्म फेस्टिवल शुरू

 

भिलाई। सामाजिक आर्थिक बदलाव के लिए कार्यरत गैर राजनीतिक संस्थाओं एवं व्यक्तियों के स्वस्फूर्त संयुक्त प्रयास से मूलनिवासी कला साहित्य और फिल्म फेस्टिवल 2022 की शुरुआत शनिवार की सुबह नेहरू सांस्कृतिक सदन सेक्टर 1 भिलाई में हुई। उद्घाटन सत्र में अतिथियों के उद्गार के अलावा पुस्तक विमोचन व कला प्रदर्शनी का उद्घाटन हुआ। शुरुआत मे अतिथियों ने भारत रत्न डॉ. बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के तैलचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। मोमबत्ती रोशन कर दो दिवसीय समारोह की विधिवत शुरुआत की गई। आयोजन समिति से जुड़े प्रशासनिक अधिकारी विश्वास मेश्राम ने स्वागत भाषण दिया और आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि इतिहास में हमारे मूलनिवासी का योगदान अतुलनीय है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भिलाई का यह कार्यक्रम हमारी विरासत को संजोने की याद दिलाएगा। अपने विचार व्यक्त करते हुए एसके केसकर ने कहा कि मूलनिवासी का प्रत्येक प्रतिभावान पुरुष व महिला कला से परिपूर्ण है और उसे यह सब विरासत में मिली है।

प्रख्यात मूर्तिकार पद्मश्री जॉन मार्टिन नेलसन ने कहा कि मैं मूलनिवासी मूर्तिकार हूं और जिस तरह आज मेरी कला को पूरी दुनिया में सराहना मिल रही है, मैं चाहता हूं कि आप भी अपने अंदर की प्रतिभा को पहचानें और अपना अलग मुकाम बनाएं। नागपुर से पहुंची संस्कृति कर्मी उषा ताई बौद्ध ने कहा कि जय भीम हमारी आन और शान है। हम इस देश के राजा थे दास नहीं, इसलिए हमें राजा जैसा रहना चाहिए। प्रभाकर खोबरागड़े व सुनील रामटेके ने कार्यक्रम को मूल निवासियों में सच्ची नई चेतना जगाने वाला कहा।

 

डॉ उदय धावडे ने सभी अतिथियों को बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर की किताब भेंट की। एल धनंजय ने बाबा साहब और बहुजन महापुरुषों का आभार व्यक्त करते हुए किताब लिखने से पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा ही महत्वपूर्ण हथियार है। पूर्व कमिश्नर दिलीप वासनीकर ने कहा कि नवंबर का महीना मूलनिवासी नायकों का है और मैं बाबा साहब की प्रेरणा की वजह से आईएएस बन सका।

भिलाई स्टील प्लांट के पूर्व जीएम एल उमाकांत ने कहा मूलनिवासी फेस्टिवल हमें समाज के लिए चिंतन करने और भविष्य की रूपरेखा तय करने में मदद करेगा। बीपी नोन्हारे ने कहा कि दलित-बहुजन समुदाय के हित में विचार करने यह आयोजन महत्वपूर्ण साबित होगा।
इस अवसर पर बीपीएल में ईडी रहे एल धनंजय की पुस्तक छत्रपति शाहू जी महाराज का विमोचन भी किया गया। उद्घाटन सत्र का संचालन कमल टंडन जीएम बीएसपी व एसपी निगम एजीएम बीएसपी ने किया। उपाध्यक्ष विनोद व संयुक्त सचिव सुधीर रामटेके का सहयोग विशेष रहा।

कला प्रदर्शनी का हुआ उद्घाटन
आयोजन का प्रमुख आकर्षण यहां लगाई गई कला प्रदर्शनी हैं। शनिवार को इसका उद्घाटन प्रख्यात मूर्तिकार पद्मश्री जेएम नेलसन ने किया। उन्होंने यहां लगाई गई सभी कृतियों को देखा और कलाकारों के प्रयास की सराहना की। यहां अशोक ढवले ने दलित कविताओं के पोस्टर लगाए हैं।

अमोल मेश्राम दिल्ली की पेंटिंग्स भी लगाई गई है। वहीं बाहर की ओर जोसेफ गिलबर्ट, लक्ष्मीनारायण कुंभकार और राकेश बंबारडे की टीम द्वारा कलात्मक गेट बनाया गया है।शिल्पकार राजेंद्र सुनगरिया के अलावा यहां कलाकार अमीनुल हक, भूपेंद्र साहू, चित्रा नेताम, दीप्ति ठाकुर, काजल वर्मा, दीपक वर्मा, उमाकांत ठाकुर, डीएस विद्यार्थी, प्रकाश कौशिक, हरीश मंडावी, भूपेंद्र साहू, राम मंडावी, किशोर साहू ,राम उमा देवी देवास व सूफियाना भाई पावली की कृतियां प्रदर्शित की गई है।

समूह गान, व्याख्यान व नाटक का मंचन हुआ
उद्घाटन सत्र के उपरांत पूर्व घोषित कार्यक्रम शुरू हुए। जिसमें समूह गीतों की प्रस्तुति हुई । इसके बाद दोपहर 2 बजे से लघु फिल्मों का प्रदर्शन हुआ जिसका संयोजन शेखर नाग एवं एलेक्स शाक्य ने किया। दोपहर में  भारत का संविधान और आदिवासियों के अधिकार विषय पर महाराष्ट्र से आए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखक तथा आदिवासी मुद्दों के नामी पैरोकार लटारी कवडू मडावी ने अपना उद्बोधन दिया।

इसके बाद शाम 4 बजे से सासाराम बिहार से आए बौद्ध कालीन पुरातत्व के प्रख्यात अध्येता, इतिहासकार और भाषा वैज्ञानिक प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद सिंह ने प्राचीन भारत का इतिहास और सभ्यता का पुनरावलोकन विषय पर अपनी बात रखी। शाम 5:30 बजे से राष्ट्र निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की पत्नी के योगदान को दर्शाता देश भर में प्रसिद्ध नाटक रमाई का मंचन नागपुर की ऊषा ताई बौद्ध द्वारा किया गया।

इसके उपरांत शाम 6 बजे से, मुंबई से आ रहे, अपने जन केंद्रित गीतों और गायन के एक अलग अंदाज के लिए विख्यात लोक शाहिर संभाजी भगत और उनके साथियों की संगीतमय प्रस्तुति हुई। रात 8:30 बजे से मूलनिवासी कवि सम्मेलन रखा गया जिसका संयोजन छत्तीसगढ़ के ख्याति लब्ध कवि लक्ष्मीनारायण कुंभकार सचेत ने किया।

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