छत्तीसगढ़धर्म

Bilaspur कल है नरक चतुर्दशी, जानिए क्या है इसका महत्व

*कल है नरक चतुर्दशी, जानिए क्या है इसका महत्व*

भूपेंद्र साहू
ब्यूरो चीफ बिलासपुर,
*नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली, काली चतुर्दशी इसे कई नामों से जाना जाता है, ये पर्व देवी लक्ष्मी की बड़ी बहन से जुड़ा है, जिन्हें दरिद्रा कहा जाता है। दिवाली से पहले रूप चौदस के दिन यम के लिए दीपक जलाते हैं, लेकिन घर के बाहर कूड़े-कचरे के पास भी दीपक लगाया जाता है।*
*स्कंद, पद्म और भविष्य पुराण के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर उबटन, तेल आदि लगाकर स्नान करना चाहिए*

*नरक को चतुर्दशी, नरक चौदस और काली चौदस भी कहा जाता है, नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है, इस दिन लोग अपने घरों के बाहर यम की दीया भी जलाते हैं।*
*धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधि विधान से श्रीहरि भगवान विष्णुजी की पूजा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है, इसीलिए इसे रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है। नरक चौदस के दिन तिल के तेल में 14 दीपक जलाने की परंपरा है. रूप चतुर्दशी बाह्य सुंदरता, आकर्षण, तेज, प्रभाव, व्यक्तित्व से संबंधित है, पहले अंतस्थ फिर बाह्य व्यक्तित्व का व्यवस्थीकरण कर आभ्यांतर स्वास्थ्य की प्राप्ति की कामना करने का प्रयास करना चाहिए। इस दिन भी दीपावली की तरह पूजा-पाठ, दीप जलाएं जाते हैं, लेकिन दोनों दिन पूजा में अंतर होता है कि दिवाली पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लेकिन नरक चतुर्दशी पर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है, वैसे तो धनतेरस से लेकर बडी दिवाली तक लक्ष्मी पूजन का बड़ा महत्व माना जाता है, लेकिन छोटी दिवाली के दिन भगवान कृष्ण, यमराज और हनुमानजी की भी पूजा को महत्व दिया जाता है।*

*दिवाली का त्‍योहार रोशनी का त्‍योहार होता है, इस मौके पर घर की साफ-सफाई की जाती है, कहते हैं कि समृद्धि उसी घर में होती है जहां के लोगों को मन, तन और घर की सफाई पसंद होती है। दिवाली के एक दिन पहले छोटी दिवाली है। लोग इस दिन अपने घर के सभी बेकार चीजों और कबाड़ को घर से बाहर निकालते है। रात को घर के बाहर दिए जलाकर रखने से यमराज प्रसन्न होते हैं। और अकाल मृत्यु की संभावना टल जाती है।*
*ज्योतिषाचार्य का कहना है की इस बार छोटी दिवाली के साथ कार्तिक कृष्ण त्रयोदशीयुक्त चतुर्दशी पर धंवन्तरी जयंती मनाई जाएगी। इस दिन रूप चौदस भी है। इस दिन रूप चतुर्दशी के निमित्त शाम को दीपदान तथा आगामी अरुणोदय काल में प्रभात स्नान व दीपदान होगा। जयोतिष आचार्य के अनुसार हमारे देश के पर्वों और उनकी प्रकृति की बात करें तो दीपावली सबसे बड़ा पर्व है, जो कि प्रतीकों और विविधताओं से भरा हुआ है। एक भी पर्व तब तक लोकप्रिय नहीं होता, जब तक कि वह लोकहितों को लेकर या लोक के अनुकूल नहीं चलता। दीपावली पर्व धर्म, अध्यात्म, पुराण, व्यापार-व्यवसाय, समाज, परिवार और मानवीय संवेदनाओं से सम्बंधित एक भरा-पूरा लोक सांस्कृतिक पर्व है। इस पर्व के सम्पादन, संयोजन में प्रतीकों के माध्यम से पर्व की समुचित व्यावहारिकताओं के दर्शन होते हैं। ज्योतिषाचार्यो का मानना हैं कि बहरहाल, घर की सफाई के साथ तन और मन की सफाई भी जरूरी है, वास्‍तु शास्‍त्र में कचरे और गंदगी नकारात्‍मक ऊर्जा के सबसे बड़े स्‍त्रोत माने गए हैं, इसलिए समृद्धि को आकर्षित करने के लिए घर के कचरे के साथ ही साथ मन के कचरे को भी साफ करना बेहद जरूरी है।*

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