छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

शोभायात्रा के साथ वार्ड 24 गांधी चौक में भागवत कथा की शुरूआत, Bhagwat Katha begins at Ward 24 Gandhi Chowk with procession

भिलाई / वार्ड 24 केम्प 2 गांधी चौक नहरपार के दुर्गा मंच पर भागवत कथा की शुरुआत शुक्रवार को कलश शोभायात्रा के साथ हुई। शोभा यात्रा में महिला व बच्चियां पीले परिधान में शामिल हुईं। यात्रा गांधी चौक, शीतला मंदिर, ताड़ी लाइन, निषाद सेवा समिति व बिहारी मोहल्ला होते हुए आयोजन स्थल पहुंची। सर्वप्रथम पूजा-अर्चना के बाद वेदी की स्थापना की गई। कथावाचक पंडित संतोषानंद तिवारी व परायणकर्ता आयुष तिवारी हैं। कथावाचक पं. तिवारी ने गौकर्ण कथा सुनाते हुए कहा कि ब्राम्हण आत्मानन्द व धुंधली नि:सन्तान दम्पत्ति थे। आत्मानंद अपनी पत्नी व गाय के संतान न होने से आत्महत्या करने वन को निकल पड़े। रास्ते में ऋषि ने रोक लिया। उसने फल पत्नी को खिलाने कहा। पत्नी फल खुद न खाकर अपनी गाय को खिला दी और खुद को गर्भवती हाेने का ढोंग रचकर बहन द्वारा जन्मे शिशु को अपना बता दिया। ब्राह्मण खुश हुआ। पत्नी ने उसका नाम धुंधकारी रख दिया। कुछ माह बाद गाय ने मनुष्याकार बच्चे को जन्म दिया, जिसका गौ के समान कान होने से गौकर्ण रखा गया। गौकर्ण सात्विक और धुंधकारी दुष्ट प्रवित्ति का था। धुंधकारी से त्रस्त देख गौकर्ण ने पिता को भगवद्भक्ति करने कहा, जिसके कारण उसी जन्म में भागवत कथा के दशमस्कन्ध के पाठ से उन्हें श्रीकृष्ण की प्राप्ति हुई और सदगति को प्राप्त किया। वहीं दूसरी ओर धुंधकारी ने अपनी माता को कुएं में गिरकर मरने विवश कर दिया। नशा से लत धुंधकारी चोरी करते पकड़े जाने पर राजा के हाथों मरवा दिया गया। गौकर्ण ने अपने दुष्ट भाई की गया में श्राद्ध कराया, लेकिन मुक्ति नहीं मिली। धुंधकारी प्रेत योनि में रहते हुए बांस की गांठ में छुपकर कथा सुनते रहा। सातवें दिन गांठ फटने से वे दिव्य रूप में प्रकट हुए और उन्हें मुक्ति मिली। भगवताचार्य ने आगे कहा कि आज जो स्वयं लड़े और दूसरों को लड़ाए, वे धुंधकारी हैं। जो प्रतिकूलता में भी प्रभुकृपा का अनुभव करता है, वही सच्चा वैष्ण भक्त है। कोई किसी भी योनि का क्यों न हो, जो सात दिवस भगवतकथा का श्रवण करता है, उसे अवश्य भगवत्प्राप्ति होती है। ईश्वर के लिए जो जीता है, उसे अवश्य मुक्ति मिलती है। आयोजकों ने बताया कथा प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 5 बजे होगी ।

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