धर्म

कैसे हुई महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति? पढ़ें यह पौराणिक कथा

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है. आज का दिन उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के लिए विशेष है क्योंकि आज भव्य महाकाल लोक कॉरिडोर (Mahakal Lok Corridor) का लोकार्पण होने वाला है, जो भगवान शिव की महिमा, उनके अवतारों और उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के लिए समर्पित है. आज इस अवसर पर हम जानते हैं कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirling) की उत्पत्ति कैसे हुई? इसकी पौराणिक कथा क्या है?काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट कहते हैं कि भगवान शिव काल से परे हैं, वे आदि हैं और वे अनंत हैं. वे महाकाल हैं. जिन लोगों को अकाल मृत्यु का भय रहता है, उनको महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन करना चाहिए. महाकाल की कृपा से अकाल मृत्यु भी टल जाती है. जिस पर महाकाल की कृपा हो जाए, उसका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा का वर्णन शिव पुराण में है.शिव पुराण की कथा के अनुसार, उज्जयिनी में चंद्रसेन नाम का राजा शासन करता था, जो शिव भक्त था. भगवान शिव के गणों में से एक मणिभद्र से उसकी मित्रता थी. एक दिन मणिभद्र ने राजा को एक अमूल्य चिंतामणि प्रदान की, जिसको धारण करने से चंद्रसेन का प्रभुत्व बढ़ने लगा. यश और कीर्ति दूर दूर तक फैलने लगी.दूसरे राज्यों के राजाओं में उस मणि को पाने की लालसा जाग उठी. कुछ राजाओं ने चंद्रसेन पर हमला कर दिया. राजा चंद्रसेन वहां से भागकर महाकाल की शरण में आ गया और उनकी तपस्या में लीन हो गया. कुछ समय बाद वहां पर एक विधवा गोपी अपने 5 साल के बेटे साथ वहां पहुंची. बालक राजा को शिव भक्ति में लीन देखकर प्रेरित हुआ और वह भी शिवलिंग की पूजा करने लगा.बालक शिव आराधना में इतना लीन हो गया कि उसे मां की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी. उसकी मां उसे भोजन के लिए बार बार आवाज लगा रही थी. बालक के न आने पर गुस्साई मां उसके पास गई और पीटने लगी. शिव पूजा की सामग्री भी फेंक दी. बालक मां के इस व्यवहार से दुखी हो गया.तभी वहां पर चमत्कार हुआ. भगवान शिव की कृपा से वहां पर एक सुंदर मंदिर निर्मित हो गया, जिसमें दिव्य शिवलिंग भी था और उस पर बालक द्वारा अर्पित की गई पूजा सामग्री भी थी. इस तरह से वहां पर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति हुई. इस घटना से उस बालक की मां भी आश्चर्यचकित रह गई.जब राजा चंद्रसेन को इस बात की सूचना मिली तो वह भी महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने पहुंच गया. जो राजा मणि के लिए चंद्रसेन पर हमला कर रहे थे, वे युद्ध का मार्ग छोड़कर महाकाल की शरण में आ गए. इस घटना के बाद से ही भगवान महाकाल उज्जयिनी में वास करते हैं. ​ जिस प्रकार से काशी के राजा बाबा विश्वनाथ है, वैसे ही उज्जैन के राजा भगवान महाकाल हैं.

Related Articles

Back to top button