छत्तीसगढ़

तथा पोखर-बहते हुए रुके हुए जल के स्वाद, रंग, जल स्त्रोत को सर्वे कर पहचाना

 

कवर्धा छत्तीसगढ़

रासेयो- दशरंगपुर ने जल प्रबंधन किया कार्य,

‘जल संरक्षण का लिया संकल्प

तथा पोखर-बहते हुए रुके हुए जल के स्वाद, रंग, जल स्त्रोत को सर्वे कर पहचाना 

“प्रकृति का निःशुल्क उपहार है-जल, जल सभी प्राणियों के जीवन के लिए अनिवार्य है, किन्तु आज “जल प्रदूषण व भीषण “जल संकट” से जूझना पड़ रहा है, इससे निपटने हेतु बेहतर “जल-प्रबंधन” आवश्यक है-उक्त विचार दशरंगपुर चौकी प्रभारी संजय मेरावी, नहर व बहते हुए जल का सर्वे कर रहे रासेयो-दशरंगपुर की संयुक्त व महिला इकाई के स्वयंसेवकों से साझा कर रहे थे। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय-दशरंगपुर के प्रभारी प्राचार्य रवेन्द्र सिंह चंद्रवंशी रासेयो स्वयंसेवकों को -जल प्रबंधन- के गुर बताते हुए कहा कि वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से वर्षा का जल, भवन के छत से सीधे पृथ्वी में पुनः भेजा जा सकता है, जो कि व्यर्थ बह जाता है, इसलिए शासन ने भी नये भवन निर्माण के लिए वाटर हार्वेसिंग सिस्टम को बनाना अनिवार्य किया है। हमें जल का समुचित प्रबंधन कर, वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जल बचाना चाहिए। शा.उ.मा.वि.-महिला इकाई की महिला कार्यक्रम अधिकारी दुर्गेश नंदिनी तथा संयुक्त इकाई के कार्यक्रम हेमधर साहू ने स्वयंसेवकों के साथ पोखर, नहर-बहते हुए जल, तालाब का जल, वर्षा से एकत्र हुए जल, बॉध के जल के रंग, स्वाद, व उनके प्रदूषित होने के कारण-पीने योग्य जल को सर्वे कर जाना। स्वयंसेवक नुयश,नीलम, प्रभात, उदय, गूंजा के अनुसार डिटर्जेंट पाउडर- साबुन इत्यादि प्रतिदिन तालाब के पानी में घोला जा रहा है, पशुओं के नहलाने व घरों के गंदा पानी को तालाब में मिलाने से तालाब प्रदूषित हुआ है, तालाब के जीव-जंतु कष्ट में , तालाब के पानी का रंग हल्का काला, स्वाद कड़वा था,तालाब का पानी इंसानों की बात तो दूर-पशुओं के लिए पीने योग्य नहीं था शाला प्रबंधन एवं विकास समिति, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय-दशरंगपुर के अध्यक्ष महेश केशरी ने तालाब में
लोगों को जल संरक्षण का संकल्प दिलाया तथा जल प्रदूषण के कारणों में एक प्रमुख कारण, जन-जागरूकता के अभाव को माना। सर्वे में स्पष्ट हुआ कि कौन सा जल पीने योग्य है, पोखर-वर्षा से एकत्र जल साफ-स्वच्छ था, उसमें सूक्ष्म जीव-जन्तु भी थे। नहर का पानी मटमैला था, उसमें भी सूक्ष्म जीव थे, बॉध का पानी भी साफ व स्वच्छ था, सभी पानी का स्वाद अलग-अलग था, किन्तु पानी के स्वरूप को पहचान कर, स्वयंसेवकों ने ग्रामीण जनों को संरक्षण व जल प्रबंधन के लिए जागरूक किया। कार्यक्रम अधिकारी हेमधर साहू ने जल है, तो कल है जल है तो-जीवन है” नारों से ग्रामवासियों को जल के प्रति जिम्मेदारी को बताया । पूर्व एस. एम.डी.सी. अध्यक्ष नरेश केशरी ने जल की उपादेयता बताते हुए, आगाह किया कि ऐसे हालात रहे तो पीने के पानी के लिए हमें डीजल -पेट्रोल की तरह एक-एक बूंद पानी के लिए तरसना पडेगा, जल को पैसे में ही खरीदने के लिए , लाईन लगानी पडेगी। अतः हमें समय रहते जल का प्रबंधन कर जल के दुरूपयोग करने व जल को प्रदूषित होने से बचाना चाहिए।

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