शारदीय नवरात्र मां भगवती महामाया देवी मंदिर प्रांगण रतनपुर मे आयोजित शतचंडी महायज्ञ आराधना महोत्सव
रतनपुर- शारदीय नवरात्र मां भगवती महामाया देवी मंदिर प्रांगण रतनपुर मे आयोजित शतचंडी महायज्ञ आराधना महोत्सव मंगलमय वातावरण में संपन्न हो रहा है आज शारदीय नवरात्र पंचमी का पावन पर्व उल्लास पूर्वक मनाया गया। यज्ञाचार्य आचार्य पंडित श्री पंडित झम्मन शास्त्री जी महाराज ने सारगर्भित संबोधन में मां भगवती की महिमा बताते हुए कहा बुद्धि एवं विचार की पवित्रता के लिए अज्ञान कृत अंधकार के निवारण हेतु सत्य ज्ञान की प्राप्ति के लिए मां भगवती की नित्य आराधना करनी चाहिए ।भारत वर्ष धन्य है ।जहां ब्रह्मा विष्णु महेश सृष्टि के आदि में प्रकट होते हैं। वैसे ही आद्य शक्ति मां भगवती भी तीन रूपों में महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती के रूप में प्रकट होती है ।64 प्रकार की कला के साथ 32 प्रकार की विद्या कहीं 16 प्रकार की विद्या का वर्णन है। हमारे विचारों की पवित्रता बनी रहे विवेक पूर्वक हम सत्कर्म के मार्ग में चलकर हम भगवत प्राप्ति के मार्ग में सफल हो इसके लिए आज संकल्प लेने का दिन है ।संस्कार प्रधान संस्कृति प्रधान समाज एवं आदर्श राष्ट्र के निर्माण के लिए मां भगवती महामाया से आज प्रार्थना करने का सौभाग्य सुलभ हुआ। परिवार में सुमति हो सबके हित कल्याण की भावना से हम नित्य ईश्वर धर्म और राष्ट्र भक्ति की कामना श्री चरणों में समर्पित करें। सा विद्या या विमुक्तये आचार्य श्री ने कहा ज्ञान वही सार्थक है। जिससे मुक्ति मिल जाए ऋतेज्ञानान् मुक्तिः दोष से दुर्गुण से बुराइयो से दुर्व्यसन से हम मुक्त रहें। भौतिक शिक्षा के साथ अध्यात्म ज्ञान की आवश्यकता है ।दुर्भाग्य है। शिक्षा पद्धति में नीति और अध्यात्म का कोई समावेश नहीं है। बच्चे ज्ञानवान, संस्कार वान ,विचार वान ,नैतिक मूल्यों से ओतप्रोत कैसे बनेंगे। शिक्षा स्वालंबन अभियान से युक्त है। किसी के पास बुद्धि है। तो सकारात्मक चिंतन से युक्त हो तो कल्याणकारी है। नहीं तो विस्फोटक है ।उसी का प्रभाव है ।आतंकवाद ,उग्रवाद, नक्सलवाद, माओवाद, इनके पास ईश्वर ,धर्म और उपासना आलम्बन नहीं है ।ज्ञान के साथ आचरण की पवित्रता आवश्यक है। आचारोंपरमो धर्मः आचारहीनं न पुनन्तिवेदाः विद्या से विनम्रता आती है। विद्या ददाति विनयम् गुरुकुल परंपरा तुल्य होने से माता पिता गुरु गोविंद के प्रति आस्था कम हो गई समाज में अनाचार दुराचार ,व्यभिचार, अपराध बढ़ते जा रहा है। पूज्य पाद गुरुदेव भगवान शंकराचार्य जी इसीलिए प्रेरणा देते हैं। कि गुरु गोविंद और ग्रंथ का बल जीवन में हो तभी जीवन सार्थक होता है। इसीलिए आज से नवरात्र के इस महान पर्व पर हम विकृत ज्ञान विज्ञान का शोधन करें । लुप्त ज्ञान विज्ञान को प्रकट करें तथा सुत्रात्मक ज्ञान को विषद करें और परंपरा प्राप्त ऋषियों ने लाखो वर्ष पूर्व से ही विज्ञान अध्यात्म एवं व्यवहार में सामंजस्य साधकर आर्षप्रषीत ग्रंथों का प्रतिपादन किया । इस यांत्रिकी युग में उसकी उपयोगिता सिद्ध करते हुए ।लिखनी के द्वारा, वाणी के द्वारा, व्यवहार के द्वारा, समाज को दिशा प्रदान करने की आवश्यकता है। इसी शैली में पूज्य पाद पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य शंकराचार्य महाभाग ने 200 ग्रंथों की लेखनी कर अपने दिव्य वाणी के अमोघ प्रभाव से पूरे विश्व को प्रभावित किया है । सरस्वती मां का बीज मंत्र ( ऐं ) है ।वाणी में दिव्यता लाने के लिए, बच्चों में स्थिर बुद्धि के लिए ,अध्ययन में मन लगने के लिए, इस मंत्र का जप करना चाहिए। मां भगवती को प्रसन्न करने के लिए सात्विक भाव से त्याग संयम सेवा तपस्या साधना स्वाध्याय के प्रति आस्था को बढ़ाने की आवश्यकता है ।समाज में तामस प्रवृतियां बढ़ रही है। लेकिन केवल भौतिक विकास के नाम पर बहिर्मुर्खता बढ़ रही है। जो गंभीर चिंतन का विषय है। अंत में शास्त्री जी ने कहा मां भगवती महामाया उन्हीं के ऊपर कृपा करती है। जो परंपरा प्राप्त व्यासपीठ का सम्मान करते हुए उनके बताए आदर्श मार्ग का पालन करते हैं । महा दिव्य आयोजन श्री मां महामाया देवी मंदिर प्रांगण मे जनकल्याणार्थ राष्ट्र के सर्वविध उत्कर्ष के लिए ” हिन्दू राष्ट्र निर्माण हेतु ” अभियान प्रारंभ है। धर्म संघ पीठ परिषद आदित्य वाहिनी आनंद वाहिनी के सदस्य पदाधिकारी यहां पहुंचकर सेवा प्रदान कर रहे हैं। अंत में आचार्य श्री ने सभी भक्तों के लिए शारदीय नवरात्र पंचमी की शुभ मंगल कामना प्रेषित की है।