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रायपुर में 500 वर्ष पहले बंजारे करते थे पूजा इसलिए नाम पड़ा बंजारी देवी

रायपुर। Navratra 2022 शहर देवियों के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा ही एक मंदिर बिलासपुर की ओर से आने पर रायपुर के प्रवेश द्वार रावांभाठा मुख्य मार्ग पर स्थित है। लगभग 500 साल पहले वीरान जंगल में घुमंतू बंजारे डेरा डालकर रहते थे।

 

 

 

 

 

 

उसी दौरान बंजर पड़ी भूमि में देवी रूप में दबी प्रतिमा को बंजारों ने देखा और अपनी कुलदेवी के रूप में पूजा करने लगे। कालांतर में प्रतिमा की बंजारी देवी के नाम से ही पूजा होने लगी। अब इस मंदिर में हर वर्ग के लोग आते हैं। नवरात्र में आसपास के गांवों से हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।

 

 

 

 

 

 

 

 

मंदिर के द्वार पर अमर जवान ज्योति

 

 

बंजारी मंदिर सेवा समिति के ट्रस्टी हरीश भाई जोशी बताते हैं कि समय के साथ मंदिर का विस्तार होता गया। मंदिर में स्थापित गुरुकुल स्कूल के बच्चों के मन में देशभक्ति की भावना जागृत करने के लिए मंदिर के मुख्य द्वार पर इंडिया गेट की तर्ज पर अमर जवान ज्योति प्रज्वलित की गई है। स्कूल के छात्र प्रतिदिन अमर जवान ज्योति के समक्ष वीर बलिदानियों को सलामी देते हैं। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के मन में भी देशभक्ति की भावना जागृत होती है। गर्भगृह में देवी दर्शन के साथ ही श्रद्धालु मुख्य द्वार पर बलिदानियों को सलामी देते हैं।

पांचवें दिन स्कंदमाता की उपासना

 

 

यहां स्थित पांचवें देवी के स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। जिनकी उपासना नवरात्र के पांचवें दिन की जाती है। स्कंदमाता स्वरूपिणी देवी की चार भुजाएं हैं। स्कंदमाता दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान स्कंद जी को गोद में पकड़े हुए हैं और दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प धारण किए हुए हैं।

राष्ट्र ध्वज के साथ सेना के प्रतीक ध्वज

 

 

अमर जवान ज्योति पर राष्ट्र ध्वज के साथ ही सीआरपीएफ, बीएसएफ, वायु सेना, जल सेना के प्रतीक वाले ध्वज भी लहरा रहे हैं। बंजारी मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित गुरुकुल स्कूल प्रदेश का एकमात्र ऐसा स्कूल है, जहां प्रतिदिन राष्ट्र ध्वज फहराया जाता है। प्रार्थना में बच्चे राष्ट्रगीत गाते हैं और सलामी देने के बाद कक्षाएं शुरू होती हैं। इस स्कूल में पहली से 12 वीं तक एक हजार से अधिक छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। स्कूली पढ़ाई के साथ भारतीय संस्कारों की शिक्षा भी दी जा रही है।

भगवा के साथ लहरा रहा तिरंगा

 

 

बंजारी मंदिर परिसर में जहां हर तरफ भगवा झंडा लहरा रहा है, वहीं मुख्य द्वार पर स्थित अमर जवान ज्योति पर देश का तिरंगा शान से लहरा रहा है। इस मंदिर में देवी भक्ति के साथ युवाओं के मन में देशप्रेम की उमंग जगातीं हैं। ट्रस्टी बताते हैं कि हमारा उद्देश्य भावी पीढ़ी के मन में भक्तिभाव के साथ देशभक्ति की भावना जगाना है। मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु पहले अमर जवान ज्योति के समक्ष सलामी देकर आदर देते हैं।

गोशाला में 500 गायों का पालन पोषण

 

 

500 साल से अधिक पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार 1980 में किया गया। पहले मात्र गर्भगृह तक मंदिर सीमित था, अब मंदिर के पीछे गोशाला में 500 से अधिक गायों का पालन पोषण किया जा रहा है। मंदिर के प्रांगण में 25 फीट ऊंची शिव प्रतिमा आकर्षण का केंद्र है, साथ ही राधा-कृष्ण मंदिर, श्री राम-जानकी, हनुमान मंदिर भी है। पीपल, बरगद के वृक्ष पर हजारों लोग नारियल बांधकर मन्न्त मांगते हैं। मंदिर में स्वर्ग-नरक की झांकी आकर्षण का केंद्र है। अनेक मूर्तियों के माध्यम से दिखाया गया है कि अच्छे कर्म करने पर क्या सुख मिलता है और बुरे कर्म करने पर किस तरह का कष्ट भोगना पड़ता है। केवल पुण्य कर्म करें और पाप से दूर रहें।

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