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मुख्यमंत्री का चुनावी सत्र में एक बड़े कार्यक्रम से वंचित हो जाना गंभीर विषय तो है- वैष्णव

*2008 से 2018 तक केवल 2-2 सीटों पर सिमट रही है जांजगीर जिले में कांग्रेस*

*मैं प्रशासनिक अधिकारियों को इस चुक के लिए जिम्मेदार नहीं मानता*

*एक ओर पार्टी के बड़े बड़े नेता अपना खून पसीना एक करके पार्टी को मजबूत करने में लगे हैं दूसरी ओर कुछ लोग अपनी संकीर्ण मानसिकता के चलते नुकसान पहुंचा रहे हैं*

जांजगीर चांपा-विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर 17 सितंबर को चर्च मैदान जांजगीर में विशाल कार्यक्रम का आयोजन रोजी- मजदूरी करने वाले हैं गरीब मजदूरों के द्वारा किया गया, लोगों ने इसकी अनुमानित भीड़ का आकलन लगभग 5 से 6 हजार बताया, इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी थे! गरीब मजदूरों ने परिश्रम से एक-एक पैसे एकत्रित करके भव्य मंच का निर्माण भी कर लिया था। इसमें काफी खर्च आया, मुख्यमंत्री का आना निश्चित था लेकिन अंतिम समय पर यह निरस्त हो गया और वे एक बड़े कार्यक्रम से वंचित हो गए। इसका गहरा प्रभाव उन मजदूरों की मानसिकता पर हुआ जो दूर- दूर से साइकिल, मोटरसाइकिल या अन्य साधनों से आए थे! मुख्यमंत्री जी राज्य के किसानों एवं गरीबों के शुभचिंतक माने जाते हैं, वे लोगों के दिलों में राज करते हैं,लोगों की उनसे मिलने की बहुत अपेक्षाएं भी थी, मुख्यमंत्री का आना तय था इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों ने दिशानिर्देश कर गरीबों से भव्य मंच का निर्माण करवाया, अंतिम समय में उनका आगमन निरस्त हुआ। क्या इसके लिए प्रशासनिक अधिकारी जिम्मेदार हैं? इस प्रश्न पर राजमिस्त्री कल्याण संघ जांजगीर नैला के संरक्षक निर्मल दास वैष्णव ने कहा कि- मैं इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों को जिम्मेदार नहीं मानता! वे लोग लगातार तीन-चार दिन तक सुबह- शाम यहां कार्यक्रम स्थल पर डटे रहे! जिलाधीश स्वयं अपने सभी अधिकारियों सहित यहां बार-बार आए और उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया, गरीब मजदूरों ने बड़ी परिश्रम से भव्य मंच का निर्माण किया, मुझे ऐसा लगता है कि इसके लिए प्रशासन किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है बल्कि वे लोग जिम्मेदार हैं जो अपनी स्वार्थ की पूर्ति के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को गलत जानकारी देकर गुमराह कर दिए! गलतफहमी उत्पन्न करने वालों के कारण कभी-कभी काफी अधिक पढ़े लिखे लोगों से भी बड़ी चूक हो जाया करती है। मिस गाइड करने वाले पतली गली से निकल गए! अब जवाबदेही अधिकारियों की बन रही है, जो उचित नहीं है! सीएम हाउस के अति निकटस्थ एवं जिम्मेदार प्रतिष्ठित लोगों से भी इस विषय पर मेरी चर्चाएं हुई है। श्री वैष्णव ने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि मुख्यमंत्री जी का एक बहुत बड़ा कार्यक्रम निरस्त हुआ। यदि वे आते तो लोगों की भीड़ दो- तीन गुना और बढ़ गई होती, जिसका प्रभाव केवल जांजगीर-चांपा जिले में नहीं बल्कि पूरे राज्य में पड़ता। जांजगीर-चांपा जिले में सन 2008, सन 2013 और सन 2018 में कांग्रेस को जिले के 6 विधानसभा सीटों में से केवल दो- दो सीट ही मिल पाया है इसीलिए पूरी कांग्रेस पार्टी इस पर चिंतित है, पीएल पूनिया साहब शरीर की थकावट का परवाह किए बिना जिले के चप्पे-चप्पे में बैठकें ले रहे हैं, आदरणीय शिव डहरिया और मोहन मरकाम जी जैसे राज्य के शीर्षस्थ नेता जिले में कांग्रेस को मजबूत करने में लगे हुए हैं। इसलिए अपना पसीना बहा रहे हैं जिला संगठन प्रभारी से लेकर जिले के सभी नेता कांग्रेस के लिए संघर्ष कर रहे हैं लेकिन दूसरी ओर कुछ लोग अपनी ओछी मानसिकता से ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं, और सबको नुकसान पहुंचा रहे हैं। क्या महन्त जी महाराज की भावी चुनावी रणनीति के लिए यह कार्यक्रम आयोजित था ? इस प्रश्न पर श्री वैष्णव ने कहा कि यह बेबुनियाद बातें हैं। ओछी मानसिकता वाले लोगों ने यह भ्रम फैलाया यदि उन्हें पब्लिक के बीच में जाने का इतना ही शौक होता तो 5-6 हजार लोगों के बीच में आकर भाषण देकर चले गए होते! महाराज जी जब एक व्यक्ति के गमी हो जाने पर पिथौरा महासमुंद सांत्वना देने के लिए जा सकते हैं तब वे इतनी बड़ी भीड़ में आसानी से आ सकते थे, वे भाव के भूखे हैं। लोग उन्हें जहां प्रेम से याद करते हैं चले जाते हैं। पिथौरा से तो उन्हें चुनाव नहीं लड़ना है ऐसे ही राज्य के कोने-कोने में वे लोगों के सुख-दुख जाते रहते हैं! राजमिस्त्री कल्याण संघ के पदाधिकारी अमरनाथ बर्मन, सागर मोगरा, सुमन सोनवान, सनद डहरिया, योगेंद्र कहरा, अनिल चौरसिया, धर्मेंद्र प्रधान, मनोज ताम्रकार जैसे अनेक लोगों ने उनसे आग्रह किया था वे उनके साथ मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत जी से मिले थे। उनके आग्रह पर ही कार्यक्रम तय हुआ था स्वार्थी लोगों ने इसे बाहरी लोगों का कार्यक्रम करार दिया। ये सभी बाहरी नहीं जांजगीर के मूल निवासी हैं। इनके परिश्रम से ही लोग दूर-दूर से आए थे।

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