पढ़ाने की बजाए आश्रम परिसर में बच्चो के हाथो साफ सफाई के लिए थामा दिया फावड़ा
पढ़ाने की बजाए आश्रम परिसर में बच्चो के हाथो साफ सफाई के लिए थामा दिया फावड़ा
राजा ध्रुव।
बस्तर/ जगदलपुर- शासन द्वारा शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हजारों करोड़ रूपये का बजट खर्च किया जा रहा है। बेटियों की शिक्षा एवं ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले बच्चों की शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाए ।एक और जहा यदि बच्चो को पढ़ाने कि बजाय उनसे काम करवाया जाए तो क्या होगा। जाहिर है उनकी पढ़ाई पर विपरीत असर पड़ेगा। तोकापाल ब्लाक के शासकीय आदिवासी कन्या बालिका आश्रम डोगरी गुड़ा मे पढ़ने वाले 50 सीट के छात्राओं से आश्रम के बाहर घास साफ सफाई करायी जा रही है। आश्रम में शासन द्वारा वार्डन, सहायक वार्डन सहित शिक्षिकाओं, भोजन व्यवस्था एवं सफाई के लिए स्वीपर सहित कर्मचारी तैनात है। शासन द्वारा आश्रम की व्यवस्थाओं सहित इनके वेतन पर हर माह लाखों रूपये खर्च किये जाते हैं इस सब के बावजूद भी यहाँ रहने वाली बच्चियों को साफ करना पड़ता है। एक माता पिता अपने बच्चों को दूर रख कर अच्छी शिक्षा मिल सके सोचकर भेजती है कुछ पाने और बड़े बनने की चाहत लिए बच्चे जहां अपना भविष्य संवारने जाते हैं, शिक्षा के उसी मंदिर में इन मासूमों को जिन कोमल हाथों से बच्चे पेन और पेंसिल चलाते हैं, उन्हीं हाथों से परिसर मे साफ-सफाई के लिए छात्राओ को थमा दिया झाड़ू व फावड़ा । अधिक्षिका मंजू मौर्य का कहना है शरीर को फुर्तीला बनाना है और अपने शरीर को फिट रखना । क्या घास छिल कर शरीर को फुर्तीला बनाना है और भी कई अनेक खेल कूद व्यायाम कर ही शरीर को फिट कर सकते है पर अधिक्षिका की सोच अलग जिसकी लापरवाही साफ देखने को मिल रहा है ।