उस्ताद शायर बदरूल कुरैशी बद्र की याद में अदबी नशिस्त का किया गया आयोजन बरसी पर एकजुट हुए हिंदी-उर्दू के साहित्यकार
भिलाई। अंचल के उस्ताद शायर मरहूम हाजी बदरूल कुरैशी बद्र की पांचवीं बरसी पर दुर्ग केलाबाड़ी में यहां के पार्षद हमीद खोखर की मौजूदगी में और उनके दफ्तर में अदबी नशिस्त व काव्य गोष्ठी रखी गई। इस दौरान मरहूम शायर बद्र की बेटियां नसरीन बानो व परवीन बानो बद्र के साथ-साथ दुर्ग भिलाई व समूचे छत्तीसगढ़ शायर/कवियों ने हिस्सा लिया। शुरुआत में अकीदत के फूल पेश करते हुए आलोक नारंग ने मरहूम शायर बद्र की निजी जिंदगी और अदबी जिंदगी पर रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि अपनी आखरी सांस तक उर्दू की खिदमत करते रहे। उन्होंने अपनी जिंदगी में बेहिसाब शागिर्द बनाए, जो आज भी कई इलाकों में अपने कलाम की रोशनी को फैला रहे है।
मरहूम शायर बद्र को खिराजे अकीदत के तौर पर मौजूद लोगों ने अपने कलाम पेश किए। इनमें शायर आलोक नारंग, इसराईल बेग शाद, नवेद रज़ा दुर्गवी, हाजी ताहिर, शेख निजाम ,हाजी रियाज गौहर, हाजी निजाम राही, एजाज़ बशर, अब्दुस्सलाम कौसर, शुचि भवि, मुमताज,विद्या गुप्ता,डॉक्टर संजय दानी, डाक्टर नौशाद सिद्दीकी,घनश्याम सोनी,कैलाश बरमेचा, राजेश जैन सराफ, लालजी साहू, भागवत निषाद, सीमा साहू, नीता काम्बोज, शीरी, शमशीर सिवानी, रामबरन कोरी कशिश और प्रदीप पांडेय सहित अन्य ने गज़़ल, कविता, हजल व सजल सहित कई विधा में प्रस्तुति दी। महफिल में आये सभी का आभार प्रदर्शन नवेद रज़ा दुर्गवी ने किया गया।