अनुकम्पा नियुक्ति में गड़बड़ी के बाद अब भृत्य पद से सीधे सहायक ग्रेड 3 पर प्रमोशन के मामले में शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में
अनुकम्पा नियुक्ति में गड़बड़ी के बाद अब भृत्य पद से सीधे सहायक ग्रेड 3 पर प्रमोशन के मामले में शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में
भूपेंद्र रिपोर्टर बिलासपुर,
बिलासपुर शिक्षा विभाग फिर से सवालों के घेरे में पहुंच गया है। जहा पूर्व डीईओ हेमंत उपाध्याय द्वारा नियम विरुद्ध एक भृत्य को वरिष्ठता सूची को नजरअंदाज कर सीधे सहायक ग्रेड 3 के पद पर नियुक्ति का मामला सामने आया है। जिसकी शिकायत भृत्य संतराम ध्रुव ने तत्कालिक डीईओ डीके कौशिक से की हैं। मामले में उन्होंने जांच टीम गठित की है। प्रार्थी से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व डीईओ हेमंत उपाध्याय द्वारा शा.उमा. वि. बा. सरकंडा ( बालक सरकंडा) में भृत्य पद पर नियुक्त रामेश्वरी क्षत्री को 10/11/2015 को सहायक ग्रेड 3 के पद पर प्रमोशन कर दिया गया। जबकि रामेश्वरी क्षत्री से 7 साल वरिष्ठ भृत्य संतराम ध्रुव को प्रमोशन नहीं दिया गया। रामेश्वरी क्षत्री की नियुक्ति 2005 में हुई थी। जिसे पूर्व डीईओ हेमंत उपाध्याय ने 2014 में जिला शिक्षा कार्यालय में ट्रांसफर किया था। जहां महज दस महीनों में ही डीईओ हेमंत उपाध्याय ने रामेश्वरी क्षत्री को सहायक ग्रेड 3 पद पर प्रमोशन कर दिया।
आपको बता दे आज भी भृत्य संतराम ध्रुव जिला पंचायत में एक भृत्य के पद पर अपनी सेवा दे रहे हैं। भृत्य संतराम ध्रुव की भृत्य पद पर नियुक्त 1998 में हुई थी। रामेश्वरी क्षत्री से सात साल वरिष्ठ होने के बाद भी प्रार्थी का प्रमोशन नहीं दिया गया। प्रार्थी के अनुसार इस अभय दान की सुगबुगाहट छत्तीसगढ़ लघु वेतन शासकीय चतुर्थ वर्ग कर्मचारी संघ को मिली थी। जिसकी शिकायत उन्होंने बिलासपुर कलेक्टर को की थी। लेकिन मामले में कोई भी उचित कार्यवाही नही की गई है। प्रार्थी का आरोप है कि पूर्व डीईओ हेमंत उपाध्याय के मंत्रालय में पहुंच पकड़ होने की वजह से शिकायत के बाद भी मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। अब जब प्रार्थी संतराम ध्रुव ने इसकी शिकायत तत्कालिक डीईओ डीके कौशिक से की है। तो उन्होंने मामले में तीन सदस्य टीम गठित की है। जिनके द्वारा हर पहलू पर जांच की जा रही है जिनके द्वारा मिलने वाले रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई करने के बात विभाग के अफसर कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह है की अगर आरक्षण रोस्टर और विभागीय पदोन्नति नियम के विरुद्ध यह पदोन्नति साबित हो जाती है तो क्या मामले में संलिप्त पूर्व डीईओ हेमंत उपाध्याय के खिलाफ़ कार्यवाही होगी या पुनः मामले में खानापूर्ति कर दी जाएगी..?
मामले की उचित जांच हुई तो बड़े पैमाने में गड़बड़ी होने का हो सकता है खुलासा..!
आपको बता दे पूर्व डीईओ हेमंत उपाध्याय ने भृत्य कमल कुमार देवांगन और संतोष कुमार साहू के
रामेश्वरी क्षत्री से कनिष्ठ होने के बावजूद सहायक ग्रेड 3 के पद पर प्रमोशन किया गया था। जिसका हवाला देते हुए उन्होंने रामेश्वरी क्षत्री को भृत्य से सीधे सहायक ग्रेड 3 के पद पर प्रमोशन का आदेश जारी किया था। ऐसे में यह तो साफ है। की अगर रामेश्वरी खत्री से कनिष्ठ भृत्य को सहायक ग्रेड 3 के पद पर प्रमोशन कर दिया गया है। तो कहीं ना कहीं शिक्षा विभाग में बड़ी संख्या में कनिष्ठ भृत्य को अभय दान दिया गया होगा जिसकी जांच हुई तो निश्चित रूप से दर्जनों ऐसे मामले उजागर होंगे जिनमे वरिष्ठता सूची को अनदेखा कर प्रमोशन दिया गया है। विश्वसनीय सूत्रों की माने तो जिले में लगभग 30 से 50 ऐसे ही प्रकरण है। जिनमे अपात्र भृत्य को प्रमोशन दिया गया है..!
संघ के पदाधिकारियों से की थी हुज्जतबाजी,, आरोप सिद्ध होने के बाद क्या गिरेगी डीईओ पर गाज…?
छत्तीसगढ़ लघु वेतन शासकीय चतुर्थ वर्ग कर्मचारी संघ द्वारा भृत्य रामेश्वरी क्षत्री के आरक्षण रोस्टर और विभागीय पदोन्नति नियम के विपरीत प्रमोशन करने के मामले में पूर्व डीईओ हेमंत उपाध्याय से मुलाकात की थी और इस मामले की शिकायत की थी जहां पूर्व डीईओ हेमंत उपाध्याय ने संघ के पदाधिकारियों से हुज्जत बाजी कर डीईओ ऑफिस से भगा दिया गया था।
जिसको लेकर संघ ने डीईओ हेमंत उपाध्याय की शिकायत बिलासपुर कलेक्टर से की थी। अब जब मामले में विभागीय जांच शुरु हुई है अगर आरोप सिद्ध हो जाता है तो क्या पूर्व डीईओ हेमंत उपाध्याय के ऊपर विभागीय कार्यवाही की गाज गिरेगी या फिर उन्हे विभाग द्वारा अभय दान दे दिया जाएगा..? इसकी चर्चा सभी के जहन में उठने लगी है..!