छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

नहर लाईनिंग कार्य में जलसंसाधन विभाग और ठेकेदार की आपसी मिलीभगत से शासन हुआ लाखों का नुकसान

पचास साल की जगह मात्र तीन महिने में नहर का लाईनिंग टूटना और धंसना हो गया शुरू

अधिक्षण अभियंता से कार्य के दौरान की शिकायत किये जाने के बाद भी नही हुई कोई कार्यवाही

दुर्ग। जिले का जलसंसाधान विभाग हमेशा से कार्यों को लेकर चर्चा में रहा है, खासतौर से केनॉल की लाईनिंग के कार्यों में ठेकेदार की मनमानी साफ दिखाई देती है। जहां भी कार्य कराया जाता रहा है, वह कभी भी गुणवत्तापरक नही होता और ना ही जलसंसाधन के जिम्मेदार अधीक्षण अभियंता इसकी मॉनिटरिंग करते है, इसका नतीजा यह होता है कि समय से पूर्व ही इन लाईनिगों में दरार आ जाता है और कुछ ही समय में टूट जाता है, और बाद में फिर इसका प्रस्ताव बनाकर इसका निर्माणकार्य करवाने का लंबा खेल खेलकर करोड़ों रूपये का व्यारा न्यारा जलसंसाधन विभाग एवं ठेकेदारों द्वारा किया जाता है। लेकिन इन दोनो के इस मिलीभगत में शासन को हमेशा करोड़ों रूपये का नुकसान होता है। सही मायने में इसकी जांच हो जाये तो ठेकेदार सहित इस विभाग के जिम्मेदार अधिकारी और जो भी इसमे शामिल है वे सभी जेल की हवा खायेंगे। इस विभाग के अधिकारियों की सम्पत्ति की जांच की जाये तो खुद ब खुद ही पता चल जायेगा कि ठेकेदार और अधिकारियों दोनो के आपसी शिष्टाचार के कारण ये कितने के आसामी है और कितनी सम्पत्ति इन लोगों ने आय से अधिक कमाई की है। यदि पिछले एक दशक में कराये गये सभी नहरों के लाईनिंग कार्य को देखा जाते तो आज एक भी नहर सही सलामत नही है, सभी  टूट फूट गये है, इसके कारण जब भी सिंचाई के लिए या  निस्तारी कार्यो सहित अन्य कार्यों के लिए नहर में पानी छोड़ा जाता है तो आधा पानी ही अपने गंतव्य तक पहुंचता है, आधा पानी नहरों में टूट फूट के कारण इधर उधर बह जाता है। सबसे बड़ी बात तो यह देखने में हमेशा आता है कि नहर सहित इस विभाग द्वारा कराये जाने वाले सभी प्रकार के कार्यों में गुणवत्ता को लेकर जब भी शिकायत की जाती है तो उन शिकायतों पर कभी कोई कार्यवाही नही होती है। इसी प्रकार का एक मामला फिर सामने आया है जिसमें जल संसाधन संभाग दुर्ग के विकासखंड धमधा के परसदा वितरण शाखा नहर प्रणाली के लाइनिंग एवं जीर्णोद्धार कार्य लगभग इसी साल के जनवरी 2020 से लाइनिंग कार्य प्रारंभ हुआ था जिसका कार्य लगभग एक माह पूर्व ही खत्म हुआ है।  । जब इसका कार्य चल रहा था तभी देखने में आया कि इसका कार्य बेहद ही घटिया और गुणवत्ताहीन है जिसकी शिकायत कार्य चलने के ही दौरान अधीक्षण अभियंता जल संसाधन विभाग दुर्ग के समीर जॉर्ज से दरार पड़ी फोटो के साथ की गई थी कि तांदुला नहर मुख्य नहर से शाखा नहर परसदा वितरण सी सी लाइनिंग निर्माण कार्य चल रहा है जिसमें सी एन एस की सनग्रेड बनाने हेतु निर्धारित मोटाई में सी एन एस का प्रावधान नहीं किया गया जिससे सीसी लाइनिंग अभी से ही टूटना और धंसना शुरू हो गया है। जबकि इस कार्य की निर्धारित आयु 50 से 60 साल तक होनी चाहिए लेकिन ये अभी से टूटना और धंसाना शुरू हो गया है। अधीक्षण अभियंता को शिकायत में तस्वीर सहित यह बताया गया था कि छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार सी एन एस की लाइनिंग उचित तरीके से प्रावधान किया जाना था, कंप्रेसिंग हेतु निर्धारित रफ्तार रोलर से ही सी एन एस किया जाना चाहिए जो इस निर्माण कार्य में नहीं कर पोकलेन से दबाया /पीटा गया है जो कि छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग के आदेश का उल्लंघन है। यह निर्माण कार्य किए लगभग 3 महीना ही हुआ और अभी से टूटना, दरार आना शुरू हो गया है तो ऐसी स्थिति में यह 50 साल तक कैसे सुरक्षित रह सकता है, जिस उद्देश्य से इसका कार्य कराया गया है उस उद्देश्य का लाभ लोगों को नहीं मिल सकेगा इसके अलावा शासन को भी करोड़ों रुपये की हानि हो रही है। नहर के इस निर्माण कार्य के लिए 447. 48 लाख मे निर्माण सी सी नहर लाइनिंग कार्य का अनुबंध हुआ था। इस कार्य को ठेकेदार द्वारा घोर लापरवाहीपूर्वक  किया गया है इसकी जानकारी अधीक्षण अभियंता जल संसाधन विभाग संभाग दुर्ग समीर जॉर्ज को दी गई थी कि मुख्य कार्यपालन अभियंता बीजी तिवारी जल संसाधन संभाग दुर्ग के प्रभार में यह कार्य हुआ है एवं इनको लिखित में शिकायत भी किया गया था। इन बड़े अधिकारियों से शिकायत किये जाने बाद भी इतना गुणवत्ताहीन कार्य होना जहां समझ से परे हैं वहीं अधिक्षण अभियंता द्वारा इतना घटिया कार्यकरने वालों पर कार्यवाही नही किया जाना भी कई संदेहों को जन्म देता है। यदि इस कार्य की सही ढंग से जांच हो जाये तो इस कार्य को कराने वाले जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदार की पूरी पोल खुलकर सामने आ आयेगी।  इसलिए इस कार्य की जांच कर शासन को लाखों की हानि पहुंचाने वाले अधिकारियों और ठेकेदार से इसकी क्षतिपूर्ति राशि वसूल करने के साथ की उनपर कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए।

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