खुशियों के अनेक रंग । बच्चीं दिव्या केशरवानी की अनुकरणीय पहल : घर में तैयार की हैं लगन पूर्वक मिट्टी के गणपति बप्पा की मूर्ति
*‼️एक नन्ही-सी कलाकार की सृजनशीलता ‼️*
*वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ! निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्व ।*
हमारे शास्त्रों और पुराणों में “ॐ गणेशाय विघ्नेश्वराय नमः” मंत्र के जप के पीछे #सीधे_सीधे विघ्नों से मुक्ति पाना रहा हैं , परंतु आज़ दुर्भाग्यपूर्ण बात यह हैं कि मुर्तियां ही जल प्रदुषण का कारण बन रही हैं। गणेश विसर्जन में जिन पदार्थों से बनी हुई गणेशजी की मूर्तियों का प्रयोग हो रहा हैं,वह आने वाले समय में जल प्रदुषण का एक बड़ा कारण बन सकता हैं । एक नन्ही-सी प्यारी बच्ची दिव्या केशरवानी ने मिट्टी और प्राकृतिक रंगों से स्वयं मूर्ति बनाकर सकारात्मक सोच समाज को दी हैं । विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों का कमरा रंग-बिरंगी चित्रकारी या विभिन्न प्रकार के साजो-सामान से भरा हो सकता हैं क्या ? वास्तव में जो बच्चें सकारात्मक प्रवृत्ति के होते हैं और हर समय अपने दिलो-दिमाग कुछ नया-नया कर गुजरने की सोचते रहते हैं । इसीलिए बचपन से ही रंगों और तूलिका से खेलना बच्चों को बहुत भाता हैं । ऐसे बच्चें केवल अच्छे कलाकार और चित्रकार ही नहीं होते बल्कि अपनी कल्पनाओं को एक अच्छें चित्र पर उकेरते भी हैं।
विभिन्न सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक संगठनों से जुड़ी हुई श्रीमति शांता गुप्ता की पोती सुश्री दिव्या केशरवानी की अनुकरणीय कार्यों की गुणगान नहीं कर रहे हैं बल्कि तन्मयता से बनाई गई उनकी अद्भुत कला और सुंदर चित्रकारी का चित्रण कर रहे हैं,इसका कारण वह हर समय रंगों या फिर कुछ नया करने की सोच रखती हैं । वैसे हरेक माता-पिता का हमेशा से यही सपना होता हैं कि उनके बच्चें शिक्षा के साथ-साथ अन्यान्य कार्यों में परिवार का नाम रौशन करें । बचपन से ही दिव्या केशरवानी जिन्हें घर में बेटू कहकर संबोधित करते हैं , गणेशोत्सव पर मिट्टी का गणेशजी बनाई हैं ।
साहित्यकार शशिभूषण सोनी ने बताया कि दिव्या केशरवानी माता-पिता और नानी के प्रोत्साहन से शिक्षा , संगीत , पेंटिंग्स और अभिनय में भी भाग लेती हैं । बेटू एक सफ़ल चित्रकार की भांति कुछ ना कुछ अपनी कूंची निकालकर रंगों की दुनिया में खोई रहती हैं । श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर दोनों बहनें सुश्री दिव्या और नव्या केशरवानी ने राधा-कृष्ण की मनमोहक मुद्रा में सखियां के साथ साज-सज्जा प्रतियोगिता में भाग लेकर लोगों के मन को मोह लिया था । दिव्या केशरवानी को चित्रकारी का बहुत शौक हैं । वह अपने कमरें में गणेशोत्सव पर अपने हाथों से इस बार बनाई हैं मिट्टी के गणेशजी की सुंदर मूर्ति और उन्हें प्रतिस्थापित करके रोज सुबह-शाम पूजा अर्चना करती हैं । पूर्व पार्षद एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमति शशिप्रभा सोनी ने कहा कि हर बच्चें में कुछ ना कुछ प्रतिभा होती हैं शांता गुप्ता बहना जी ने दिव्या बिटियां की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें निखारने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं । हम सभी मिलकर गणेशोत्सव पर अब भी मिट्टी की मूर्ति को घर लाए दिव्या बिटियां की भांति मिट्टी के गणेशजी स्थापित कर विधिवत् पूजन करें और इस उक्ति को आत्मसात करे , प्रकृति का हैं अद्भुत संदेश मिट्टी के हो गणेश ।