Uncategorized

*श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य की समस्त इच्छाओं को करता है पूरा*

देवकर देवरी:-स्व .इन्द्रकुमार साहू की पुण्य स्मृति में आयोजित संगीतमय भागवत कथा का समापन आज ,5 सितंबर को हुआ कथा व्यास पं.मनोज शर्मा भंडार पुर डोगरगढ़ वाले ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य की समस्त इच्छाओं को पूरी करता है। यह एक कल्पवृक्ष के समान है। इसके लिए निर्मल भाव से कथा सुनना और सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। ये ग्राम देवरी निवास में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पहले दिन आचार्य पंडित पं.मनोज शर्मा ने कहा मानव मात्र को परम सुख व परम शांति अध्यात्म से ही मिल सकता हैं और अध्यात्म का संपूर्ण सार श्रीमद् भागवत कथा ही है जीव को परमात्मा से मिलाने की कडी भगवत कथा है,

राजा परीक्षित को सात दिवस मे सर्पदंश से मृत्यु होगी , ये श्राप महात्मा ऋंगी के द्वारा मिला, फिर भी राजा परीक्षित विचलित न होकर सद्गुरु भगवान श्री शुकदेव जी द्वारा भगवत्कृपा स्वरूप भागवत कथा श्रवण कर मोक्ष को प्राप्त हुए,

विभिन्न कथाओं के माध्यम से

मनुष्य को जीवन जीने की कला भगवत से ही

प्राप्त होता है, क्योंकि मनुष्य के पास जीवन तो है परंतु जीवन जीने की कला नही है,

भागवत कथा मनुष्य को जीवन को जीना सिखाती है,

*प्रह्लाद कथा मे*

भक्त प्रह्लाद को हर खंभे मे भगवत दर्शन सौभाग्य का मिला, परंतु

हिरण्यकषपु को भगवत दर्शन नही हुआ, तात्पर्य यह है कि प्रह्लाद जैसे भक्ति की दृष्टि रहेगी तो हर वस्तु मे हर कण में भगवत दर्शन होगा,

अहंकारी मनुष्य स्वम को ईश्वर समझता है तो उसको ईश्वर नहीं दिखेगा ,

*समुंदर मंथन कथा का वर्णन किया*

उन्होंने कहा कि भक्ति रूपी अमृत प्राप्ति प्रयास में कभी कभी मन रूपी मांद्रचल धसने लगता है ।तब आत्मज्ञान के प्रतिक कश्चप रूप में भगवान आधार देते हैं। समुंद्र मंथन में अमृत के पहले विश निकला है,जिसे भगवान शिव ने पान किया।संताप रूपी जहर पीने वाला ही शिव होता है।

वामन अवतार के बारे में प.शर्मा ने बताया कि जीवन में जब जब देहाभिमान अहंकार जगता है, ईश्वर सबल हो जाते हैं और जब साधक के जीवन में सत्य,प्रेम,भक्ति,करुणा का भाव जगता हैं तो वहीं ईश्वर बालक बनकर कोशिल्या,देवकी के गोद में आकर परम सुख प्रदान करते हैं, ईश्वर सत्य रूप में सर्वव्याप्त है निर्गुण ईश्वर सत्य रूप में सर्वव्याप्त है पर वही ईश्वर सगुण साकार में सत्य,प्रेम,करुणा के द्वारा प्रकट हो जाते हैं। कृष्ण जन्मोत्सव परमानंद का ही रूप भगवान श्रीकृष्ण है।

Related Articles

Back to top button