छत्तीसगढ़

कर्ज और गरीबी की वजह से जा रहा था खुदकुशी करने, यहां मिला ‘नवजीवन’

सबका संदेश न्यूज़ छत्तीसगढ़ रायपुर- विषम परिस्थितियों से हताश-निराश होकर आत्मघाती कदम उठाने वाले लोगों के जीवन में उत्साह का संचार करने के लिए छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में ‘नवजीवन’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 10 सितम्बर 2019 को इसके लिए जिला स्तरीय खास कार्यक्रम का आयोजन महासमुन्द में किया गया। जहां सिरपुर क्षेत्र के बांसकुढ़ा गांव से दुखी होकर पहुंचे आदिवासी युवक रामायण ने अपनी व्यथा सुनाई। रामायण ने दो पन्ने में लिखी अपनी व्यथा-कथा में उल्लेख किया था कि वह इस कदर दुखी है कि बार-बार मर जाने का विचार मन में आता है।

उसे लगता है कि अब वह ज्यादा दिन जीवित नहीं रह सकेगा। नवजीवन गोष्ठी के दौरान अपना हस्तलिखित पत्र युवक ने महासमुंद कलेक्टर सुनील कुमार जैन को दिया। जिसे गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर ने तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित की। तनावग्रस्त युवक रामायण को अपने पास बुलाकर प्रेम से बैठाया। कार्यक्रम की समाप्ति के पश्चात मंच पर ही उसे करीब आधा घंटा तक समझाइश दी। इस बीच कार्यक्रम में रायपुर से विशेष रूप से पहुंचे मनोरोग विशेषज्ञ डॉ सोनिया परियल, डॉ. प्रीति सिंह और जिला अस्पताल महासमुंद के मनोरोग काउंसलर डॉ. छत्रपाल चंद्राकर से युवक की काउंसलिंग कराई गई।

सकारात्मक सोच से दूर किया मनोविकार

करीब आधा घंटा तक सकारात्मक सोच से युवक के मनोविकार को दूर करके उसे जीने की नई राह दिखाई गई। तब घोर निराशा से अवसाद की ओर बढ़ रहे युवक रामायण ने प्रतिज्ञा ली कि वह आत्मघाती कदम उठाने के बारे में अब सोचेगा भी नहीं।

कर्ज तले दबे होने और गरीबी से जूझ रहे किसान परिवार के इस युवक ने परेशान होकर जीवनलीला समाप्त कर लेने की सोच ली थी। वह निराशा के भंवर में बुरी तरह से फंस गया था। नवजीवन कार्यक्रम से प्रेरित होकर अब उसने दोगुने उत्साह से परिश्रम करने का संकल्प लिया है। साथ ही अपनी जमीन बेचकर कर्ज चुकाएगा, लेकिन मौत को किसी भी सूरत में गले नहीं लगाएगा।

रामायण ने कहा- मिला नया जी

 हर मंगलवार को कलेक्टोरेट में आयोजित होने वाले जन चौपाल में कलेक्टर से मिलने पहुंचा था। जहां पता चला कि मोहर्रम का अवकाश है और कलेक्टर शंकराचार्य सांस्कृतिक भवन महासमुंद में आयोजित नवजीवन कार्यक्रम में हैं। तब वह सीधा कार्यक्रम स्थल पहुंच गया। जहां संवेदनशील कलेक्टर सुनील कुमार से मिलकर अपनी व्यथा सुनाई। उसे इतना स्नेह भाव से कलेक्टर और डाक्टरों ने जीवन का महत्व समझाया कि जीने की एक नई राह नजर आई। हताशा के बादल छंट गए। अब वह वापस गांव जाकर खेती के काम में जुट गया है। रामायण का कहना है कि कर्ज चुकाने के लिए भले ही उसे पुश्तैनी जमीन को बेचना पड़े, लेकिन वह किसी भी हालात में आत्महत्या नहीं करेगा।

ऐसे फंसा कर्ज के भंवरजाल में

रामायण बताते हैं कि उन्होंने सूअर पालन के लिए विभिन्न बैंकों और स्वसहायता समूह से कर्ज ले रखा है। उन पर करीब दस लाख रुपये की देनदारी है। बैंक अधिकारी और समूह के पदाधिकारी कर्ज चुकाने का दबाव डाल रहे हैं। व्यवसाय में वह विफल हो गए। जिससे कर्ज नहीं चुका पा रहे। उन्होंने जमीन बेचकर कर्ज चुकाने के लिए कुछ दिनों की मोहलत दिलाने की गुजारिश की है। इस पर कलेक्टर ने उन्हें हर संभव मदद करने और जमीन बेचने के लिए यथासंभव विधिवत अनुमति प्रदान करने का आश्वासन दिया है। लीड बैंक मैनेजर एके मिश्रा ने भी बैंकों से समन्वय स्थापित कर इंसानियत के नाते कर्ज आदयगी में मोहलत दिलाने का आश्वासन दिया है।

 

 

 

 

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